Monday, January 18, 2021

क्यों फूलती हैं साँसे: Problem in Breath

क्यों फूलती हैं साँसे: Problem in Breath

 

 

covid-19 के infection का एक लक्षण साँस लेने में परेशानी होना भी है। इन दिनों साँस फूलने की हलकी सी complain होने पर पहला ध्यान covid-19 के के infection की ओर जाता है। साँस फूलने की problem कई कारणों से हो सकती है। यह केवल दमा नही है। साँस लेने में तकलीफ होना, साँस खींचकर आना, खांसी और थोड़ी दूर चलने पर ही सांस फूल जाना बहुत से अन्य रोगों में भी होता है। जैसे, COPD, दमा, execution, bronchial, asthma, ILD,PAAH, ABPA आदि। लक्षणों में समानता होने पर भी ये रोग एक-दूसरे से काफी भिन्न होते है। रोगों के लक्षण इस पर depend करते है कि वे कितने serious है और किस चरण में सामने आते है। ये लक्षण खांसी, सीने में हल्के pain, साँस लेने में दिक्कत व् छाती में जकड़न तक हो सकते है। serious स्थितियों में जानलेवा साबित हो सकते है।

Breath से जुड़ी Problem

Asthma (दमा): सांस से जुड़े रोगों में यह problem ज्यादा देखने को मिलती है। इसमें साँस लेने में तकलीफ होती है। यह एक तरह की allergy है। शुरुआत में इलाज होने पर patient सामान्य life जी सकता है। बड़ी उम्र के लोगों में asthma जड़ से खत्म नही किया जा सकता, पर बच्चों में इसे काबू कर सकते है।

Bronchial Asthma: छोटे बच्चों को excute bronchitis ज्यादा होता है, वही बड़ी उम्र के लोगो में chronic bronchitis की problem ज्यादा पाई जाती है, जो उम्र के साथ बढ़ती जाती है। बड़ो में इसके कारण धूम्रपान, virus, bacteria या pollution हो सकता है। इसमें श्वास नालियों, मुंह, नाक और फेफड़ों के बीच oxygen जाने का मार्ग सूज जाता है, जिससे फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है। पीड़ित को खांसी के साथ गाढ़ा बलगम आने लगता है।

COPD (Chronic Objective Pulmonary Disease) यह एक serious problem है। इसमें फेफड़ों में छेद हो जाते है या वे पूरी तरह खराब हो जाते है, जिससे मरीज पर्याप्त oxygen नही खींच पाता। सांस छोड़ते वक्त काफी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड फेफड़ों में ही रह जाती है। asthma रोगी बदलते समय मौसम में ज्यादा परेशान होते है, वही COPD के patient हर मौसम में तकलीफ में रहते है। आकंड़ो के अनुसार देश में COPD से हर दिन करीब 2300 मौतें हो रही है।

ABPA ( Acute Bronchopulmonary Aspergillosis) यह बीमारी नमी या समुद्री क्षेत्रों में रहने वालों में
 ज्यादा पाई जाती है। यह फेफड़े से जुड़ा रोग है, जो aspergillus antigen के लिए patient का
 अतिसंवेदनशीलता से होता है। वैसे, cystic fibrosis व् asthma पीड़ितों में भी इसके होने की आशंका
 रहती है। इसमे सीने में घरघराहट के साथ बलगम आना, सीने में pain और fever होता है। 
PAAH (pulmonary Artery Hypertension) इसके लक्षण asthma से मिलते है, पर स्थिति उससे 
ज्यादा serious होती है। यह फेफड़ों की धमनियों में high bloodpressure से जुड़ा ऐसा विकार है,
 जिसमें मरीज के दिल के दाहिने भाग को फेफड़ों तक blood पहुँचाने में मेहनत करनी पड़ती है। 
धमनियां सूजकर सख्त और संकरी हो जाती है। इससे दिल पर तो भार पड़ता ही है, मरीज को सांस 
लेने में भी बहुत दिक्कत होती है। 
ILD ( इंटर स्टीशियल लंग डिजीजेज) फेफड़ों के बीच से होकर जाने वाले वायु मार्ग को इंटरस्टीशियल 
कहते है। इसमेम वायुमार्ग के बीच की cells सूज जाती है। patient ठीक से साँस नही ले पाता और
 blood में पर्याप्त oxygen नही पहुंचती। Pulmonary fibrosis व् आक्यूपेशनल लंग डिजीज इसी 
बीमारी के कुछ प्रकार है। इनमें थोड़ा सा शारीरिक श्रम करते ही सांस फूलने लगती है। infection, 
महीन धूल के कणों व् पक्षियों के contact में आने से यह problem आती है। 
Breath के रोगी इन बातों का ध्यान रखें
1-  साफ सफाई है जरुरी साँस के patient को मुंह की सफाई पर खास ध्यान देना चाहिए। ऐसे लोगों
 को दिन में कई बार inhaler और nebulizer लेने के साथ medicine व् अतिरिक्त protein लेना
 पड़ता है, इसलिए मुंह की सफाई जरुरी है। जितनी बार inhaler लें, गरारे और कुल्ला करें। रोजाना
 स्नान करें। 
2-  Oxygen Therapy डॉक्टरी सलाह पर ली जाने वाली oxygen therapy बड़ा बचाव करती है।
 जब मरीज खुद साँस नही ले पाता, तब उसे oxygen, cylinder या oxygen कान्सट्रेंटर द्वारा दी
 जाती है।
3-  Mask सांस के patient को बाहर निकलने पर mask पहनना चाहिए। mask हमेशा साफ व् 
अच्छी फिटिंग का पहनें। N-95 और N-98 जैसे mask 25 micrometer से भी बारीक धूल के 
कण रोक पाने में सक्षम होते है। 
4-  आहार सम्बन्धी आदतें हमेशा हल्का और high protein आहार लें। तेज मिर्च-मसालों, ठंडी चीजों
 तथा चिकनाई से परहेज रखें। सांस के patient को गला अकसर सूखता है, इसलिए थोड़ी-थोड़ी देर
 में उन्हें पानी पीते रहना चाहिए। Allergy वाली चीजों से दूर रहें। एक बार में बहुत सारा खाने से
 बचना चाहिए। रात में हल्का भोजन करें। fresh vegetables, मौसमी फलों और सूखे मेवे में 
अखरोट, बादाम व् मुनक्का खाएं। 
आवश्यक जाँच 
1-  Spirometry: इस test में patient की साँस से अंदर ली जाने वाली और बाहर छोड़ी जाने वाली
 हवा की मात्रा मापी जाती है। फेफड़ों की सांस नली की सिकुड़न का पता भी लगाते है। 
2-  Peek Flow इसमें छोटे दे यंत्र द्वारा patient के मुंह से छोड़ी जाने वाली हवा के दाब की जांच
 की जाती है। 
3-  Lung Function Test (LFT) यह जांचा जाता है कि asthma की medicine लेने के बाद 
patient को राहत मिल रही है या नही। 
4-  ILD इसकी जाँच chest x-ray और CT scan से की जाती है। जरूरत पड़ने पर spirometry, 
6 minute चलना और ब्रोकोस्कोपी से भी रोग का पता लगाते है। 
5-  ABG जाँच blood में oxygen का स्तर जांचने के लिए यह test किया जाता है। 

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