Sunday, July 22, 2018

General Science सामान्य विज्ञान-2



कोशिका (Cell) 

1-  cell सजीवों के body की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है और प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य रखती है। यह विभिन्न पदार्थो का वह छोटे-से –छोटा संगठित रूप है जिसमें वे सभी क्रियाएं होती है जिन्हें सामूहिक रूप से हम जीवन कहतें है।

2-  cell की खोज रोबर्ट हूक ने 1665 ई. में किया। रोबर्ट हूक ने 1665 में बोतल की कार्क की एक पतली परत के study के आधार पर मधुमक्खी के छत्ते जैसे कोष्ठ देखे और इन्हें कोशा नाम दिया। यह तथ्य उनकी पुस्तक माइक्रोग्राफिया में छपा।

3-  कोशिकाओं का विधिवत study कोशिका विज्ञान (Cytology) या ‘कोशिका जैविकी’ (Cell Biology) कहलाता है।

4-  कोशिकाएं दो प्रकार की होती है: प्रोकैरियोटिक कोशिका ( prokaryotic cells) तथा यूकैरियोटिक कोशिका (eukaryotic cell)। प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं प्राय: स्वतंत्र होती है जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाएं, बहुकोशिकीय प्राणियों में पायी जाती है।

5-  प्रोकैरियोटिक कोशिका में कोई स्पष्ट केन्द्रक नही होता है। केन्द्रीय पदार्थ कोशिका द्रव में बिखरे होते है। इस प्रकार की कोशिका जीवाणु तथा नीली हरी शैवाल में पायी जाती है। सभी उच्च श्रेणी के पौधों और जन्तुओ में यूकैरियोटिक प्रकार की कोशिका पाई जाती है। सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं में संगठित केन्द्रक पाया जाता है जो एक आवरण से ढका होता है।

6-  कोशिकाएं सजीव होती है वे सभी कार्य करती है, जिन्हें सजीव प्राणी करते है। कोशिका के भीतर निम्नलिखित संरचनाएं पाई जाती है: केन्द्रक एवं केंद्रिका, जीवद्रव्य, गोल्गी सम्मिश्र या गोल्गी यंत्र, कणाभ सूत्र, अंतर्प्रद्रव्य डालिका, गुणसूत्र (पितृसूत्र) एवं जीन, राइबोसोम तथा सेंट्रोसोम और लवक

7-  केन्द्रक (nucleus): एक कोशिका में सामान्यत: एक ही केन्द्रक होता है, किन्तु कभी-कभी एक से अधिक केंद्रक भी पाए जाते है। कोशिका के समस्त कार्यो का यह संचालन केंद्र होता है। जब कोशिका विभाजित होती है तो इसका भी विभाजन हो जाता है। केन्द्रक कोशिका के भीतर एक तरल पदार्थ कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में प्राय: तैरता रहता है।

8-  केंद्रिका(Nucleolus): प्रत्येक केन्द्रक में एक या अधिक केन्द्रिकाएं पाई जाती है। कोशिका विभाजन की कुछ विशेष अवस्था में केंद्रिका लुप्त हो जाती, किन्तु बाद में पुन: प्रकट हो जाती है। केंद्रिका के भीतर रिबोन्युक्लीइक अम्ल (ritioncleric acid or RNA) तथा कुछ विशेष प्रकार के enzymes अधिक मात्रा में पाए जाते है। केंद्रिका सूत्रण(mitosis) या सूत्री विभाजन में important भूमिका अदा करते है।

9-  जीवद्रव्य (protoplasm): यह एक गाढ़ा तरल पदार्थ होता है जो स्थानविशेष पर विशेष नामों द्वारा जाना जाता है, जैसे द्रव्यकला (plasma membrane) के भीतर पाए जाने वाले जीवद्रव्य को कोशिकाद्रव्य (cyt plasm) और केन्द्रक झिल्ली (nuclear membrane) के भीतर पाए जाने वाले जीवद्रव्य को केन्द्रक द्रव्य (nucleoplasm) कहते है। जीवद्रव्य का निर्माण कार्बन, हाइड्रोजन, oxygen, तथा अनेक organic तथा inorganic पादर्थो द्वारा हुआ होता है। इसमें जल की मात्रा लगभग 80%, protein 15%, fats 3%, तथा carbohydrate 1%, और inorganic लवण की मात्रा 1 होती है।

10- गोल्गी सम्मिश्र (Golgi complex): इस अंग का यह नाम इसके खोजकर्ता कैमिलो गोल्गी, के नाम पर पड़ा है, जिन्होंने 1898 में सर्वप्रथम इसकी खोज की। यह एक प्रकार के जाल (network) जैसा दिखलाई देता है। इनका मुख्य कार्य कोशिकीय स्रवन (cellular secretion) और प्रोटीनों, वसाओं तथा कतिपय किण्वों (enzymes) का भडारण करना है।

11-कणाभसूत्र (Mitochondria): ये कणिकाओं (granules) या शलाकाओं (rods) की आकृतिवाले होते है। ये अंगक (organelle) कोशिकद्रव्य (cytoplasm) में स्थित होते है। इनकी संख्या विभिन्न जन्तुओं में पांच लाख से लेकर 2 माइक्रोन के बीच होता है।

12- अंतर्प्रद्रव्य जालिका (fndoplasmic reticulam): यह जालिका कोशिकाद्रव्य में आशयों (vesicles) और नलिकाओं (tubules) के रूप में फैली रहती है। इसकी स्थिति सामान्यत: केन्द्रीय झिल्ली (nuclear membrane) के बीच होती है, किन्तु यह अकसर सम्पूर्ण कोशिका में फैली रहती है।

