Thursday, October 19, 2017

परिवर्तन को गले लगायें



परिवर्तन को accept करना आसान नही होता। यही वजह है कि अपनी परिस्थितियों में बदलाव ला पाना भी दूर की कौड़ी बना रहता है। छोटे-छोटे बदलाव ख़ुशी बाद में देते है, पहले बेचैन कर जाते है। किस्मत का पहिया विपरीत दिशा में घूमता रहता है और मन अच्छी और बुरी शंका और आशंका में घिरने लगता है।

प्रवाह के साथ बहना

motivational speaker लुई एल हे कहती है,’ कोई व्यक्ति, स्थान और वस्तु हमारी स्वीकृति के बिना हम पर हावी नही हो सकते। अपने मन के भीतर हम ही अकेले चिंतक होते है। जब हम मन में शांति, समन्वय और संतुलन बनाने लगते है, तो ये बातें life में भी दिखने लगती है।चीनी दार्शनिक लाउ-ज इसे बदलावों के साथ तैरना कहते है। उनके अनुसार,’ life सहज और स्वाभाविक बदलावों की एक श्रृंखला है। चीजो को स्वाभाविक रूप से आगे की ओर बढने देना जरूरी होता है।

विकास के लिए बदलाव को स्वीकारना जरूरी है। द ऐल्कमी ऑफ़ द डेजर्टमें लेखिका सिंथिया एथीना इसे विंड एंड स्टॉर्म’ formula का नाम देती है। वे कहती है,’ रेगिस्तान में रेत व् धूल भरी आँधियों की रफ्तार बड़ी तेज होती है। ये तूफानी हवाएं positive ‘आयनसे charge होती है। उनकी energy के दबाव से संतुलन गड़बड़ाने लगता है। हम खुद को उखड़ता हुआ महसूस करते है। ऐसे में जरूरी यह है कि हम ये विश्वास रखे कि तूफ़ान हमेशा उजाड़ने के लिए नही आते। यह स्वीकारते ही हम आंधियो से लड़खड़ाने की जगह संतुलन बनाने में कामयाब होने लगते है।

विवेक का यही लचीलापन हमे बदलाव व् विपत्ति के समय जमीन से जुड़े रहने की ताकत देता है और तनकर काम करने की क्षमता भी।

जानना, लेना और छोड़ना

निरंतर विकास की कड़ी में जैन मुनि आचार्य महाप्रज्ञ हेय, ज्ञेय और उपादेय पर जोर देते है। वे कहते है,’जानने, ग्रहण करने व् छोड़ने की प्रक्रिया जब लगातार चलती है, तभी life संतुलन की ओर बढ़ता है।

प्रश्न है कि क्या जाने, क्या ले और क्या छोड़े?

क्या जाने:

यह जानने की कोशिश करे कि आप क्या चाहते है, आपकी ख़ुशी कहाँ पर है? जाने परिवेश और परिस्थितियों को, आसपास के बदलावों व् नई तकनीक को। इस मायने में जानना, हो रही चीजो की मौजूदगी को स्वीकारना और समझना है।

क्या ले:

सूचना, विचार, वस्तु और ज्ञान का अथाह सागर मौजूद है। पर जरुरी नही कि संपर्क में आने वाली चीज को life का हिस्सा बनाया जाए। अपने life की जिम्मेदारी लेते हुए यह चुनाव आपको करना है कि आपके लिए क्या और कितना जरूरी है? हर चीज पर पकड़ बनाने की कोशिश बेचैन करेगी, उर्जा व् संसाधन का व्यय होगा और लक्ष्य से दूरी भी बढ़ेगी। जो जरूरी है, उसे और बेहतर बनाने की योजना बनाये। मेहनत करे।

क्या छोड़े:


अपने पास मौजूद अनावश्यक विचारो, वस्तुओ और भावों के प्रदुषण को कम करे। दुःख पहुंचाने वाली बीती बातों और रिश्तो से खुद को मुक्त करे। क्षमा करे। नये रिश्तो के लिए जगह बनाये। अपने ज्ञान व् वस्तुओ को दूसरो में बाटें।






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