Tuesday, September 26, 2017

Change the Thought of Preconception (पूर्वाग्रह)



निजी और पेशेवर जिन्दगी में धारणाये काफी मायने रखती है। हमारी प्रवृति का अंश होने के कारण इनसे पूरी तरह बचा नही जा सकता, लेकिन इनके होने वाले प्रभाव को जरुर कम कर सकते है। लम्बे समय तक पूर्व बनी धारणाओं के साथ जीने का अर्थ है- पूर्वाग्रह का जन्म। पूर्वाग्रह हमे सहज होने से रोकते है, सामाजिकता का दायरा संकुचित करते है। नतीजा, हम जिन्दगी का एक अरसा फिजूल की दिमागी कसरत में गंवा बैठते है।

कैसे बनते है पूर्वाग्रह

हम जब भी किसी person से मिलते है, तो जाने-अनजाने उसके हाव-भाव और आचार-विचार पर गौर करते है। इसके हमारे भीतर उस person के प्रति एक धारणा बनती है। यह positive या negative रूप में हमारे मन के किसी कोने में बैठ जाती है। फिर जब भी हम किसी नये person से मिलते है, कोई धारणा बनाते है, तो पुरानी धारणाये पुष्ट होती है, तो हम उसका आधार बनने वाली बातो को मापदंडमान लेते है। फिर उस मापदंडके दायरे में आते ही अनजान-से-अनजान person के बारे में भी राय कायम कर लेते है। अपने मापदंडोके प्रति यह विश्वास ही पूर्वाग्रह है।

पूर्वाग्रह को पीछे छोड़े

·         हमारे पूर्वाग्रह कई बार सटीक साबित होते है। लेकिन इस बात को हमे किसी सार्वभोमिक सत्य की तरह नही अपनाना चाहिए। जीवन में एक-सी नजर आने वाली बातो का निष्कर्ष हमेशा 2+2 के परिणाम जैसा हो, यह जरूरी नही है। यही वजह है कि  एक पल में एक person काफी लोगो के लिए अच्छा भी होता है और बुरा भी।

·         विवेक और चिंतन प्रक्रिया को क्रियाशील रखकर पूर्वाग्रह से मुक्ति संभव है। इनकी क्रियाशीलता हमे वर्तमान में ही सोचने-समझने को प्रेरित करती है। हर नई स्थिति को नये तरीके से देखने के लिए प्रेरित करती है।

·         आध्यात्मिक गुरु श्री चिन्मय खुश रहने के लिए आकलन से बचने पर जोर देते है। वह कहते है कि जब आप हर person या चीज का अपनी दृष्टि से आकलन करने लगते है, तब आप खुशियों से दूर होने लगते है। इसलिए कभी किसी से मिले, तो उसे समझने से ज्यादा जानने का प्रयास करे। analysis तभी कारगर होता है, जब वह पर्याप्त जानकारियों पर आधारित हो। इसलिए निरपेक्ष भाव से पहले ज्यादा जानने का प्रयास करे।

भ्रम का भंवर है पूर्वाग्रह

·         पूर्वाग्रह काफी हद तक अंधविश्वास जैसे होते है, क्योकि इनके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नही होता। इस वजह से कई बार हम अच्छे लोगो को भी नाकाबिल या ख़राब मान बैठते है। आइन्स्टाइन की एक मशहूर उक्ति है, हर person प्रतिभावान है। लेकिन जब आप किसी मछली की काबिलियत पेड़ पर चढने की उसकी क्षमता से आंकते है, तो जीवन इसी भ्रम में बीतता है कि वह नाकाबिल है।

·         पूर्वाग्रह की बुनियाद में संदेह की प्रचुरता होती है, जिसके कारण निजी और पेशेवर जिन्दगी शंकाओ भंवर में उलझने लगती है।


·         कभी-कभी अलग-अलग वर्ग, क्षेत्र या भाषा विशेष के लोगो के बीच tension की बाते सुनने को मिलती है। इनकी बुनियाद में आमतौर पर पूर्वाग्रह ही होते है, जो एक-दुसरे से जुड़ने से रोकते है।












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