Thursday, July 26, 2018

Eye Sickness (आँखों की बीमारी)

eye sickness
thyroid में आँखे उभरी हुई लगने लगती है। आँखों में हुए छाले की वजह भावनात्मक tension भी हो सकती है। आँखे केवल दुनिया नही देखती। हमारे body में क्या गड़बड़ चल रही है, इसका पता भी ये आँखे दे देती है।

आँखे अलग-अलग प्रकार के उतकों से बनी होती है। इसी कारण से कई तरह की बीमारियों से वे प्रभावित भी जल्दी होती है। हमारे body में कहां क्या बीमारी पल रही है, इसका पता भी भी ये आँखे दे देती है। आँखों की जाँच से अपने body में कहाँ क्या गड़बड़ चल रहा है, इसका पता लगाना दरअसल काफी सस्ता उपाय भी है। (आँखों की एक सम्पूर्ण जाँच में 600 से 1000 रूपये ही लगते है और समय भी 30 minute से एक घंटे के बीच का ही लगता है।)

Delhi के सेव साइट सेण्टर के डायरेक्टर और आई सर्जन राजीव जैन का कहना है कि भले ही आपकी नजर 20/20 यानि कि एकदम ठीक हो, फिर भी आपको साल में कम से कम एक बार आँखों की जांच तो करानी ही चाहिए। आँखों की सरचना में विविध प्रकार के उतक शामिल होते है, इसलिए कई तरह की बीमारियों के प्रति उनमें संवेदनाशीलता अन्य अंगो की तुलना में कही ज्यादा होती है और इसलिए बीमारी को पहचानने में भी वे सहायक होती है।

डॉ. राजीव जैन के अनुसार आँखों के लगभग हर हिस्से से body में बन रही किसी असामान्यता के संकेत मिल सकते है। सिस्टेमिक (जिसमें पूरा body प्रभावित होता है, सिर्फ एक अंग नही, जैसे उच्च रक्तचाप या इंफ्लूएंजा) प्रकार की असामान्यताओं के लक्षण आँखों की बाहरी सतह (पलकें, कंजक्टिवा और कार्निया), आँखों के मध्य भाग (आइरिस) और पृष्ठ भाग (रेटिना) से पता चलते है। आँखों की उतकों में हो रहे बदलावों का पता लगाना जरूरी होता है, क्योंकि कई बार अगर सही समय पर इलाज ना मिले तो रेटिना की रक्त कोशिकाओं में आया परिवर्तन दृष्टिहीनता का कारण भी बन सकता है।

बच्चों या बड़ों की आँखों में कुछ खास परिवर्तन दिखने पर doctor से जरुर contact करना चाहिए। एक आँख का घूमना, आँखे बार-बार झपकाना, TV देखते हुए व् book पढ़ते समय आँखे मसलना या फिर आँखों में पानी आने और वस्तु हिलती हुई दिखना जैसे लक्षण आँखों के अलावा body की किसी अन्य problem का संकेत भी हो सकते है।

Thyroid की Problem

गुरुग्राम के forties memorial research institute के consultant ऑप्थैल्मोलाजिस्ट किशुक मारवाह कहते है, ‘अगर किसी के आँखों के गोले उभरे हुए और बड़े-बड़े हो तो वह thyroid ग्रंथि की problem हो सकती है। यह body में कही serious infection और सूजन का भी संकेत हो सकता है।

High Blood Pressure

high blood pressure में आमतौर पर कोई लक्षण नही दिखता, पर आँखों के doctor रेटिना की जांच से इसका पता लगा लेते है। किशुक मारवाह कहते है,’ हम उच्च रक्तचाप को आँखों में देख सकते है, ‘क्योंकि इसके कारण रेटिना की धमनियों में चांदी जैसी और तांबे के रंग की आभा आ जाती है, जिसे हम copper wiring कहते है। उच्च रक्तचाप का सम्बन्ध कभी-कभी आँखों की मांसपेशियों के लकवे से भी पाया गया है।‘

