Sunday, November 12, 2017

मर्ज की एक दवा Massage

massage


मालिश तन और मन को tension free करने और ताजगी देने का अचूक नुस्खा माना जाता है। मालिश की history 5000 साल से भी पुराना माना जाता है। world में करीब 200 तरह की मालिश की जाती है। नवजात शिशु से लेकर गर्भवती महिलाओ, युवाओं और बुजुर्गो के लिए खास तरह की मसाज therapy है। यही नही सिर, चेहरे,गर्दन,हाथों,पैरो, कमर के लिए भी अलग-अलग तरह की मसाज है। नियमित मालिश कराने वाले खुद को युवा, ऊर्जावान व् स्वस्थ अनुभव करते है।

मालिश कैसी-कैसी

आम धारणा है कि किसी तेल का उपयोग करते हुए हथेलियों और उंगलियों से body को रगड़ना और दबाव डालना मालिश करना होता है, जबकि ऐसा नही है। हर तरह की मसाज की अलग तकनीक होती है और उसके लाभ भी। प्रचलित मसाज के तरीके-

अभयानगम

आयुर्वेदिक मसाज को अभयानगम कहते है। इस मालिश में भाप स्नान कराया जाता है और चिकित्सकीय गुणों वाले हर्बल तेल से मालिश की जाती है। एक साथ दो therapist बड़े तालमेल के साथ यह मालिश करते है। इसमे लगभग 45 minute का समय लगता है। कितना दबाव व् stroke दिया जायेगा, यह व्यक्ति विशेष की स्थिति पर depend करता है। मालिश के बाद अंत में भाप दी जाती है।

लाभ: 1- body को energy मिलती है व् immune system मजबूत होता है।

2- नीद अच्छी आती है। skin मुलायम होती है व् उसमे कसाव आता है।

तेलधारा

तेलधारा एक famous केरल मसाज है। इसमे पुरे body को कुनकुने औषधीय गुणों से युक्त तेल की से नहला दिया जाता है। इसके बाद दो से तीन therapist हल्के हाथो से पुरे तालमेल के साथ मसाज करते है।

लाभ: 1- उत्तेजना कम होती है। pain में आराम मिलता है। अवसाद दूर होता है।

2- रक्तदाब control रहता है। जोड़ो का दर्द, लकवा व् तंत्रिका तंत्र से जुड़े के उपचार में राहत मिलती है।

स्वीडिश मसाज therapy

यह सबसे प्रचलित मसाज therapy है। इसमे लम्बे व् हल्के stroke लगाये जाते है, मांसपेशियों की सबसे उपरी परत पर थपथपाने वाले stroke भी लगाये जाते है। हथेली व् उंगलियों की मदद से गोलाकार गतियाँ दी जाती है। मसाज लोशन या तेल का उपयोग किया जाता है। यह बड़ी धीमी और आरामदायक होती है।

लाभ: 1- blood में oxygen का level बढ़ता है।

2- मांशपेशियों से विषैले पदार्थ दूर होते है व् tension में कमी आती है। जोड़ो के दर्द में आराम मिलता है। body को energy मिलती है। चोटिल होने की स्थिति में भी यह मालिश की जाती है।

अरोमा therapy

इसमे व्यक्ति की जरूरत के अनुसार एक या दो खुशबूदार पौधों के तेल का उपयोग किया जाता है। यह मसाज emotional tension को कम करने के लिए जानी जाती है। body को energy मिलती है।

Hot Stone मसाज

यह मसाज गर्म और चिकने stones से की जाती है। इन stones को body के निश्चित बिन्दुओ पर रखा जाता है, ताकि कड़ी हो चुकी मांशपेशियों को ढीला किया जा सके और body में energy के क्रेंदों को संतुलित किया जा सके। stones की गर्मी बहुत आराम पहुंचाती है। hot stones मसाज उनके लिए बहुत उपयोगी है, जिन्हें मांशपेशियो में खिंचाव व् अकड़न महसूस हो रही हो। गर्म stones के जरिये body में अंदर तक गर्मी पहुंचाती जाती है।

Deep Tissue मसाज

deep tissue मसाज मांशपेशियो की गहरी परत को आराम पहुँचाने के लिए की जाती है। इसमे बहुत धीमे, लेकिन गहरे stroke लगाये जाते है। इस मसाज के बाद ढेर सारा पानी पीने को कहा जाता है, जिससे toxin बाहर निकल जाते है। यह मांशपेशियों की जकड़न, खिंचाव, पॉश्चर बिगड़ने, कमर दर्द और किसी चोट से उबरने में बड़ी कारगर है। इसके बाद एक-दो दिन तक body में हल्का pain रह सकता है।

लाभ: 1- मांशपेशियों को आराम पहुंचाती है। tension व् pain में आराम मिलता है।

2- रक्तदाब को कम करती है। blood का संचार सही होता है।

शियात्सु

यह मालिश की जपानी विधि है। शियात्सु का मतलब होता है ‘fingerprint’। इसमे body पर उंगलियों से दबाव डाला जाता है। acupressure बिन्दुओ पर दो से आठ seconds के लिए रूका जाता है, ताकि energy का प्रवाह सुधारा जा सके। पहली बार करवाने वालो को इससे आश्चर्यजनक रूप से सुखद अनुभव होता है। इससे body के कुछ खास बिन्दुओ पर दवाब पड़ता है। pain का अनुभव नही होता।

