Thursday, June 28, 2018

अपनी ख़ुशी को समझें



Understand Your Happy

हर बार नये साल पर हम खुद को बदलने की ठानते है। बीता साल जिन बातों के लिए खुद को कोसते हुए गुजरा है, उनसे दूर रहने की सोचते हैं। पर जैसे-जैसे दिन गुजरते है, ना आदतें बदलती हैं और ना हम। इस बार अपनी ख़ुशी को समझें और उसे ही ढूंढें...

संत आमतौर पर अच्छी बातें ही करते है। एक जैन संत है, उनके यहाँ जाने पर वह दो बातें हमेशा कहते है, दया का भाव रखना और खुश रहना। अभी कुछ समय पहले मैंने पूछा, ‘संत समभाव रखने के लिए कहते है, आप खुश रहना क्यों कहते है?’ इस पर वह बोले- हर हालात में खुश रहना आसान नही होता। और जो ऐसा करते है, उनमें समभाव आ ही जाता है।

अनुकूल हालात होने पर हम खुश होते ही हैं। दिक्कत तब होती है, जब हम खुद को वैसा नही पाते, जैसा होना चाहते है। यही वजह है कि जब तब खुद को बदलने की इच्छाएं जोर मारती रहती है। इस बीच कभी हम खुद से नाखुश होते है तो कभी दूसरों से। कितनी ही बार हमारे लक्ष्य केवल खुद को साबित करने की प्रतिक्रिया भर होते है। और यही हम मार खा जाते है। सब ठीक होने के बावजूद खुश नही हो पाते। खुद को बदल नही पाते।

नजर हो ख़ुशी पर

बेहतरी के लिए बदलाव करना ही चाहिए। नये सपनों और इच्छाओं को life में जगह मिलती रहनी चाहिए। और यह नये साल पर भी हो सकता है या फिर किसी भी अन्य दिन। पर यह पूछना भी जरूरी है कि आप क्यों बदलना चाहते है? कनाडा की bestseller writer डेनियल लापोर्ट कहती है, ‘इरादे और लक्ष्य हमारे विस्तार और आजादी का जरिया होते है। लेकिन जैसे ही हम हथौड़ा लेकर लक्ष्यों को पूरा करने के पीछे पड़ जाते है तो कुछ हासिल नही होता। और फिर हम अपने आत्मसम्मान, सम्बन्ध और रचनात्मकता को चोट पहुँचाने लगते है।‘

प्रश्न हो सकता है कि कुछ तय किये बिना कहां कुछ हासिल होता है? बदलाव के लिए बेचैनी होगी ही? पर मनोविज्ञान कहता है कि जब तक लक्ष्य हमारे मूल्यों से नही जुड़ते, तब तक बदलाव नही आ पाता।

‘सेवन हेबिट्स ऑफ़ हाइली इफेक्टिव पीपुल’ के writer स्टीफन कोवे, बदलाव के लिए लक्ष्यों को जीवन मूल्यों से जोड़ने पर जोर देते है। वह कहते है, ‘किसी जगह जाना आपका लक्ष्य हो सकता है, पर घूमना जीवन मूल्य है। घूमने की जगहें यानी लक्ष्य बदलते रहते है, पर value नही।‘

वजन कम करना लक्ष्य हो सकता है, पर अच्छी health आपका जीवन मूल्य है। इसी तरह दया, ईमानदारी, करुणा, उदारता, न्याय, ज्ञान, नेतृत्व, समृद्धि, रचनात्मकता, मेहनत आदि 418 तरह के जीवन मूल्य बताये गये है। खुद को बदलते समय हमें इन्ही मूल्यों को ध्यान में रखना जरूरी होता है। मनोवैज्ञानिक स्टीफन हेज इसे ‘एक्सेपटेंस एंड कमिटमेंट थेरेपी’ के रूप में पेश करते है। उनके अनुसार, ‘अगर आप अपनी ‘core values’ के अनुसार नही जी रहे है तो खुश हो ही नही सकते।‘
यूँ भी ख़ुशी कोई मानसिक स्थिति नही है, यह निरंतर मिलने वाला अनुभव है। हमारे व्यक्तिगत प्रयोग है। अपने life को हर गलती, हर अभाव से समझने की सोच है। 

बातें, जो देंगी ख़ुशी

1-  रोजमर्रा के छोटे-छोटे कामों में negative होना छोड़ें। क्या कहा, क्यों कहा, क्या किया। हर बात पर संदेह करना छोड़े। दिमांग शांत रहेगा, दूसरों पर विश्वास बढेगा।

2-  खुद से पूछें कि क्या आप वाकई ऐसा चाहते है? अगर हां, तो उसे पाने का हर प्रयास करें।

3-  खुद को मनुष्य के तौर पर स्वीकारें। आपको भी खुश रहने का अधिकार है। खुद को गलतियां करने की छूट दें। दूसरों की तारीफ करें।










    
  

  


No comments:

Post a Comment