Diabetes

high blood pressure के कारण रेटिना से जुडी नसों में रक्त संचार बाधित होकर आँखों की नसों को कमजोर कर सकता है। Apollo hospital की consultant ऑप्थैल्मोलॉजी उमा मैलिआ कहती है,’ डायबिटिक रेटिनोपैथी नजर कमजोर होने का एक बड़ा कारण है।

Cancer

डॉ. राजीव जैन कहते है कि brain tumor के कारण आँखों की optic नर्व में सूजन आ जाती है, जो दृष्टि को प्रभावित कर सकती है। इसलिए आँखों की जाँच के दौरान अगर optic नर्व में सूजन पाई जाती है तो doctor brain tumor की आंशका के कारण neurologist से मिलने की बात भी करते है।

अधिक Tension

आँखों की पुतलियों में कई बार छाला या फुंसी हो जाती है। यह सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी के लक्षण है। body पर मानसिक व् शारीरिक tension बढ़ जाने से रेटिना से छाला या फुंसी बनने वाला फलुइड निकलने लगता है। डॉ. मारवाह कहते है, ‘इस स्थिति में चीजें धुंधली नजर आती है या लहरों की तरह हिलती हुई लगती है। आमतौर पर यह स्थिति tension में कमी आने के कारण ठीक होती जाती है।

आर्थ्राइटिस और स्पान्डिलाइटिस

रुमेटाइट आर्थ्राइटिस और स्पान्डिलाटिस जैसे ऑटोइम्यून रोगों में हमारी प्रतिरोधक क्षमता health कोशिकाओं पर हमला करने लगती है। इस कारण pain व् swelling की problem होती है। इसका असर आँखों में लाली, कमजोर दृष्टि, dry eye, केराटाइटिस (कार्निया में जलन) व् आँखों की मध्य परत युविया में सूजन आ जाती है।

Neurological Problems

थकान, tension और कैफीन के असर के कारण कई बार आँख फड़कने लगती है। लेकिन ये neurological disorder के कारण भी हो सकता है। डॉ. जैन के अनुसार neurologic disease जैसे मल्टीपल स्केलेरोसिस में आँखों की नस movement और दृष्टि में बदलाव आता है।

Cholesterol का स्तर

blood में cholesterol का level ज्यादा होने पर आँखों के उपरी या निचले हिस्सों पर पीले रंग का उभारयुक्त जमाव देखा जाता है। senior consultant ऑप्थैल्मोलॉजी उमा मैलिआ के अनुसार, ‘इन्हें जैन्थेलाज्मा कहा जाता है। अगर इन दोनों problems का इलाज नही किया जाता है तो उनके कारण रेटिना और बाकी पूरे body की रक्त कोशिकाएं कड़ी हो जाती है, जिससे stroke या heart attack का खतरा बढ़ जाता है।‘ अचानक आँखों में अँधेरा छा जाना भी दिल की problem का संकेत हो सकता है।

आँखों के Doctor के पास कब जाएँ

1-  1 वर्ष होने पर मोतियाबिंद रेटिनाब्लास्टोमा या भैंगेपन की जांच कराएं

2-  4-6 वर्ष की उम्र में कमजोर नजर व् आँखों की थकान आदि की जांच कराएँ।

3-  14 वर्ष का होने तक हर छह माह पर जांच कराएँ, अगर दृष्टि कमजोर है।

4-  6-40 वर्ष के दौरान हर तीन से पांच साल के अंतराल पर आँखों की जांच कराएं।

5-  40 की उम्र के बाद एक से 2 साल बाद ग्लूकोमा, मोतियाबिंद और प्रेज्बियोपिया (बढ़ती उम्र के कारण आँखों को एक जगह एकाग्र करने में problem) की जांच कराएं।







 
 



  
 

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