Do Not Have Time
समय
नही है, बहुतों
के लिए यह बहाना है। लेकिन यह सच भी है। हम सब यहाँ सीमित समय के लिए है और जानते
भी नही कि कितना समय हमारे पास है। सही इस्तेमाल न करके हम इस समय को और भी कम कर
देते है। कमी समय की नही, समय को समझने की है।
बचपन
में इसे कई बात सुना-अकसर दुनिया के लोग time के चक्कर खाया करते है, पर कुछ ऐसे होते है, जो इतिहास बनाया करते है।
बड़े होने पर बात समझ आने लगी। ज्यादातर लोग समय की कमी को कोसते हुए उसे पकड़ने की
कोशिश में भागते हुए दिखे। जिन्होंने success की
बुलंदियों को छुआ, उन्हें यही कहते सुना,
‘busiest men have the most leisure’ यानी व्यस्त रखने वालों
के पास फुर्सत ही फुर्सत होती है। जाहिर है ऐसे लोगो की संख्या कम थी।
क्या
आपको भी लगता है कि अपने कामों को पूरा का समय ही नही मिलता? अक्सर हडबडाहट में रहते है
और पूरे दिन दौड़-भाग करने के बावजूद काम अधूरे ही रह जाते है?
exercise करने के लिए समय नही होता? breakfast ढंग से नही कर पाते? बच्चों से मुलाकात नही हो
पाती? और कुछ नया पढ़ने या सीखने की इच्छा तो इच्छा ही
रह जाती है? Australia के पूर्व prime
minister ‘जॉन हॉवर्ड’हर दिन एक घंटे पैदल ही
चलते है। दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हों, वह ‘walk’ जरुर करते है। वह कहते है,’ मुझे जो करना है तो
करना है। समय ही निकल ही जाता है। दिक्कत समय की नही, सोचने
की होती है।‘
Management में पेरेटो रुल पर जोर दिया जाता है। इसे 80:20 नियम भी कहते है। इसके
अनुसार हमारे 20% काम 80% नतीजे देते है। वही 80% काम कामो से केवल 20% ही नतीजे
मिलते है। ऐसे में कामों को ढंग से पूरा करने का एकमात्र तरीका यही है कि आप 20%
कामों को ढंग से पूरा करें और उन्हें ठीक से समय दें। ये 20% काम कौन से होगे? यह आपको तय करना है।
जो
करना है तो करना है
morning की शुरुआत जल्दी हो। एकसाथ बहुत सारे काम न करें। कुछ समय के लिए phone व् internet से दूर रहें। ढंग से योजना बनाएं।
इन बातों को आपने कई बार पढ़ा होगा। ये भी जरूरी है,पर सबसे
जरूरी है एक रूटीन का होना। example के लिए Microsoft के प्रमुख बिल गेट्स सोने से पहले book पढ़ते
है। उनका कहना है,’भले ही देर हो जाए, मैं पढ़ता ही हूँ। इस कारण मैं काफी कुछ नया पढ़ पाता हूँ।‘
तेज
नही प्रभावी
ऑलिवर
बर्कमेन अपनी famous book ‘द एंटीडोट’ में तेज काम करने से अधिक प्रभावी
ढंग से काम करने पर जोर देते है। उनका मानना है,’ जब
ध्यान केवल गति पर होता है तो खराब driving की
आशंका बढ़ जाती है। लेकिन जब अच्छी driving करते है
तो अपने लक्ष्यों को पूरा करने के साथ दूसरों की भी मदद कर पाते है।‘ खासकर team work जहां होता है, वहां हर स्तर पर काम को सही ढंग से करना मायने रखता है।
अपना-अपना
समय
समय
की अपनी गति होती है और हमारी अपनी। दोनों में तुलना की जरूरत ही नही है। हम समय
से आगे या पीछे नही होते, बस
अपनी-अपनी गति से अपने-अपने समय को जी रहे होते है। और अगर समय को भरपूर जी रहे है, तो न ही समय की कमी की complain रहती है
और न समय की कमी आड़े आती है। भौतिकी के नियम के अनुसार, अपनी गति और समय से चलते हुए मंजिल पा लेते है। यानी सभी जरूरी काम हो
जाते है। और अगर लगता है कि आधे-अधूरे कामों की लम्बी list है तो फिर जरूरत है खुद को थोड़ा ठीक तय करने की। अपनी हां और न को समझने
की। इसके लिए अपनी प्रथमिकताये तय करें। खुद को मन से मजबूत बनाएं, ताकि ध्यान भटकाने वाले बहाव में न बहकर आप अपने समय को सार्थक कर सकें।
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