वर्तमान क्षण का महत्व
तलवारबाजी में कुशल एक योद्दा था। एक बार उसने नौकर को अपनी पत्नी के साथ देख लिया। वहां के परम्परा के अनुसार, उसने नौकर को तलवार दी और युद्द की चुनौती दी, ‘आज या तो तुम या मैं।‘
नौकर को तो तलवार पकडनी भी नही आती थी। वह बोला, ‘स्वामी मैं आपका सम्मान करता हूँ कि आप मुझे जैसे नौकर को ये अवसर दे रहे है। पर मैं तलवार चलाना नही जानता। मुझे कुछ समय दीजिये, ताकि मैं किसी के पास जाकर कुछ सीख संकू।
योद्दा ने कहा, ‘ठीक है। जितना भी समय लो। मैं प्रतीक्षा करूंगा।‘
वह एक अन्य योद्दा के पास गया। उसने कहा, ‘तुम वर्षो तक अभ्यास करोगो तो भी कुछ नही होगा। तुम्हारा स्वामी सर्वश्रेष्ठ तलवारबाज है। मेरी सलाह है कि यही लड़ाई का सही समय है।
नौकर बोला, ‘मैं आपके पास सलाह के लिए आया हूँ और आप कह रहे है, जा मर जा।
योद्दा ने कहा, ‘हां, क्योंकि एक ही चीज निश्चित है-तुम्हारी मृत्यु। इसके अलावा तुम्हारे पास खोने के लिए कुछ नही है। पर तुम्हारे स्वामी को कई चीजें दांव पर है- पत्नी, पद प्रतिष्ठा और वह एक बड़ा जमींदार भी है। वह अपनी पूर्णता में नही होगा, पर तुम हो सकते हो। तुम्हें होना ही पड़ेगा- जिस एक क्षण के लिए भी तुम्हारा ध्यान भटकेगा, वही आखिरी क्षण होगा। किसी और नियम-अनुशासन के बारे में फ़िलहाल मत सोचो। तलवार लो और युद्द करो। नौकर लौट गया।
मालिक ने कहा, ‘इतनी जल्दी सब सीख लिया?’ नौकर जोर से बोला, ‘कुछ सीखना नही है। मैं युद्द के लिए तैयार हूँ।‘
योद्दा को विश्वास नही हो रहा था कि ऐसा क्या जादू हो गया है। वह घर से बाहर आया तो नौकर ने नियमों के अनुसार सिर झुकाया। उसके बाद नौकर ने तलवार चलानी शुरू कर दी।
मालिक हक्का-बक्का था। एक expert की नजर में कोई व्यक्ति जहां तलवार चलाता है, नौकर वहां नही चला रहा था। और वह जहां तलवार चलाता था, वहां कोई expert सोच नही सकता था। जल्द ही योद्दा के कदम पीछे होने लगे। नौकर में थोड़ा और साहस आ गया। नौकर बस तलवार चला रहा था, बिना यह जाने कि क्यों, क्या उद्देश्य है और वह कैसी तलवार चला रहा है। वह अपनी मौत के भय से भी बाहर आ चुका था। जल्द ही उसने मालिक को किनारे कर दिया।
अब मालिक को मृत्यु का डर सताने लगा। वह बोला, ‘रुको, मैं तुम्हें अपना सबकुछ देता हूँ। मैं अब सन्यास के रास्ते जा रहा हूँ। वह डर के मारे काँप रहा था। वह समझ नही पा रहा था कि आखिर नौकर में यह साहस कहां से आया? उसमें यह चित्त की एकाग्रता कैसे आयी?
लेकिन सच यही है कि ऐसी किसी भी खास स्थिति में किसी भी नियम-कायदे से अधिक उस स्थिति में होना, पूरी तरह वर्तमान को जीना, बहुत कुछ जाग्रत कर देने वाला होता है।
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