हर
कोई जीतना चाहता है। हार और जीत की खाई इतनी बढ़ चुकी है कि न हम हार को accept करते है और न ही
जीतने के लिए की गयी कोशिशों को। क्या मंजिल ही एकमात्र ख़ुशी है, उस यात्रा के कोई मायनें नही? अगर जीतना ही सब
कुछ है तो संघर्ष से डर क्यूँ? काम से भागना क्यूँ?
उस
दिन मेट्रो के लेडीज कोच में थोड़ी भीड़ थी। पीठ पर beg लिए एक लड़की हड़बड़ी में अपनी seat से उठी और दरवाजे की ओर बढने लगी।‘side please, मुझे उतरना है। जल्दी है, side दें।‘ एक लड़की ने पूछ ही लिया ’कहां उतरना है आपको।‘ लड़की ने जो बताया वह चार स्टॉप दूर था। वैसे यह बात वो भी जानती थी। दूसरी
ने कहा,’ तो जल्दी क्या है, स्टॉप
तो अपने समय पर ही आएगा। आपसे पहले मुझे उतरना है।‘
यूँ
देखने पर यह बात time
management से जुड़ी दिखती है। पर यह हमारा स्वभाव भी है। मंजिल
तक पहुंचने की हड़बड़ी में हम यात्रा में लगने वाले जरूरी समय की प्रतीक्षा नही करना
चाहते। उस संघर्ष से दूर भागते है, जो हमें मंजिल तक
पहुंचाता है। रास्ते के कई पड़ाव अनदेखे, अनछुए, अनसुने रह जाते है। नतीजा, मंजिल पर पहुंचकर भी
वो ख़ुशी नही मिल पाती, जिसकी उम्मीद होती है।
खैर, मेट्रो वाली लड़की समझदार
थी। उसने तुरंत खुद को सहज किया। उसके बाद वह देख सकी कि सामने वाली line में उसकी friend खड़ी है। वह वहां चली गयी।
शायद काफी दिन बाद मिले थे। चेहरा बता रहा था कि रास्ता अब बोझ नही लग रहा है।
प्रक्रिया
पर हो Believe
सेहत, fitness या कोई अन्य
लक्ष्य! हम दो तरह से काम करते है। एक में ध्यान प्रक्रिया पर होता है और दुसरे पर
परिणाम पर। fitness व् health
coach ब्रेट हैमिल्टन अपने blog ‘ब्रेकिंग
मसल्स’ में एक लेख ‘trusting the
process’ में लिखते है, ‘बड़ी success हासिल करने के लिए प्रक्रिया पर focus होना
जरूरी होता है।‘ प्रक्रिया यानी हर छोटे-बड़े काम को
पूरी सजगता से करना। वे कहते हैं,’प्रक्रिया पर ध्यान देने
वाले लोग यात्रा का आनन्द ले पाते हैं। आत्मविश्वासी होते है, चूक कम करते है और गलती होने पर तुरंत संभल भी जाते है।‘
ख़ुशी
रास्ते में है
जमीन
पर खड़े होकर केवल पहाड़ देखते रहने से चढ़ाई नही हो सकती। पहली बार माउंट एवरेस्ट पर
पहुंचने वाले एडमंड हिलेरी ने कहा है,’ हम पहाड़ो पर नही, खुद पर विजय पाते है।‘ किसी ने जब उनसे पूछा कि
एवरेस्ट चढ़ते हुए क्या कभी लगा था कि वे टॉप पर पहुंच पायेंगे? जवाब में एडमंड ने कहा,’ बिलकुल नही। हमने यह
सोचा था कि अपना सर्वश्रेष्ठ करेगे। जब हम पुरे विश्वास के साथ किसी चुनौती को accept करते है तो तो फिर हार-जीत के फेर में नही पड़ना चाहिए। जितनी बड़ी रुकावट
पार करते है, उतनी ही ख़ुशी मिलती है। केवल उचाई पर
पहुंचने से कही ज्यादा बड़ी है जिन्दगी।‘
‘the bold life’
blog की संस्थापक टेस मार्शल कहती है, ‘रास्तों
की अनदेखी करने वाले लोग मंजिल पर भले ही पहुंच जाएँ, पर टिके नही रह पाते।‘ कर्म की बात हो तो
श्रीकृष्ण याद आते ही हैं। आगे बढने वालों के लिए उनका एक ही मंत्र है, फल की चिंता मत कर, कर्म किये जा। और अक्सर हम
वह जरूरी कर्म करने से ही चूक जाते हैं।
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