लाभ: 1- positive energy का प्रवाह बढ़ता है। मांशपेशियों के pain में कमी होती है।

2- यह अनिद्रा और अवसाद से निबटने में सहायता करती है।

थाई मसाज

थाई मसाज की शुरुआत तो भारत में हुई, लेकिन यह Thailand में इतनी लोकप्रिय हुई कि इसका नाम ही थाई मसाज पड़ गया। यह प्राचीन हीलिंग therapy का ही एक रूप है। इसमे body के विशेष energy बिन्दुओ को धीरे-धीरे दबाया जाता है। इसमे दबाव और खिंचाव भी शामिल होते है। यह मसाज बिना तेल के की जाती है। body के कई हिस्सों को stretch किया जाता है, जैसे हाथों और पैरो की उंगलियों खीचना, उंगलियों को चटकाना, पीठ पर कोहनियों से दबाव डालना आदि। यह मसाज लेते-लेते योग करने के समान है, इसलिए इसे therapy भी कहते है। इस मसाज से body को energy मिलती है। tension कम होता है और लचीलापन बढ़ता है। body को आराम पहुँचाने के साथ ही आंतरिक कार्यप्रणाली में सुधार होता है।

मालिश की सही तकनीक

मसाज को या तो पैरो से शुरू किया जा सकता है या सिर से। अगर आप पैरो से शुरू करते है तो इसके बाद टांगो, फिर हाथों, पेट,कमर, छाती,गर्दन, कंधे, चेहरे और अंत में सिर की मसाज करनी चाहिए।

जो भी तेल आप मसाज के लिए इस्तेमाल करे, उसे पहले कुनकुना गर्म कर ले। पहले इस तेल को उस भाग पर लगाये, जिसकी मसाज करनी है। फिर धीरे-धीरे हथेलियों से मसाज करे, जब तक कि तेल skin में अवशोषित न हो जाए। इसके बाद हथेलियों और उँगलियों द्वारा उपर की ओर stroke लगाये। stroke की गति एक समान (न बहुत तेज, न बहुत धीमी) होनी चाहिए। और pressure केवल मांसपेशी पर लगाना चाहिए, bones पर नही। body के अलग-अलग भागो की मसाज करने के लिए उँगलियों और हाथो की movement अलग-अलग होती है, इसलिए मसाज प्रशिक्षित व्यक्ति से ही कराएं।

मालिश के खतरे

चिकित्सा जगत हालांकि body पर मालिश के positive प्रभावों को मानता है पर पूरी तरह मान्यता नही देता। ठीक तरह से या प्रशिक्षित लोगो द्वारा मालिश न किये जाने पर कई बार राहत मिलने की जगह pain बढ़ जाता है।

1-  मसाज कराने के दुसरे दिन body में pain हो सकता है, विशेषकर deep tissue मसाज के बाद, क्योकि इसमे धीमे, लेकिन दबाव वाले stroke लगाये जाते है।

2-  कई बार मसाज के बाद blood में शर्करा का स्तर कम हो जाता है।

3-  deep tissue मसाज में अगर therapist ज्यादा pressure लगा दे तो तंत्रिकाओ को नुकसान पहुंच सकता है, विशेषकर गर्दन और कंधे के क्षेत्र की तंत्रिकाओ को।

ये लोग मसाज से रहे दूर

1-  जिन लोगो को skin का infection है या खुले जख्म है या फिर तुरंत सर्जरी हुई है।

2-  कीमोथेरेपी और radiation के तुरंत बाद, जब तक कि doctor ने न सुझाया हो।

3-  जिन लोगो में blood में थक्का बनने की problem है, उन्हें मालिश नही करवानी चाहिए या विशेषज्ञों की राय से ही ऐसा करना चाहिए।

4-  heart रोगियों को भी खास सावधानी रखने की जरूरत है।

5-  गर्भवती महिलायें भी बिना doctor से सलाह लिए मसाज न कराए। उन्ही से मालिश करवाए, जिन्हें इसमे प्रमाण-पत्र हासिल किया हुआ है।

6-  body के जिस हिस्से में fracture हुआ हो, उस हिस्से में भी तुरंत मालिश नही करानी चाहिए।

बरते सावधानी

1-  मसाज करवाने से पहले भारी खाना न खाएं।

2-  कम से कम दस minute के लिए अपने body को ढीला छोड़ दे। साफ-सफाई का ध्यान रखे।

मालिश के लाभ

1-  research में भी यह बात सामने आयी है कि मालिश के बाद उतकों की मरम्मत का काम तेज हो जाता है। मांशपेशियों का तनाव व् pain कम होता है। मांशपेशियों को फुलाने वाले रसायन साइटोंकाइनेस का निर्माण कम होता है।

2-  मांशपेशियों, उतकों और लिंगामेंट्स में blood का संचार बढ़ता है।

3-  मसाज तनाव को कम कर क्रोध, हताशा और अवसाद को कम करती है और अप्रत्यक्ष रूप से सिरदर्द, पाचन तंत्र सम्बन्धी गडबडी, अनिद्रा, अल्सर, high blood pressure, heart problem और stroke को रोकने में भी मददगार होती है।

4-  body का पॉश्चर सुधरता है। skin की रंगत में सुधार आता है।

5-  जोड़ो का दर्द कम होता है और उनका लचीलापन बढ़ता है।

6-  tension पैदा करने वाले hormones, कार्टिसोल का स्तर कम होता है। मूड अच्छा करने वाले hormone सेरेटोनिन का स्तर बढ़ता है।

मालिश से अधिकतम लाभ के लिए:

1-  मालिश हमेशा बंद कमरे में या ऐसे स्थान पर करे, जहां धूप आ रही हो।

2-  मालिश करने के तुरंत बाद न नहायें। कम से कम 15 minute का अन्तराल रखे। थोड़ी देर धूप में बैठने से तेल अवशोषित हो जाता है।

3-  मालिश के तुरंत बाद cooler या ac वाले कमरे में न जाए।

4-  मालिश किसी विशेषज्ञ से ही करायें। अधिक दबाव या दर्द होना मालिश होना नही है।




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