Monday, September 11, 2017

Feedback सही दशा से मिलेगी दिशा

feedback


हम अपनी कामकाजी life का एक-तिहाई हिस्सा office में गुजारते है। अपने काम के प्रति सदैव positive रहते है, काफी मेहनत करते है, सारा काम समय से पूरा करते है। इसके बावजूद हमे यह पता नही चल पाता है कि हमारी performance कैसी है और boss हमारे काम से किस हद तक संतुष्ट है। कई बार तो यह भी आभास नही हो पाता है कि office में हमारी भूमिका किस स्तर की है। इन सब का असर हमारे प्रदर्शन पर पड़ता है तथा उत्पादन प्रभावित होता है। देखा जाये तो यह सारा खेल ‘feedback’ की कमी का है। बिना feedback के काम शुरू करने का मतलब है बिना किसी map या संकेत चिह्न के यात्रा शुरू करना। आपके पास भले ही काम की अच्छी समझ हो, लेकिन काम को track पर रखने के लिए यह पर्याप्त नही है। यदि कर्मचारियों के पास थोडा सा भी feedback हो तो वे काम को track पर ला सकते है।

Feedback फैमिन

अक्सर देखा गया है कि पुरे जोश के साथ अपना काम करते है, लेकिन feedback के आभाव में निरंतर एक तरह की गलतिया दोहराते रहते है। boss व् कर्मचारियों के बीच सुझाव और फैसले में समानता न होकर विरोधाभास नजर आता है। इस स्थिति में feedback फैमिन कहा जाता है। यह feedback फैमिन किसी भी company के लिए खतरनाक होता है। कर्मचारियों की कार्यशैली में भी कोई सुधार नही हो पाता, चाहे company किसी भी स्तर की हो।

मिलती है भरपूर ताकत

आपको ऐसे कई लोग मिलेगे, जो success के शिखर पर है। निश्चित तौर पर उन्होंने भी कठिन परिस्थितियों एवं चुनौतियों का सामना किया होगा, दूसरो से अपने कार्यो के बारे में feedback लिया होगा। सही मायने में feedback हमे दिशा दिखाता है कि यदि हम सही रास्ते पर न हो तो खुद को पटरी पर लाये।

सफलता और असफलता का अंतर

feedback एक आसान व् पॉवरफुल management tool है। यह कर्मचारियों की संतुष्टि व् उत्पादन बढ़ाने का काम करता है। इसके जरिये सफलता व् असफलता का अंतर जाना जा सकता है। यदि किसी को समय रहते उसके प्रदर्शन में कमी का पता चल जाए तो सुधार के अवसर व् सम्भावनाये बढ़ जाती है। इसलिए काबिल कर्मचारी अपने वरिष्ठो की बात गहराई से सुनता है।

सुनने को भी तैयार रहे

दूसरो के मुख से अपने प्रदर्शन की निंदा सुनना आसान नही होता, जबकि सच्चाई यह है कि feedback मिले बिना आप अपने बारे में दूसरो की राय नही जान पाते। हमे अपनी सेवा या उत्पाद की गुणवता का अनुमान नही हो पाता। feedback लेने के साथ complain सुनने का धैर्य भी रखे। इसे positive पहल के रूप में ले। हम चाहकर भी feedback की उपेक्षा नही कर सकते। student भी तो entrance exam के रूप में feedback हो पाते है।

कई हो सकते है स्रोत

feedback कई स्रोतों मसलन manager, supervisor, management system, quality control team, मित्र समूह, customer से मिल सकता है। इसमे जरूरी यह नही है कि यह feedback कितना विश्वसनीय है और इस पर काम कर company को किस हद तक तरक्की की राह पर ले जाया जा सकता है।

संदेश positive हो

feedback के बारे में यह आम धारणा है कि यह negative ही होगा, इसलिए इसे positive तरीके से दिया जाना चाहिए, ताकि कर्मचारियों को यह लगे कि यह उनके और company के हित की बात है। कई बार कर्मचारियों की ओर से बेहतर प्रदर्शन नही हो पा रहा है और boss को negative feedback देना है तो फिर उन्हें कहानी बदलनी पड़ेगी। उन्हें कर्मचारियों को हतोत्साहित न करते हुए अपना सन्देश और जरूरत उन तक पहुंचानी होते है। यह काम बहुत ही सावधानीपूर्वक करना का है।

जरुरतो को भी समझे

यदि आप team leader या manager है और आपको कर्मचारियों को feedback देना है तो इसके लिए आपको कई तरह की तैयारी भी करनी पड़ेगी। आपको कर्मचारियों की जरुरतो को भी सुनना पड़ेगा और उन्हें यह भरोसा दिलाना होगा कि आप उनके आइडियाज और जरूरते सुनने के लिए तैयार और इच्छुक है। अपने स्तर की कमिया होने पर कर्मचारियों होने पर कर्मचारियों से तर्क-वितर्क न कर उसे स्वीकार कर लेना सही approach साबित होगा।

Feedback के फायदे

किसी भी workplace पर feedback के ढेरो फायदे है

आपसी समझ: workplace पर feedback मिलने से कर्मचारियों के बीच एक आपसी समझ विकसित होती है कि अच्छी performance के लिए क्या जरूरी है। कर्मचारियों उस हिसाब से अपना काम आगे बढ़ाते है।

विशिष्टता: feedback तब सटीक काम करता है, जब वह किसी खास लक्ष्य से सम्बद्द हो। कर्मचारी फिर उसी के हिसाब से अपने काम में गति अथवा बदलाव लाते है। इससे काम की गति 10 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।

समयबद्दता: कर्मचारियों को यदि उनके काम का feedback मिले तो वे पूरी कोशिश करते है कि किस तरह से उनका काम नियत समय तक पूरा हो। यदि काम में कुछ बदलाव भी हो तो उससे काम प्रभावित नही होता।

आत्म सुधार: feedback से सिर्फ कर्मचारी एवं company की performance में ही सुधार नही होता, बल्कि इससे खुद में भी सुधार होता है। आप उसी दिशा में कदम बढ़ाते है, जो company को feedback फैमिन से बाहर निकालती है।

बेहतर तरीका: feedback की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे काम करने का बेहतर तरीका मिलता है। कर्मचारी focus होकर काम करते है। बस positive दृष्टिकोण आपको भी अपनाना चाहिए।

समस्या-सुधार: company की मुलभुत समस्याए क्या है तथा इनसे कैसे जल्दी निजात मिल सकती है, यह feedback से पता चल जाता है। इसके बाद सभी लोग मिल-जुल कर नये आइडियाज सामने लाते है और हल निकालने की कोशिश करते है।

Office में कार्य में फर्क डालने वाली 7 प्रमुख बाते

1-  64% कर्मियों को नही लगता कि मौजूदा company में कार्य करने का माहौल बढ़िया है।


2-  66% कर्मचारियों को लगता है कि उनकी company में विकास के अवसर सीमित है।

3-  49% कर्मचारी अपने supervisor से खुश नजर नही आये

4-  4 में से 1 से अधिक कर्मचारी के पास कार्य करने के लिए जरूरी tools नही है।

5-  21% कर्मचारियों को ही सिर्फ लगता है कि company में वे भी important है।

6-  44% कर्मचारियों ने पाया कि उनके समकक्ष साथियों से उन्हें सम्मान मिलता है।

7-  मित्र समूह जैसे बहुत से कारण ऐसे रहे, जिनसे कर्मचारियों ने कुछ अलग कर दिखाया।












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