I.P.O
कोई भी Company पहली बार पूजी जुटाने के लिए
सार्वजनिक निर्गम जारी करती है तो इसे ‘ initial public offer ‘(I.P.O) कहते है। सार्वजनिक निर्गम में जिन
आवेदकों को share का आवटन होता है। share की सुचिबद्रता के बाद share market के जरिये उन्हें
खरीदा बेचा जा सकता है।सुचिबद्रता के बाद होने वाले सोदों को secondary
market कहा जाता है।
company जब अपने विधमान शेयरधारको को ही share प्रस्तावित
करती है तो ऐसे निर्गम को राईट निर्गम कहा जाता है। company जब
निरंतर profit अर्जित करने वाली होती है तो वर्ष दर
वर्ष लाभ में से कुछ हिस्सा शेयर धारको को बतोर लाभांश वितरित करती रहती है बचे
हुए लाभ का हिस्सा जब सचित होता है ओर उस सचित राशी का पुजिकरण करके उस राशी से
अपने विधमान शेयर धारको को निधारित किये गये ratio में share
निशुल्क आवंटित किये जाते है तो इसे bonus share कहा जाता है।
Company
को अपने I.P.O. के लिए grading करवानी पडती है ये ग्रेडिग crisis सहित विभिन्न ग्रेडिग company के fundamental
के आधार पर एक से पांच के क्रम में दी जाती है। इसमे पहले क्रम की कंपनी fundamental की नजर से
कमजोर समझी जाती है। जबकि grade 2
साधारण, grade-3 अच्छी company होने का
परिचायक है। grade-4 व grade-5 की company का fundamental मजबूत
ओर उल्लेखनीय स्तर का परिचायक है।
शेयर धारक को जब इसके खरीदने के 12 महीने के अंदर बेचकर profit कमाता
है तो ऐसे profit पर short term केपिटल लाभ कमाया जा सकता है। इस पर कोई tax
नही लगता।
जो निवेशक खरीदे गये share को बारह महीने के बाद
बेचकर उस पर profit कमाते है तो ऐसे profit पर कोई tax नही लगता इसे long term केपिटल गेन कहा जाता है।
Sensex
Sensex
B.C.E या benchmark सूंचकांक है,जिसमे 12 महत्वपूर्ण औधोगिक क्षेत्रो की 30 bluechip कंपनियों का समावेश है,जिसके कारन इसे market
में उतार-चड़ाव का बैरोमीटर समझा जाता है। sensex की घट-बढ़ बाज़ार की मंदी या तेज़ी दर्शाती है।
Tips
लोग एक दुसरे को कहते रहते है की कोन सा share तीन
महीने में double हो जायेगा, market की
भाषा में ऐसी सलाह को tips कहा जाता है।
अधिमानित share (प्रिफरेंशियल share)
अधिमानित share पर आदमी को एक निशिचत दर से लाभांश
प्राप्त करने की सुविधा मिलती है। इस तरह के शेयरधारक को profit में से सबसे पहले हिस्सा मिलता है इस शेयरधारक यानि आदमी को company
का हिस्सेदार नही माना जाता है। profit के
आधार पर अधिमानित share भी तीन तरह के होते है।
1 असंचयी अधिमानित share (non cumulative प्रिफरेंशियल share)
यदि company किसी कारणवश पहले साल profit नही कमाती है ओर इसकी जगह दुसरे साल में profit कमाती है इस हालत में आदमी दोनों वर्ष में profit प्राप्त
करने का दावा नही कर सकते है।
2 संचयी अधिमानित share (cumulative प्रिफ्रेशियल
share)
यदि संस्था या company किसी वजह से पहले वर्ष
लाभ नही कमाती है ओर दुसरे वर्ष profit की हालात में आती है
तो इस हालत में आदमी को दोनों वर्ष profit प्राप्त करने का
दावा कर सकते है।
3 विमोचनशील अधिमानित share (तिदीम्ड cumulative प्रिफरेंधियल share)
इस तरह के शेयरधारक को उसकी पूंजी का निशिचत समय के बाद
लाभांश के साथ लोटा दी जाती है। इस प्रकार के शेयरधारको का company से
जुडाव पूरी तरह अल्पकालिक होता है ओर company की इच्छा पर
निभर करता है।
Equity
share
इस share
को आमतौर पर ordinary share के नाम से भी जाना
जाता है। equity share ही किसी company में हिस्सेदारी को निधारित करती है। वास्तव में
equity शेयरधारक company के हितो व्
अहितो से सीधा जुड़ा होता है ओर company के लाभ हानि का उस पर
सीधा प्रभाव पड़ता है। इसे company के फैसलों पर अपनी राय और मत देने का अधिकार प्राप्त होता है।
ध्यान देनेवाली बात ये है की equity शेयरधारको
को उनका profit अधिमानित शेयरधारको को उनका profit लाभ देने के बाद भी मिलता है। आजकल share
शब्द का अर्थ equity share से भी लगाया जाता
है।
Bonus
Share का फायदा
जब company
को वर्ष में बहुत ज्यादा profit होता है तो
ऐसे में company के पास लाभांश का वितरण करने के बाद भी काफी
धन शेष रह जाता है इस लाभांश को बाटने के लिए उन्हें equity share की शक्ल दे दी जाती है ओर उन्हें ratio में
शेयरधारको के बीच बाँट दिया जाता है इस अतिरिक्त share को ही
bonus share कहते है। इस प्रकिया
में company के शेयरधारको की सख्या में कोई बदलाव नही होता
है। लेकिन आदमी के share की सख्या अधिक हो जाती है।
Right
Issue का माजरा
आदमी जिस company में धन लगाया है वह company नये share जारी करती है लेकिन company हिस्सेदारों की सख्या नही बढ़ाना चाहती है। ऐसी स्थिति
में company अपने पुराने शेयरधारको को ही उनके share के ratio में नये share जारी
कर देती है। इन share को अंकित मूल्य के बराबर या फिर
बाज़ार मूल्य से कम दाम पर शेयरधारको को मुहैया करवाया जाता है। ये share ही right issue कहलाते
है।
बाज़ार प्रतिष्ठा और बाज़ार मूल्य
Share
की खरीद फरोख्त के आधार पर दो तरह के market होते
है।
1- कोई भी company अपने
share प्राथमिक बाज़ार या primary market में ही जारी करती है। प्रत्येक share पर एक निशिचत
मूल्य अंकित होता है जिसे company का प्रमोटर्स निधारित करता
है। अगर आदमी अपने share सीधे company
से खरीदते है तो यह सोदा primary में होगा।
2- Secondary market में share का मूल्य अंकित मूल्य से ज्यादा होगा
क्योकि ये company से बाहर से खरीददारी होती है। ओर इसके price
कंपनी के value पर होती है।
Demat
Demat
का अर्थ Dematerialization से
लगाया जाता है इसका मतलब है की आपको किसी company की सम्पति
अमौखिक या अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त हो गई है। उसी का
हिसाब रखने के लिए demat account की व्यवस्था की गई है। demat
account खुलवाने के लिए आपको निकतम depository तक अपनी पहुच बनानी होगी।
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