अनहोनियां
जीवन की कडवी हकीकत है, जिन्हें
एक दुसरे से जोडकर हम और बड़ा कर लेते है। मनोविज्ञान में इस वस स्वभाव को ‘कलस्टरिंग इल्यूजन’ कहते है, जिससे
problem से निपटना कठिन हो जाता है। सच यह है कि hard
time में घबराने की जगह अगर शांति से विचार करे तो बहुत हद तक
स्थितियां हमारे अनुकूल हो जाती है।
असफलता हम सभी के जीवन में आती है और जब वे आती है तो लगता है कि अब कभी खत्म ही
नही होगी। एक के बाद एक इन असफलता से हमारा मनोबल कमजोर
हो जाता है। जब बारिश आती है तो अपने साथ सब कुछ बहाकर ले जाती है। यानी दुःख या सुख,
जीवन में कुछ भी स्थिर नही रहता। लेकिन हमे लगता है कि हम ही अकेले
है, जो इन असफलताओ से जूझ रहे है, जबकि
सच ये है कि हर person इस तरह के experience से गुजरता है। मान लीजिये आप अच्छी भली job कर रहे
और अचानक आपकी job छूट जाती है, तभी आप
देखते है कि सिलेंडर की गैस खत्म होने वाली है, घर में राशन
भी कम ही है।
कई
बार ऐसा होता है कि अनहोनी जीवन में लगातार घटती चली जाती है। हर घटना अलग होती है, लेकिन हमारा brain इन घटनाओ को खुद-ब-खुद एकसाथ जोड़ने लगता है। वे घटनाए, जिनमे कोई समानता नही होती। इसे एक example से समझा
जा सकता है। एक थैले में लाल,नीले, हरे
और पीले रंग के कंचे collect कीजिये। हरे रंग के दस कंचे ले
लीजिये, ताकि किसी एक रंग की प्रधानता न रहे। जैसे ही आप ये
कंचे थैले से निकालकर एक कांच के बर्तन में डालेगे, तो आपको
रंगों के अलग-अलग pattern या design नजर
आयेगे। यह बिना किसी क्रम के बनाये गये group जैसा लगता है।
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि हमारे brain को समूह पहले नजर
आता है और अलग-अलग कंचो का अस्तित्व बाद में। अगर आप अलग-अलग रंग के कंचो पर गौर
करे, तो वे भी आपको पूरी स्पष्टता से नजर आयेगे और इस काम
में आपको ज्यादा जहमत भी नही उठानी पड़ेगी। यह तकनीक हमे बॉगल और स्क्रैबल जैसे word
बनाने से जुड़े खेलो का बेहतर खिलाडी बनाती है।
मुसीबतों
का पहाड़, tension को लेकर हमारी संवेदनशीलता से भी जुड़ा है। इसे इस तरह समझे। आप हर रोज
सीढ़िया चढ़ते है। चूँकि रोजाना का काम है, तो इसका दबाव आपको
महसूस नही होता। पर यदि एक दिन पहले आपने स्क्वेट्स( एक तरह की exercise) किये है, जिससे मांसपेशिया अकड गयी है, तो अब चढने के लिए एक कदम उठाना भी भारी दिखने लगता है। चूँकि हमारा body
बड़ी तकलीफ के साथ जूझ रहा होता है, ऐसे में हम
हर अगले छोटे tension के लिए संवेदनशील हो जाते है। यही बात
हमारी सोचने की प्रकिया पर भी लागू होती है। problem इसी तरह
आती है, पर हमे यह तलाशना होता है कि हम उनका समाधान कैसे
करेगे।
Hard Time में बेकार चिंताओं बोझ हटाए
1- इस प्रकिया का पहला चरण है खुद को शांत और स्थिर
बनाना। शांत भाव से ही आप अपनी problem
से बाहर आने का रास्ता खोज सकते है। problem को
भावना से जोडकर नही, बल्कि तटस्थ भाव से देखे। अपनी problem
के बारे में अगर आप लिखे तो इससे बेहतर कुछ और नही हो सकता। एक सूची
बनाये और अपनी problem की गंभीरता को देखते हुए उनके बारे
में सिलसिलेवार तरीके से लिखे। problem की स्पष्टता कम करती
है।
2- कई बार सहज लगने वाली चीजे भी बिगड़ जाती है।
लेकिन सकारात्मकता नही छोड़े। हालात होगे ये विश्वास बनाये रखे। हमारा brain बहुत शक्तिशाली होता है।
आपको ये जानकर ये हैरानी होगी की success या असफलता के बीच फर्क सिर्फ इतना होता है उसे किस नजरिये से देखा जा रहा है।
3- आमतौर पर बहुत ज्यादा संघर्ष कर लेने पर हमे
लगता है कि कोई इंसान या फिर कोई वस्तु ही हमारे दुःख का कारण है। हमारी असफलता या फिर उसका जश्न मनाने
वाले जब हमारे सामने होते है, तो हार मानकर छुप जाए या फिर
अपनी स्थितियां बेहतर बनाने के लिए दोगने उत्साह से जुट जाए।
4- हुनर या समय का management सीखने के लिए हम खुद को भूतकाल में तो
नही ले जा सकते। हमे इन्हे समय के साथ सीखते रहना होता है। हम अपने अपमान या असफलता को मिटा नही सकते, लेकिन ये जरुर सुनिश्चित कर
सकते है कि यही छोटी-छोटी असफलता हमारी तरक्की की तस्वीर
को और यादगार बना दे।
‘’इस article
के writer ‘एरिक थॉमस’ अमेरिका
में ‘हिप हॉप प्रीचर’ के नाम से
प्रसिद्द है। writer है और पूर्व फुटबॉल खिलाडी रह चुके है।‘’
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