Friday, August 11, 2017

लोग आपकी क्यों नही सुनते? Log Apki Kyon Nhi Sunte?

Why do not people listen to you

जब किसी बच्चे की बात को seriously से सुना जाता है, तो अपनी नजरो में वह थोडा और उपर उठ जाता है। लेकिन इसके लिए उन्हें सुना जाना प्रमुख और important बात है। व्यस्को पर भी यह बात लागू होती है। अगर आप अपनी बात से किसी का ध्यान कुछ देर के लिए खुद पर रोक नही पाते, तो खुद को बिलकुल अच्छा नही लगता। दरअसल इसका एक मतलब यह भी होता है कि आगे चलकर लोग आप पर ही ध्यान देना बंद कर दे।

अगर आपको लगता है कि आपकी तो कोई सुनता ही नही, तो सोचिये कि इसका कारण क्या हो सकता है? इसका मतलब यह नही है कि इसका कारण हम दुसरो में खोजने लगे, ना ही इसका  एक मतलब यह है कि आप गलत है। problem है संवाद की और यह सब जानते है कि संवाद एक दो तरफा प्रकिया है। इसके ध्यान में रखते हुए घर हो या office मुझे ऐसे सात कारण समझ में आते है, जिनके कारण हो सकता है कि लोग आपकी बात पर ध्यान नही देते हो-

1-  अगली बार जब आप अपनी बात किसी से कहना शुरू करे, तो एक बात पर गौर करे। कही आपकी शुरुआत उलझी हुई तो नही होती? इस कारण बात पहली बार में ही जमती नही। आप बात कुछ यूँ शुरू करते है उसमे निहित सन्देश लोगो को खोजे नही मिलता। कुछ ऐसे कि मानो माला पिरोते समय एक गांठ लगाना भूल गये और पूरी बात बिखरकर रह गई।

2-  हो सकता है कि उसी समय किसी और चीज ने उनका ध्यान अपनी ओर खीच लिया

3-  वे आपकी बात में रूचि नही रखते , लेकिन वे इसे आपसे कह नही पा रहे है। 

4-  वे दिनभर इतने लोगो को सुनते है कि ना चाहते हुए भी उनका ध्यान बंट जाता है।

5-  हो सकता है कि आप जो कह रहे है, उस person की उससे जुडी कुछ निजी धारणाये हो।

6-  आपने अपनी बात कहना उस समय शुरू किया, जब person सुनने के लिए पूरी तरह तैयार नही हो पाया था।

7-  आप दुसरे person पर कुछ ज्यादा ही जवाब डाल रहे हो, क्योकि tension के चलते लोग किसी बात पर ध्यान देना बंद कर देते है।

इन सारे कारणों का हल भी निकाला जा सकता है। इसके लिए अपनी बात कहते समय आप थोड़ी सतर्कता बरतने की आदत डाले, ताकि आपकी बात से ध्यान हटाने वाली हर बाधा को आप तुरंत रफा-दफा कर सके। अगर चाहते है कि लोग आपकी बात को एक समझदार person का नजरिया मानकर ध्यान से सुने, तो अपने में कुछ तरीके से  बदलाव जरुर कर सकते है-

1-  तर्कों में अति ना करे। इसे कम करके केवल एक बिंदु बनाये। यह जरूरी है कि आप भी इस एक बिंदु से सहमत हो। फिर यदि स्पष्टा है तो कहे। फिर यह समझने की कोशिश करे कि क्या आपकी यह बात सुनी गई? अगर आपको लगता है कि वे आपकी बात नही सुन रहे, तो एक बार मुद्दे पर उनकी राय भी पूछे। किसी भी कीमत पर एक साथ बहुत सारे पक्ष- विपक्ष के साथ बात न करे, वरना वे एक-दो वाक्यों के बाद ही ध्यान देना बंद कर देगे। 

2-  कहते है बात हमेशा मौका और दस्तूर देखकर की जाती है। आप अपनी बात तब कहे, जब सुनने वालो का ध्यान एक से अधिक चीजो पर ना हो। कई बार यह मुश्किल काम ही होता है। ऐसे में यह बिलकुल ना पूछे कि क्या आपके पास एक minute है? क्योकि अधिकतर लोग नम्रता में हाँ तो कह देगे,पर आपकी बात को seriously से सुने, मुश्किल ही है।

3-  बहुत सारे लोग ऐसे होते है, जो सुनने की acting में माहिर होते है। दरअसल हर आदमी उनसे 2 minute बतियाना चाहता है। ऐसे में वह यह आदत develop कर लेते है। ऐसे लोग भी आपकी बात में रूचि ले, ऐसा चाहते है, तो उनसे अपनी बात कहिये, जिनकी बात पर वे अति व्यस्त लोग भी ध्यान देते है।

4-  जो लोग आपकी बात में रूचि दिखाए, उन्हें ही अपनी बात सुनाये, वरना उत्साह कम ही होगा। उनकी अनिच्छा होते हुए भी उन्हें आपकी बात सुननी पड़ी, इस पर नाराजगी भी हो सकती है। इससे बेहतर है कि आप उनसे पूछ ले। अगर उन्होंने ना कहा भी, तो कम से कम आपके और उनके बीच इमानदारी का रिश्ता तो कायम हो ही जायेगा।

5-  अपनी बात से किसी की दुखती रग को छू देना बहुत अच्छी बात नही है। अगर ऐसा हो, तो क्षमा मागते हुए वहां से हट जाए। उसकी भरपाई करने वाले तर्क ना दे।

6-  अगर आप गलत वक्त पर अपनी बात शुरू कर बैठे है और अचानक यह बात आपको पता चलती है, तो अपनी बात वही रोक दे। अपनी बात पूरी करने के लिए अड़े रहना अच्छा सन्देश प्रेषित नही करेगा।

7-  अपनी बात कहने के लिए बहुत ज्यादा कोशिश ना करे। कई बार ज्यादा दबाव से और विरोध ही मिलता है। इसे भांपकर अपनी बात को आगे के लिए टाल दे। इसका मन्त्र यही है कि पहले एक जुडाव बनाया जाये। थोडा निजी और serious वातावरण बनने दे। जब कोई अपने बंधे हाथ आराम से खोलकर बात करने लगे, जब कोई आपकी आँखों में देखकर बात करने लगे या मुस्कराने लगे, तो इसका मतलब एक जुड़ाव बन चुका है। अब वह आपकी बात सुनेगा भी। आशा करता हूँ कि मेरे इन तरीको से आपकी खुद से यह complain खत्म होगी कि लोग आपकी सुनते नही। ख़ुशी की राह पर आगे बढ़ते रहे।


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