Monday, December 4, 2017

Vegetable Grown yourself , eat well (सब्ज़ी खुद उगायें, खूब खाएं)



सौंफ,मेथी,धनिया,तुलसी,पुदीना आदि की भारतीय kitchen में खास जगह रही है। कैसा हो अगर आप अपनी छत, बरामदे में भी इन्हे जगह देकर अपना खुद का garden तैयार करें और ताज़ी हरी सब्जियों व् औषधीय पौधों को अपने और परिवार की सेहत के लिए इस्तेमाल में लायें।

हिमाचल प्रदेश स्थित Himalayan research institute for yoga and naturopathy में senior medical officer आशुतोष गुलेरी ने अपने घर में एक garden बनाया हुआ है, जहां वे तुलसी व् धनिये जैसे औषधीय गुणों से युक्त पौधे लगाते हैं।

चाहें तो आप भी इस तरह के पौधों को अपनी जरूरत के अनुसार लगा सकते है। इस तरह ये चीजें व्यावसायिक फसलों में इस्तेमाल होने वाले रसायनों से भी मुक्त रहेंगी। आशुतोष गुलेरी के अनुसार औषधीयों को जितना fresh इस्तेमाल में लाया जाये, उतना बेहतर। फसल के रूप में कटाई होने और सेवन में देरी होने पर उसके पोषक तत्वों में कमी आती रहती है। इन पौधों में vitamin, minerals,antioxidant व् फाइटो न्यूट्रीएंट्स भरपूर मात्रा में होते है। research कहते है इन औषधियों का नियमित उपभोग संक्रमण, सूजन, जलन, मोटापे व् जोड़ो के दर्द में राहत पहुंचाता हैं।
All India kitchen association की member अनीता अग्रवाल कहती है, ‘सबसे अच्छी बात है कि ऐसे पौधों को अधिक रख-रखाव की जरूरत नही होती। कम समय में भी इनकी देखभाल की जा सकती हैं।  इन्हें जरूरत है तो बस थोड़ी सी धूप,पानी,रोशनी,हल्की मिटटी और पत्तियों की खाद की। इनमे से कुछ पौधों को आप कांच की बोतल या छोटे गमलो में भी लगा सकते हैं।

दो सप्ताह की अवधि के युवा पौधे यानी माइक्रोग्रीन, खासतौर पर फ्लेवर और पोषक तत्वों से भरपूर होते है।  माइक्रोग्रीन पौधों की उस अवस्था को कहते है, जब पौधों में शुरूआती पत्तियां आती है। माईक्रोग्रीन को आप साल भर उगा सकते है और ये 7 से 10 दिन में तैयार भी हो जाते है। इन्हे कम पानी की जरूरत होती है। कैसे कर सकते है इन्हे तैयार

पुदीना

कैसे उगायें

पुदीने के एक छोटे से गुच्छे को नीचे से लगभग दो इंच की लम्बाई में काट लें। अब निचले हिस्से की पत्तियों को हटा लें और गांठ यानी पत्ती वाली जगह के नीचे से काट लें।  अब तने को पानी के गिलास में रख लें। इसे तब तक हवा व् रोशनी में रखे, जब तक इनमें जड़े आने लगें। ऐसा होने में लगभग दो सप्ताह का समय लगता है। जैसे ही जड़े निकलने लगती है, उन्हें लगभग 10 इंच गहरे गमले में रेतीली मिटटी में बो दे। मिटटी में नमी बनाये रखे। बहुत अधिक पानी न डालें। इस पौधे को हर रोज 5 से 6 घंटे की सूरज की रोशनी में रखना जरूरी है।

उपयोग करें

पुदीने की सुगंध और flavor चटनी, शीतल पेय व् सलाद में खासे पसंद किये जाते है। पुदीने का रस अपाचन और मरोड़ में लाभ पहुंचाता है। 2012 में बायोशिमी journal में प्रकाशित एक study के अनुसार पुदीने में मौजूद एक तत्व प्रोस्टेट कैंसर को बढ़ाने वाली कोशिकाओ को बढने से रोकता है। new Delhi स्थित max super specialty hospital में clinical nutrients व् डायटिक्स सौम्या श्रीवास्तव के अनुसार,’पुदीना skin के लिए फायदेमंद होता है। skin के संक्रमण में भी इससे राहत मिलती है। इसलिए इसे क्लींजर व् टोनर के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं।

तुलसी

कैसे उगायें

तुलसी के बीजों को छोटी सी मटकी में एक चौथाई इंच गहरे दबा दें। इस मिटटी में रेत, सामान्य मिटटी व् खाद मिली होनी चाहिए। जब तक बीज फूटने न लगे, तब तक मिटटी में नमी का बने रहना जरूरी है। इसमे 5 दिन से 3 सप्ताह का समय लग सकता है। अब जैसे- जैसे दो से तीन पत्तियों के जोड़े बनते रहे, इन्हे 6 से 8 इंच के container में बोयें। मिटटी में नमी बनाये रखें। हर दिन पौधे को एक से दो घंटे की धुप दें।