13- गुणसूत्र (chromosomes): गुणसूत्र केन्द्रको के भीतर जोड़ों में पाए जाते है और कोशिका विभाजन के साथ केन्द्रक सहित बट जाया करते है। इनमें स्थित जीवों की पूर्वजों के पैत्रिक गुणों का वाहक कहा जाता है। पितृसूत्र के कुछ विशेष प्रकार भी पाए जाते है, जिन्हें लैंपब्रश पितृसूत्र (lampbrush chromosomes) और पोलोटीनं क्रोमोसोम (polytene chromosomes) की संज्ञा दी गई है। इन्हें W,X,Y,Z आदि नामों से संबोधित किया जाता है।

14-जीन (Gene): जीनों को पैत्रिक गुणों का वाहक माना जाता है। क्रोमोसोम या पितृसूत्रों का निर्माण हिस्टोन protein तथा DNA तथा RNA  से मिलकर हुआ होता है। जीन का निर्माण इन्हीं में से एक, DNA द्वारा होता है। सन् 1970 के June में america स्थित भारतीय वैज्ञानिक श्री हरगोबिन्द खुराना को कृत्रिम जीन उत्पन्न करने में अभूतपूर्व सफलता मिली थी। इन्हें सन् 1978 में नोबेल पुरस्कार मिला था।

15-रिबोसोम (Ribosomes): सूक्ष्म गुलिकाओं के रूप में प्राप्त इन संरचनाओं को केवल electron microscope के द्वारा ही देखा जा सकता है। इनकी रचना 50% protein तथा 50% RNA द्वारा हुई होती है।

16- सेंट्रोसोम (Centrosomes): ये केन्द्रक के समीप पाए जाते है। इनके एक विशेष भाग को सेंट्रोस्फीयर (centrosphere) कहते है, जिसके भीतर सेंट्रीओलों (centrioles) का एक जोड़ा पाया जाता है।

17-लवक (plastids): लवक अधिकतर पौधों में ही पाए जाते है। ये एक प्रकार के रंजक कण (pigment granules) है, जो जीवद्रव्य में यत्र तत्र बिखरे रहते है। क्लोरोफिल (chlorophyll) धारक वर्ण के लवक को हरित लवक (chloroplas) कहा जाता है। इसी के कारण वृक्षों में हरापन दिखलाई देता है।

हड्डियां और पेशियाँ (Bones & Muscles)

1-  हड्डियां (Bones) रीढधारी जीवों का वह कठोर अंग है जो अंत: कंकाल का निर्माण करती है।

2-  bones body को चलाने (स्थानांतरित करने), सहारा देने और body के विभिन्न अंगो की रक्षा करने में सहायता करती है साथ ही यह लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने और खनिज लवणों का भंडारण का कार्य भी करती है।

3-  अस्थियां विभिन्न आकार और आकृति की होने के साथ weight में हल्की पर मजबूत होती है। इनकी आंतरिक और बाहरी संरचना जटिल होती है।

4-  अस्थि निर्माण का कार्य करने वाले प्रमुख उत्तको में से एक उतक को खानिजीय अस्थि उत्तक, या सिर्फ अस्थि उत्तक भी कहते है और यह अस्थि को कठोरता और मधुकोशीय त्रिआयामी आंतरिक संरचना प्रदान करते है। अन्य प्रकार के अस्थि उत्तकों में मज्जा, अंतर्स्थिकला और पेरिओस्टियम, तंत्रिकाएं, रक्त वाहिकाएं और उपास्थि शामिल है।

5-  व्यस्क मनुष्य के body में 206 bones होती है वहीं एक शिशु का body 270 अस्थियों से मिलकर बनता है।

6-  पेशियाँ (Muscle) प्राणियों का आंकुचित होने वाला उत्तक है। इनमें आंकुचित होने वाले सूत्र होते है जो कोशिका का आकार बदल देते है। पेशी कोशिकाओं द्वारा निर्मित उस उत्तक कहा जाता है जो समस्त अंगो में गति उत्पन्न करता है।

7-  body में तीन प्रकार की पेशियाँ पाई जाती है: रेंखाकित (skeletal), अरेखांकित (smooth) और हार्दिकी (cardiac)

8-  मनुष्य के body में 40% भाग पेशियों का होता है।

9-  पेशीतंत्र में केवल ऐच्छिक पेशियों की गणना की जाती है, जो अस्थियों पर लगी हुई है तथा जिनके संकुचन से अंगो की गति होती है और body हिल-डुल तथा चल सकता है।

10-सामान्य मानव में लगभग 640 कंकाल पेशियाँ है। लगभग प्रत्येक पेशी की जोड़ीदार पेशी भी होती है- इस प्रकार लगभग 320 पेशियों के जोड़े मानव body में है।

11-दांत मुख की श्लेशिमक कला के रूपांतरित अंकुर या उभार है, जो चूने के लवण से संस्कित होते है। दांत का काम पकड़ना,काटना, फाड़ना और चबाना। कुछ जानवरों में ये कुतरने (चूहें), खोदने (शूकर), सवारने (लीमर) और लड़ने (कुत्ते) के काम में भी आते है।

12-दांत की दो पंक्तियाँ होती है: मैक्सिलरी (maxillar), उपर के जबड़े में, मैन्डिब्युलर (mandibular), निचले जबड़े में।


13-बच्चे में 20, जबकि वयस्क में 32 दांत होते है।  







  

  

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