Friday, January 12, 2018

कुछ भ्रांतियां जो हमें Meditation से रोकती है.

Meditation
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हम दिन-ब-दिन smart हो रहे है। इसलिए smartphone की तरह हमारी battery भी जल्दी खत्म हो जाती है। थोड़ा सा खुद को इस्तेमाल किया कि battery खत्म। नतीजा आलस, थकान और बोरियत। यह जानते हुए भी कि ध्यान रुपी charger से तन और मन की battery charge होती है, कुछ भ्रांतियां है, जो हमे ध्यान करने से रोकती है। आईये जानते है...

देर से होता है असर

यह सही है कि लम्बे समय के अभ्यास के बाद ध्यान करने की कुशलता बढ़ जाती है, पर body पर इसका सकारात्मक असर जल्द ही दिखाई देने लगता है। हॉवर्ड university और मेसाचुसेट्स जनरल hospital के एक संयुक्त study में आठ सप्ताह तक ध्यान के नियमित अभ्यास से मरीजों में बेचैनी, अनिद्रा, immune system, tension और रक्तचाप के स्तर पर सुधार देखने को मिला।

कठिन है Meditation

अधिकतर लोग ध्यान को जटिल मानकर इसे ऋषि-मुनियों तक सीमित करके देखते है, जबकि किसी अनुभवी मार्गदर्शक से सीखने के बाद यह एक सहज और मनोरंजक क्रिया बन जाती है। ओशो कहते है,’सहज मुद्रा में मौन बैठकर अपने विचारों के देखने से आसान काम कौन सा हो सकता है। अपने विचारो को रोके नही, उन्हें देखे। सिर्फ देखे, अच्छे-बुरे का लेबल न लगायें। यह किसी धर्म विशेष की नही, आंतरिक शांति को पाने की प्रक्रिया है। जब आप कहते है कि मैं दिमाग नही हूँ केवल दर्शक हूँ, उस क्षण कई हैरान करने वाले अनुभव होते है।

दिमाग शांत नही होता

यदि कहा जाए कि आँखे बंद करके उछलते हुए किसी बन्दर को छोड़कर किसी भी चीज पर सोचें, तो मन बार-बार बन्दर की ओर ही भटकता है। विचार, ध्यान के दुश्मन नही है। आचार्य महाप्रज्ञ कहते है,’विचारों को आने से रोका ही नही जा सकता। ध्यान के दौरान विचार आने और उससे मुक्त होने की प्रक्रिया चलती रहती है। धीरे-धीरे अभ्यास के बाद विचार से मुक्त होने का space बढ़ जाता है। भटकते हुए मन को आप श्वास, किसी छवि या मंत्र का स्मरण कर पकड़ने की कोशिश करते है। मन, वचन और काया की एकरूपता ध्यान है। यदि ध्यान में पूरे समय मन भटकता है, तो भी मौन और काया की स्थिरता का लाभ मिलता है। आप अपने उन विचारों को देख पाते है, जिनसे अनजान थे। अपने अहं, क्रोध, लोभ या करुणा के भावों के देख पाना भी कम बड़ी उपलब्धि नही है।

कोई चमत्कार तो हुआ नही

आधुनिक गुरु दीपक चोपड़ा के अनुसार,’ अक्सर लोग complain करते है कि उन्हें कोई खास रंग या कोई मोहक छवि नही दिखी। कोई जादुई अनुभव नही हुआ। यह सही है कि ध्यान में कई तरह के अनुभव होते है, पर चमत्कारिक अनुभव ध्यान का उद्देश्य नही है। ध्यान आराम और सतर्कता का मेल है। ध्यान का असली अनुभव ध्यान के बाद होता है, जब रोज के तमाम कार्यो के बीच एक आंतरिक मौन, आनन्द व् स्थिरता हमारे साथ बने रहते है। ध्यान में इन बातों का ख्याल रखे-

बिना किसी अपेक्षा के ध्यान करे।

कई बार मन बेहद active होता है, तो कई बार तुरंत शांत हो जाता है। कई बार अच्छा लगता है, तो कई बार कुछ अनुभव नही होता। खुद को सहज रखें।

phone बंद कर दें। शांत वातावरण में ध्यान करे।

समय नही है

famous anchor ओप्रा विन्फ्री कहती है,’ ध्यान के लिए समय से अधिक इच्छाशक्ति की जरूरत होती है। मैं हर रोज कम से कम एक बार 20 minute ट्रांसंडेटल मेडिटेशन करती हूँ। हममे खुद को recharge करने की अद्दुत शक्ति है। ध्यान से मन शांत और एकाग्र होता है। हमारी कार्यकुशलता बढ़ती है। और हम समय का बेहतर उपयोग कर पाते है।








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