पेट में गड़बड़ होना, बहुत पसीना आना या फिर मुहँ से दुगंध आना, कुछ ऐसी बीमारियाँ है, जिनके लिए doctor के पास जाना अक्सर टाल दिया जाता है। ऐसे में उपचार में देरी करना problem को बढ़ा देता है, जिसके लिए बाद में दवा भी अधिक खानी पड़ती है और सही होने में समय भी ज्यादा लगता है। जानते है कुछ ऐसी ही problem...
बहुत पसीना होना
इसे हाइपरहाइड्रोसिस कहते है। बेंगलूर स्थित fortis hospital में internal medicine विभाग की consultant सुधा मेनन के अनुसार इस problem में हथेलियों व् पैरों के तलवों में पसीना अधिक आता है।
क्या करे: हालाकिं बहुत कुछ व्यक्ति के जींस और सक्रियता पर depend करता है, पर साफ- सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। doctor मेनन कहती है,’ पसीना प्रभावित हिस्से को साफ व् सूखा रखे। अस्थायी उपचार के तौर पर कांख में नमी व् पसीने को सोखने वाले एंटीपरस्पिरेंट्स भी इस्तेमाल कर सकते है। आराम न मिलने पर बोटोक्स के injection की सलाह भी दी जाती है। इससे कांख की सिंपेथैटिक नस को ब्लॉक कर दिया जाता है, जिससे पसीना आता है। पर इसे हर छह माह में दोहराना पड़ता है।
urine पर काबू न रहना
केवल बुजुर्गो को ही नही यह problem युवतियों में भी अधिक देखने को मिलती है। बेंगलूर में स्थित
urologist वेंकटेश राव कहते है,’पुरुषों में प्रोस्टेट का बढ़ना इसका कारण हो सकता है। महिलाओं में
बच्चों के जन्म के बाद भी ऐसा हो जाता है, जो मूत्राशय की मांशपेशियों के अनियंत्रित ढंग से
सिकुड़ने व् फैलने के कारण होता है। मूत्र मार्ग में किसी संक्रमण से भी ऐसा होता है। मोटापे के
कारण पेट के निचले भाग के उतकों पर दबाव पड़ना व् stroke, multiple sclerosis व् Parkinson
जैसे रोगों के कारण भी ऐसा होता है।
क्या करें: doctor राव पेडू के exercise करने की सलाह देते है। नियमित अभ्यास से इस पर control
हो जाता है। धीरे-धीरे पेशाब जाने की जरूरत कम महसूस होती है। धीरे-धीरे सांस लेना व् छोड़ना भी
मदद करता है। इन्हें एक साथ बहुत सारा पानी पीने की जगह दिन भर में धीरे-धीरे सांस लेना व्
छोड़ना भी मदद करता है। इन्हें एक साथ बहुत सारा पानी पीने की जगह दिन भर पानी पीना चाहिए।
खांसते व् छींकते समय पेडू की मांशपेशियों को कस ले, इससे पेशाब नही आएगा।
मुंह से दुगंध आना
यह केवल शमिन्दगी का एहसास होने तक सीमित नही है। इसकी वजह मसूड़ों में swelling आने व्
साइनस से जुड़ी हो सकती है। doctor मेनन के अनुसार प्लाक हटाने व् मसूड़ों की किसी भी तरह की
परेशानी से दूर रहने के लिए नियमित दांतों की जाँच जरूरी होती है। जिन लोगो को पेट में acid
बनता है, उनमें मुहं से भी दुगंध आती है।
क्या करे: अगर आप इलायची,सुपारी,मिंट आदि mouth freshener खाते है, तो यह जानना भी जरूरी
है कि यह केवल अस्थायी हल है। वजह acid reflux है। problem का हल करने के लिए lifestyle
को बदलने पर ध्यान दें। body की activity बढ़ाएं। लहसून, पुदीना और प्याज ज्यादा मात्रा खाना
acid बनाता है। अगर आपका weight अधिक है और पेट के मध्य में बसा अधिक एकत्र है तो acid
बनने के कारण एक खास angle पर body का झुकाव होना है। पॉस्चर ठीक रखें।
पेट में गड़बड़ी
पेट में मरोड़ होना, रह-रहकर pain होना, डायरिया या कब्ज होना इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण है। इससे कमजोरी के अलावा बार-बार washroom जाने की जरूरत महसूस होती है। कही आने-जाने में डर लगने लगता है। इसके कई कारण हो सकते है, भोजन न पचना, दूषित भोजन करना, hormones में बदलाव, bacteria पनपना और lifestyle में बदलाव आना। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा tension के कारण भी होता है।
क्या करे: पुणे में Apollo hospital clinic में सर्जन व् ऐंडोस्कोपिस्ट doctor कुलकर्णी के अनुसार इससे बचने के लिए नियमित सुबह नाश्ता करें और तीन बार भोजन करने की जगह पांच से छह बार कम मात्रा में भोजन करें। संतरा,आम, ब्रोकली व् गाजर आदि सब्जियों में मौजूद घुलनशील fiber अधिक मात्रा में लें।
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