अतीत
में experience है तो future में ढेर सारी कल्पनाये और आज में
संघर्ष। यही वजह है कि हमे आज में जीना पसंद नही करते। हम कामो को टालते रहते है।
फिर एक समय आता है, जब इच्छाओ की टोकरी में सपनों की जगह
हताशा भरने लगती है।
हममे
में से अधिकतर अधूरे सपनों के साथ जी रहे है। हम कुछ करने, कही घूमने या कुछ और कुछ होने
होने की बस कल्पनाये करते है। हमारे सपने, सपने बनकर रह जाते
है और अंत में टीस बनकर ताउम्र कचोटते रहते है। क्यों ऐसा होता है कि जिसके बारे
में हम लम्बे समय तक सोचते जो बाते दिल और आत्मा के करीब होती है, हम उनकी आसानी से उपेक्षा कर देते है?
एक
कदम में एवेरेस्ट की चढाई
हो सकता
है कि आप किसी चीज को जूनून की हद तक चाहते है, जिसे पूरी तरह पाना अभी संभव नही दिख रहा है।
इसलिए आप सही दिन का इंतजार कर रहे है। पर किसने कहा है कि एक ही कदम में एवेरेस्ट
पार हो जायेगा। ऐसा नही होता। कदम-दर-कदम बढ़ाने से ही success मिलती है। उस दिशा में किये गये आधे-अधूरे काम भी आपको उसके लिए तैयार
करते है। जो कर सकते है, उसे तो कम से कम न टाले। हम अक्सर
फिजूल कारणों की आड़ में योजनाओं को टाले रखते है। हमारे सपने ‘क्या होगा’ कैसे होगा?’ आदि
विचारो में ही दम तोड़ते रहते है।
क्या
चुनौती स्वीकार है?
आज मै
आपको चुनौती स्वीकार करने के लिए कहता हूँ कि आप वह करे जो आप हमेशा से करना चाहते
थे। वह सीखे, जिसे
सीखने की इच्छा है। या किसी ऐसी जगह घुमने जाए, जहां आप जाना
चाहते थे। कदम बढाये, उस प्रतिभा की ओर, जिसे आप अपने भीतर देखना चाहते है, एक skill जिसे आप खुद में विकसित करना चाहते है, शौक, जो आपको पसंद है। लेकिन wait न करे। आज से ही शुरू
कर दे। अगले साल, अगले सप्ताह या कुछ दिन के लिए उसे टाले
नही। अभी से कुछ शुरुआत जरुर कर दे। अपने संकल्प के प्रति निष्ठावान बने। दूसरो को
बताये कि आप यह करने जा रहे है। स्पष्टता रखे। निडर रहे। खुद को बांधे नही। शुरुआत
करे। अभी ही। कोई बहाना न बनाये। अपने friends की सहमति का
इंतजार न करे। इस बात की प्रतीक्षा न करे कि कोई और आपको कही घुमाने ले जायेगा। बस
अपने मन का काम शुरू करे।
Unsuccess का भय
life का
मतलब स्वप्नावस्था नही है। यही वजह है कि सपने सुप्तावस्था में आते है। दिन के
उजाले में हमसे उन्हें सच में बदलने की अपेक्षा रखी जाती है। पर, नाकामयाबी का डर इतना हावी हो जाता है कि हम सफल होने की कोशिश ही नही
करते। पहले से हार सुनिश्चित कर देते है। यह भय हो सकता है कि सफल नही हुए तो क्या
होगा? दूसरो को कैसे मुंह दिखायेगे? पर
क्या खुद को पहले से हारे हुए रूप में देखना स्वीकार कर सकेगे? आखिर आपके लिए अधिक सम्मानजनक कौन सी बात होगी, वह
व्यक्ति जिसने सुरक्षित दायरे से बाहर निकलने का जोखिम ही नही लिया या फिर वह
जिसने लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में मेहनत की पर सफलता नही मिली? मै जानता हूँ कि आपका उत्तर क्या होगा।
अच्छा
बहाना भी बहाना ही है
जिम्मेदार
बने और उनका सम्मान करे, जिन पर
आपके फैसलों का प्रभाव पड़ेगा। अपने पुराने-घिसे-पिटे बहानो से कुए के मेढक न बने
रहे। कोई बहाना न बनाये। कोई बहाना स्वीकार न करे। रोये नही। इस बात में खुश रहे
कि आप अपनी इच्छित दिशा में कदम बढ़ा रहे है। एक बार decision करे और अपने सपनों में जीवन भर दे।
जोश
भी और होश भी
मै यं
नही कह रहा कि आप ओलंपियन, CEO, गुरु
या अरबपति बन जायेंगे। हो सकता है कि जो आप बनना चाहते है, उस
क्षेत्र में आप पर्याप्त कौशल न रखते हो। पर आप उस दिशा में कार्य करेगे। आज से ही,
अभी से ही। मै यह भी नही कह रहा कि आप future के
लिए जमा की गई तमाम पूंजी को आज ही बिना सोचे-समझे, किसी
बेकार सी योजना में निवेश कर दे। लेकिन कुछ तो करे। कही से कही पहुंचने की शुरुआत
करे।
“इस article
के writer ‘केन वर्ट’ मेंट
टू हैप्पी के संस्थापक, motivational speaker व् blogger.
life की संभावनाओ को तलाशकर निरंतर अपनी क्षमताओ में विस्तार करना
उन्हें प्रेरित करता है।
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