बीते
कुछ साल में share market ने बेहतर return दिया है। share में सीधे निवेश के अलावा mutual fund के माध्यम से
भी निवेश करने का विकल्प है। माना जाता है कि सीधे निवेश की तुलना में इसमे थोड़ा
कम जोखिम होता है क्योंकि इसमे fund management company के expert
प्रबंधन करते है। लेकिन कई बार यह देखने को मिलता है कि निवेशक किसी
share का चुनाव इसलिए कर लेते है क्योंकि उस company के share को किसी fund manager ने चुना है। ध्यान रहे कि share में निवेश करने की
यह अवधारणा कई बार आपको नुकसान पहुंचा सकता है।
Purpose of Fund
mutual fund का प्रबंधन fund manager company एक विशेष expert
की team की बदौलत करती है। उनका काम ही यही
होता है कि लम्बी अवधि में benchmark से fund को कही आगे लेकर जाएँ। इस वजह से ऐसा हो सकता है कि लाभ के लिए fund
के पुरे portfolio में ही दोहराव आ जाए। लेकिन
इसमे बहुत समझदारी नही है क्योकि ऐसा करने पर आप यह परखने में जुट जाते है कि fund
manager क्या सोच रहा होगा जो असंभव है। mutual fund के हर स्क्रीम के पीछे एक purpose होता है। example
के लिए large cap equity fund अधिकांश तौर पर large
cap वाले share में निवेश करते है। angel broking private limited के vice president वैभव
अग्रवाल कहते है कि हर mutual fund की स्क्रीम, जो पैसे का का निवेश करते है वह किसी खास purpose और
रणनीति के तहत होती है। fund manager हो सकता है कि एक या दो
साल के अंदर ही share से बाहर चला जाए जबकि आपका purpose
कह रहा हो कि नही, आप पांच और उससे अधिक साल
तक निवेश जारी रखे। एक खास बात जिस पर ध्यान देना चाहिए कि mutual fund हमेशा share का चुनाव नही करते। mutual fund का किसी खास share में अधिक निवेश करने का यह मतलब
नही है कि यह बहुत बेहतर चुनाव है।
प्रदर्शन
का मुद्दा
mutual fund द्वारा चुने गये सभी share विजेता ही रहेगे यह सोचना
गलत है। यह समझने के लिए mint ने 10 share चुने जिसमे MF ने निवेश कर रखा था, लेकिन जब परखा गया तो पाया कि 10 में से six share लंबी
अवधि में प्रदर्शन से काफी नीचे थे। example के लिए SBI
ने पांच साल में negative four percentage सालाना
ही return दिया, जबकि BSE बैंकेक्स ने समान अवधि में 7.76 प्रतिशत का return दिया।
दूसरा, शीर्ष 100 share जिसमे mutual
fund ने निवेश किया उनमे हर 10 में से चार share पिछले 10 साल में बेहतर प्रदर्शन नही कर रहे। वेंदाता अपने आपमें में एक example
है। इसके बीते पांच साल में सालाना negative (-24%) return दिया है, जबकि 146
स्क्रीम में कुल 957 करोड़ रूपये मूल्य की शेयरधारिता है।
सम्पति
और अस्थिरता
अगर
किसी institute द्वारा share में बड़ी राशि निवेश की जा रही है तो
उसका हर important कदम share पर खास
असर डालेगा। अग्रवाल कहते है कि उधोग जगत में अगर कोई उठा-पटक आती है तो ऐसे में
संस्थागत निवेशक निवेश से बाहर निकलना शुरू हो सकते है। निवेशको में उल्टी
प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि share में तेजी से सुधार आ जाए क्योकि संस्थागत शेयरधारिता अत्यधिक है। जानकारों
का कहना है कि mutual fund जैसे संस्थान जब share की बिक्री करने लगते है तो कीमतों में तेजी से गिरावट आ सकती है। अगर वह
बड़ी मात्रा में share बिक्री करते है तो कीमते और भी घट सकती
है। hem securities के director गौरव
जैन कहते है कि mutual fund की तरफ से इसका खुलासा करने के
बाद खुदरा निवेशक ऐसी हलचल के बारे में जानने आते है।
आधिक
प्रदर्शन का भय
mutual fund प्राय: खास क्षेत्र में निवेश करते है। mint द्वारा study
किये गये mutual fund के 10 शीर्ष शेयरों में
देखा गया कि पांच banking क्षेत्र से जुड़े है। खुदरा निवेशको
के लिए यह important है कि वे सभी क्षेत्रो के शेयरों में
निवेश करे क्योकि किसी खास क्षेत्र में किया निवेश लम्बी अवधि में बेहतर प्रदर्शन
नही भी कर सकते है। यह परखना जरूरी है कि किस क्षेत्र का प्रदर्शन मध्यम से लेकर
लम्बी अवधि में ठीक रहेगा।
सही Share का चुनाव
किसी
भी company के
share का चुनाव करते समय उसका कारोबार और आय की क्षमता पर
जरुर गौर करे। मोतीलाल ओसवाल securities के vice
president(equity adviser) योगेश मेहता कहते है कि किसी भी share
का अगले दो से चार साल के लिए बेहतर प्रदर्शन का आकलन करे। इसके लिए
company के कारोबार का study करे। इसके
उत्पाद की मांग को परखे। न्यूनतम से मध्यम कीमत पर भी गौर करे। अगर आप खुद फैसले
करने में खुद को सक्षम नही पाते है तो expert की राय लेने
में संकोच न करे। उनके पास company से जुडी जानकारियां अधिक
होती है जो खुदरा निवेशको के लिए आसान नही है। हां, आप
सबकुछ expert पर ही न छोड़े।
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