उपयोग में लायें

ayurvedic medicine में तुलसी का काफी इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी में antioxidant की प्रचुरता रहती होती है। साथ ही इससे रक्त में glucose व् शर्करा के स्तर को बनाये रखने में मदद मिलती है। उबलते हुए पानी में तुलसी की तीन से चार पत्तियां डाल कर इसकी भाप भी ले सकते है, जिससे श्वसन सम्बन्धी संक्रमण को दूर करने में मदद मिलती है। तुलसी के रस का घर में छिड़काव करने से मक्खी व् मच्छर दूर रहते है। ब्रिटेन में वर्ष 2009 में British फर्मास्यूटिकल confreres में पेश किये गये एक study अनुसार तुलसी से सूजन व् जलन को 73% तक किया जा सकता है।

लेमनग्रास

कैसे उगायें

लेमनग्रास के डंठल को जार में एक इंच पानी डाल कर रखें। दो-तीन दिनों के भीतर जड़ो में स्प्राउट्स निकलेगे। इन्हे हल्की मिटटी में दबा दें। इनमे खूब पानी दे, पर मिटटी पूरी तरह पानी में डूबी नही होनी चाहिए।

उपयोग में लायें

थाई और वियतनामी व्यजनो में इस flavor का काफी इस्तेमाल किया जाता है। अनीता अग्रवाल के अनुसार,’ऐसे लोग जिन्हें कब्ज रहता है, वे चाय में इसका इस्तेमाल कर सकते है।लेमनग्रास की चाय पाचक ग्रंथि की सफाई करती है, जिससे मधुमेह होने की स्थिति में रक्त शर्करा को control रखने में मदद मिलती है। वर्ष 2011 में प्रकाशित journal of एथनोफार्मेकोलोजी के अनुसार लेमनग्रास से तनाव को कम करने में भी मदद मिलती हैं।

मेथी

कैसे उगायें

छोटे पौधे के रूप में इसे उगाने के लिए केवल 5 से 6 दिन का समय लगता है। इसके बीजो को रुई और उन के गोले में फैला कर इन्हे रोशनी में रखे, पर सीधे सूरज की धुप इन पर नही पड़नी चाहिए। पानी सूखने के बाद ही इन पर पानी का छिड़काव करें।

उपयोग में लायें

मेथी से ग्लिसमिक index काबू में रहता है और यह सुजन व् जलन को भी कम करता है। ग्लिसमिक index भोजन में मौजूद विभिन्न तरह के कार्बोहाइड्रेट के रक्त शर्करा पर होने वाले असर का मापक है। सरसों और मेथी को पीस कर पट्टी पर इसका लेप करके आर्थोराइटिस में दर्द वाले जोड़ पर लगाने से आराम मिलता है। श्रीवास्तव कहते है,’प्रसव के बाद महिलाओ के लिए मेथी का सेवन जरूरी बताया गया है। इसमे मौजूद डायोज्गेनिन माताओं में अधिक दूध बनता है। journal of पीडियाट्रिक साइंसेज में प्रकाशित study के अनुसार मेथी की herbal चाय पीने से मांओ में अधिक दूध बनता है। कढ़ी, दाल, परांठा आदि भारतीय व्यंजनों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

सरसों

कैसे उगायें

मेथी के तरह ही समान प्रकिया सरसों के लिए अपनाएँ।

उपयोग में लायें

आशुतोष गुलेरी के अनुसार,’ सरसों की पत्तियों में फाइटोन्यूट्रीएंट्स,vitamin,minerals व् fiber प्रचुरता में होते है, जो cholesterol को control रखते है। सरसों के स्प्राउटस का सेवन ओस्टिओपरोसिस और एनीमिया में राहत पहुंचाता है। इसके अलावा heart रोगों, अस्थमा,आंत व् प्रोस्टेट cancer में भी राहत मिलती है।

श्रीवास्तव के अनुसार,’antioxidant की प्रचुरता के साथ सरसों बुढापे की प्रक्रिया को भी धीमा करती है। journal of biological chemistry में प्रकाशित study के अनुसार इससे एल्जाइमर्स रोग होने की आंशका भी कम हो जाती है।

गुलेरी यह भी कहती है,’ hypertension के मरीजों को इसका इस्तेमाल ध्यानपूर्वक करना चाहिए। सरसों का अधिक और बार-बार इस्तेमाल रक्त के दबाव को बढ़ा देता है।

सौंफ

कैसे उगायें

बीजो को दस इंच गहरे गमले में मिटटी में दबाएँ। इस गमले को polythene से ढंक दे। जैसे ही अंकुरण होने लगे, गमले को रोशनी में रख दे। पानी का छिड़काव मिटटी सूखने पर ही करें।

उपयोग में लायें

सौंफ में मौजूद iron,फास्फोरस,calcium,magnesium, zinc और vitamin bones को मजबूत बनाते है। आशुतोष कहते है,’सौंफ हाजमे को दुरुस्त रखती है, जिससे अतिरिक्त वायु और तरल बाहर निकलते है। पाचन दुरुस्त रखने वाले enzymes बाहर निकलते है। इससे period system ठीक होता है।









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