आप
कुछ भी करे, कही भी
जाए, आपका दिमाग आपके साथ जाता है। ऐसे में आप अपने प्रयास
से ही संतुष्ट नही रहते, तो हर समय हैरान, परेशान ही बने रहते है। चीजो को अपने control में
लेने की बैचेनी साथ नही छोडती। problem का समाधान करने की
आदत अच्छी है, पर इसका क्या कोई अंत है? क्या जरूरी है कि हर छोटी या गैर जरूरी बात पर उर्जा और समय खर्च किया जाए?
हर
चीज को control और
ठीक करने की कोशिश brain को शांत नही होने देती। हमे हर समय busy
रखती है। सर्वश्रेष्ठ स्थितियों होने के बावजूद बेहतर से बेहतर
खोजने का प्रयास हमे खुश नही नही रहने देता। प्रश्न उठता है कि क्या अपनी
स्थितियों में बदलाव करना, बेहतरी की ओर ले जाना गलत है?
‘अपनी बेहतरी के लिए हमेशा प्रयास करे, पर यह
कोशिश स्वाभाविक होनी चाहिए। भीतरी असुरक्षा और हीन भावनाओ की उपज नही।‘ यह कहना है professional motivational जुडी सैजमैन
का। अपनी website three principal में वे मन, चेतना और विचार इन तीन की ताकत को सम्पूर्ण बेहतरी का मन्त्र मानती है। वे
कहती है,’ लोगो में जोश, समझ, प्रेरणा या skill की कमी नही होती। उनकी
परिस्थितियां भी संतोषजनक होती है, बावजूद वे अपनी जिन्दगी
को चुनौतीपूर्ण बनाये रखते है। problem यह है कि हम बाहरी
कारणों को दोष देते है, जबकि गलती हमारी अपनी समझ में होती
है।‘
जुडी
सैजमैन के अनुसार, हर चीज
को control करने की कोशिश करना व्यर्थ है। वे ऐसे लोगो के
कुछ लक्षण बताती है,जो उन्हें जीवन में खुशियों से दूर करते
है। उनके अनुसार,ऐसे लोग जो बाहरी परिस्थितियों को ख़ुशी की
वजह मानते है, उन्हें खुश करना मुश्किल होता है। वे हर समय
कुछ न कुछ चिंता करने लायक ढूंढ ही लेते है। आत्म संदेह दूसरो के भले प्रयास को
देखने नही देता। ऐसे लोग हीन भावनाओ की शिकार होने के कारण हर समय दूसरो के प्रति
आंशकित रहते है।
स्वीकार
करना सीखे
‘the little book of
big change’ की लेखिका Dr. एमी जॉनसन अपने लेख
‘let go of control: how to learn the art of surrender’ में कहती है,’ हम चीजो को control करने की कोशिश करते है, क्योकि हम उस स्थिति को
सोचते रहते है कि क्या होगा यदि हमने अमुक काम नही किया। हर चीज को ठीक करने की
प्रवृति के मूल में हमारा डर छुपा होता है। हर चीज को साधने की कोशिश चित्त को
एकाग्र नही होने देती। हम अतीत से future और फिर उसी में
भटकते रहते है।‘ एमी कहती है,’ इस
प्रवृति से बाहर आने के लिए जरूरी है स्थितियों को स्वीकार करना। खुद से पूछना कि
आपका वास्तविक डर क्या है। कही आप अव्यवहारिक चीजो पर दिमाग तो नही लगा रहे। ऐसी
बाते जो आपके control में ही नही है। हर चीज को control
में करना इस universal से मिलने वाले सहयोग पर
विश्वास न रखना है।
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