मेरी मां मुझसे पूछा करती कि body का सबसे जरूरी हिस्सा कौन सा है। वे पूछती और जो मुझे सही लगता, मै कह देती। जब छोटी थी, तो लगता कि हमारे लिए आवाज सबसे जरूरी है। इसलिए मां ने जब पूछा तो मैंने कहा,’मेरे कान।‘
मां बोली,’नही, दुनिया में बहुत से लोग है, जो सुन नही सकते। खैर तुम इस पर सोचती रहो।‘
कुछ साल बीत गये। मां ने फिर वही सवाल पूछा। चूँकि मै पहले जवाब में गलती कर चुकी थी, अबकी बार मैंने अधिक संभलते हुए जवाब दिया। इस बार मैंने कहा, ‘दृष्टि के बिना सब बेकार है। बस अँधेरा ही अँधेरा। हमारी आँखे ही सबसे जरूरी अंग है।‘
उन्होंने कहा,’ तुम बहुत जल्दी सीख रही हो। लेकिन अभी भी तुम्हारा जवाब सही नही है। दुनिया में बहुत से लोगो को दिखायी नही देता।‘
मै फिर निरुत्तर हो गयी। उत्तर की खोज जारी थी।
माँ ने उसके बाद भी कई बार प्रश्न पूछा और अंत में कहती,’नही, लेकिन तुम बहुत जल्दी सीख रही हो।‘
फिर एक साल ऐसा आया, मेरे दादा इस दुनिया से चले गये। सब बहुत दुखी थे। रो रहे थे। यहाँ तक कि मैंने अपने पिता को भी पहली बार रोते हुए देखा। जब मै दादाजी को अंतिम प्रणाम कर रही थी। मेरी माँ ने मुझसे पूछा,’मेरी बच्ची क्या तुम जानती हो कि कौन सा अंग सबसे जरूरी होता है?’ मुझे आश्चर्य हुआ कि माँ इस समय यह पूछ रही है। मुझे लगा था कि ये मेरे और माँ के बीच चलने वाला एक खेल है।
माँ ने मेरे चेहरे की उलझन को पढ़ लिया। वे बोली,’ये प्रश्न बहुत जरूरी है। ये दिखाता है कि तुम अपनी life को भरपूर जी रही हो। आज वो दिन है, जब तुम्हे इसका उत्तर जान लेना चाहिए। body का जरूरी हिस्सा कंधा है।‘
मैंने पूछा,’क्योकि यह मेरे सिर को संभालकर रखता है।‘
माँ ने कहा,’नही। क्योकि यह किसी friend और करीबी के सिर को उस समय सहारा देता है, जब वे दुःख में होते है। हर किसी को कभी न कभी इसकी जरूरत होती है। मुझे उम्मीद है कि जब भी तुम्हे इसकी जरूरत हो, तुम्हे वह मिल जाए।‘
उस दिन पता चला कि सबसे जरूरी चीजे स्वार्थ सुख से नही जुडती, ये वो होती है जो दूसरो के काम आ सकती है।
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