Tuesday, October 17, 2017

Failure को अलविदा

failure success


खुद पर विश्वास करना सभी का महत्वपूर्ण लक्ष्य होना चाहिए। कुछ मूल क्षमताये सभी के भीतर होती है, जैसे प्यार, विश्वास, ईमानदारी, खुद पर भरोसा आदि। ये बातें सुकून की ओर ले जाती है। धीरे-धीरे आप गौर करना, सही decision लेना, सराहना और आगे बढना सीख जाते है। ऐसे लोग अच्छे दिनों में हवा में नही उड़ते और कठिन दिनों में ढेर नही होते।

कई लोग बड़े-बड़े झटके झेलने के बाद भी success होने का हुनर सीख लेते है। उनके चेहरे पर एक मुस्कान हमेशा झलकती रहती है। ख़ुशी, खुद को खास समझने की और यह विश्वास कि वे आने वाला कल बेहतर बना लेगे।

कभी-कभी career में पिछड़ना भी बेहतरी का संकेत होता है। कुछ लोग अपनी unsuccess को भी success में बदलने में कामयाब हो जाते है। दरअसल उन्हें सैटबैक यानि झटका लगना और failure का भेद पता होता है। दोनों को समान समझने की भूल नही करना चाहिए। धक्का पहुंचना या झटका लगना पूरी तरह टूटना नही है, कुछ निशान और हिम्मत बचे ही रहते है, जो किसी भी स्थिति में फिर से खड़े होने का आत्मविश्वास देते है। यकीन मानिए कि कई ऐसी बाते है, जिन्हें बड़े leader भी नजरंदाज कर जाते है। success कोई टीका नही, जिससे कभी भी unsuccess का मुंह न देखना पड़े। success के साथ पीछे हटने की चुनौतियां भी बराबर आती रहेगी। हालाकिं इनका सामना करने से न केवल आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि आप दिनों दिन अधिक मजबूत होते चले जायेगे।

खुद को Success देखे

खुद से प्यार करने वाले लोग अपने आप को हर स्थिति में बेहतर पाते है। उन पर झटको का असर कम होता है। वे उनसे जल्दी उबरकर आगे बढ़ जाते है। ऐसे लोग, जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि अच्छी होती है, संबंधो में मजबूती होती है, उनकी सफल होने की सम्भावना भी अधिक होती है। आप आत्मसम्मान बढाने के लिए जितने प्रयास करेगे, जिन्दगी में गिरने पर कम घाव पायेगे। आज आत्मसम्मान पर बहुत सी books है। किसी अच्छी book का चयन करे और उसमे लिखी बातो का अपनाना शुरू करे।

Weakness और उनसे लड़ना

अधिकतर व्यस्क जानते है कि वे कहाँ पीछे है। मगर आज के कड़े प्रतियोगी माहौल में अपनी कमजोरियों को accept करना भी पिछड़ने जैसा संकेत देने लगता है। लेकिन अपनी कमजोरियों की पहचान करनी ही होगी। कोई भी superman या superwoman नही होता। हम आईने के सामने खड़े होकर अपनी खामियों को साफ-साफ देख सकते है। भले ही वह गुस्सैल स्वभाव हो या तुनकमिजाजी। खुद को स्वीकार करना ही success की ओर बढना है।

डर से मुकाबला

tension को दूर करने वाली विभिन्न medicine के बिक्री आंकड़ो को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर depression के मरीजो में लगातार इजाफा हो रहा है। चिंताओ से छुटकारा पाने के लिए medicine का सहारा सही है या गलत, मगर निस्संदेह इन्हे नियमित रूप से लेना निदान नही है। यह आपको समझना होगा कि व्यग्रता, tension आदि एक naturally प्रतिक्रिया है। कार्यस्थल पर काम के दबाव को कम करना एक अच्छी पहल हो सकती है। भले इसके लिए शुरुआत में medicine फिर exercise या बाहर कही जाकर relax होने होने जैसे उपाय हो सकते है। अपनी शरीर की सुने। उन इन स्थितियों को पहचाने जो चिंतित करती है।

अपने काम में मगन रहे

कोई भी धक्का तब अधिक गहराई से असर दिखाता है, जब वह किसी सदमे की तरह होता है। अगर आपको इन हालातो का अंदाजा पहले ही हो तो मुश्किल जरुर कुछ कम हो सकती है। सिर्फ भाग्य के भरोसे न बैठे रहे। और ऐसा भी न सोचें कि आप हर खतरा झेल लेगे। अपने कार्यो को मन से करे। वह करे, जो आप कर सकते है।

Family के साथ

आज कई family में पति-पत्नी दोनों ही कामकाजी है। दोनों एक-दुसरे के साथी है। जीवनसाथी के कार्यस्थल में अच्छा-बुरा जो भी चल रहा है, उसके लिए उनके भागीदार बने। हम सभी जहाँ प्रोत्साहन मिलने पर चहक उठते है, वही निराशा में मुरझा जाते है। अगर आपका साथी आपके कार्य में रूचि लेता व् प्रोत्साहित करता है, आपके पास घर में ही एक भरोसेमंद सहारा है।

मददगार Team का हिस्सा

हर team का अपना एक अंदाज व् वातावरण होता है। अगर आप एक अच्छी team का हिस्सा है, तो यकीन माने, member न सिर्फ आपका आदर करेगा, बल्कि हर कोई आपकी बात पर गौर भी करेगा। लगातार मिल रही success का श्रेय team को दिया जाता है, न किसी एक को। किसी भी बड़े धक्के के खिलाफ team का हिस्सा होना संजीवनी का काम करता है।

काम से इतर अपनी रुचियाँ ढूंढे

काम और मस्ती के बीच के तालमेल को आपको समझना होगा। आपका brain और body संतुलन की मांग करते है। research कहते है कि कार्यस्थल पर महज अपनी डेस्क से उठकर कुछ चहलकदमी करना भर आपके blood pressure और दिल की धडकन को काबू रख सकता है। मनोरंजन के लिए भी समय निकाले।



 # इस article के writer दीपक चोपड़ा international ख्याति प्राप्त भारतीय मूल के अमेरिकी writer, modern motivational गुरु व् physician है। उनका प्रिय subject मेटाफिजिक्स है। वह 75 से अधिक books लिख चुके है।




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