बहरापन
अब बुढ़ापें की problem नही
रहा है। चारो ओर शोर और headphone, cellphone व् blue
tooth आदि से बढ़ती हमारी दोस्ती किशोरों व् युवाओं की सुनने की
क्षमता को serious रूप से effect करने
लगी है।
WHO की
एक report के अनुसार पुरे world में
लगभग 1.1 अरब किशोर और युवा earphone, smart phone आदि के
असुरक्षित इस्तेमाल के कारण अपने सुनने की क्षमता खोने की कगार पर हैं। इसमे हमारी
बाकी lifestyle भी इजाफा कर रही हैं। वातावरण में शोर के
ऊँचे स्तर के कारण एक अवधि के बाद सुनने की क्षमता कम होने के मामले तेजी से बढ़
रहे है। तेज आवाज में गाने सुनना, TV देखना, blue
tooth पर बात करना,horn और loudspeaker
की तेज आवाज आदि इसके लिए जिम्मेदार है। लगातार 80 से 90 decibel
से ज्यादा शोर सुनना कान की नाजुक कोशिकाओं व् कान के अन्य हिस्सों
को क्षति पहुंचा सकता है।
जब हम
कोई तेज आवाज सुनते है तो कान के भीतर की एक मांसपेशी सिकुड़ जाती है, ताकि कान को किसी तरह का नुकसान
न पहुंचे। पर, लगातार तेज आवाज सुनने के कारण कान की यह
मांसपेशी अपने काम करने की क्षमता खो देती है। स्थिति और गंभीर तब हो जाती है,
जब कान का अंदरूनी हिस्सा भी लगातार तेज शोर के कारण ख़राब होने लगता
है। अगर कोई व्यक्ति 90 decibel से ज्यादा आवाज हर दिन आठ
घंटे या उससे ज्यादा वक्त के लिए सुनता है तो कम उम्र में ही उसकी सुनने की क्षमता
प्रभावित हो जाती हैं।
संगीत
न छीन ले सुनने की क्षमता
blast या
फिर किसी accident में सुनने की क्षमता खोने वालों की तुलना
में headphone के कारण कान के सेहत बिगड़ने का परिणाम ज्यादा serious
होता है। इस तरह का बहरापन धीरे-धीरे पनपता है और ज्यादा serious
होता है। कान पहले हमें संकेत देता है। सुनने की क्षमता खत्म होने
से पहले आपको कान में हमेशा घंटी बजने की आवाज सुनाई दे सकती है। साथ ही किसी बेहद
शोर वाले माहौल से बाहर निकलने के बाद आपको तुरंत कुछ सुनाई भी नही देगा।
विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादा शोर वाले माहौल से तुरंत बिलकुल शांत माहौल में जाना कान
के सेहत के लिए ज्यादा नुकसानदेह है। music player के आधे volume
पर गाना सुनना कानों के लिए secure है।
हालाँकि सब इस पर depend करता है कि आप कितनी देर तक और
कितने volume पर गाना सुनते है। ऐसे earphone, जिन्हें हम अपने कान में डालकर इस्तेमाल करते है, volume को पांच से छ गुना बढ़ा देते है और ज्यादा नुकसानदायक होते है। गाना सुनने
के लिए इन-इयर headphone को इस्तेमाल में लायें। इस तरह का headphone
इस्तेमाल करने वाले लोग अमूनन कम volume पर
गाना सुनते है। headphone खरीदते वक्त तेज आवाज की जगह अच्छी
गुणवत्ता को प्राथमिकता दें। लगातार संगीत सुनने से बचें। कान में कुछ असहज लगे,
तो ENT specialist के पास जाएँ। शुरुआत में medicine
की मदद से स्थिति control की जा सकती है।
Cellphone भी कर सकता हैं सुनने की क्षमता कम
cellphone का लम्बे समय तक इस्तेमाल hormones असंतुलन और cancer
आदि के अलावा सुनने के क्षमता को भी effect करता
है। नये-नये feature के आने के कारण पिछले एक दशक में cellphone
का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। cellphone का
इस्तेमाल करने वालों में बहरेपन की complain 50% बढ़ गई है।
कई लोग cellphone के ज्यादा इस्तेमाल के कारण कान में दर्द
और कम सुनने की complain लेकर आते है। सबसे ज्यादा complain
के पास यह आती है कि phone पर बात खत्म करने
के बाद उनका कान गर्म हो जाता है।
क्या
करते है Survey
all India institute of
speech and hearing audiology department द्वारा मैसूर में तीन हजार
युवाओ पर किये गये एक study में पाया गया है कि 66% युवा
आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने से उनमे बहरेपन की आशंका बढ़ गई है।
ये है
खतरे की घंटिया
1- जब phone पर बात करने हो परेशानी
2- ज्यादा लोगो के बीच बातचीत सुनने में परेशानी
3- फॅमिली के लोग complain करने लगे कि आप तेज आवाज पर TV देख रहे है।
4- शोर शराबे के बीच बातचीत करने में परेशानी
5- बातचीत के दौरान आप ‘क्या’ शब्द
का इस्तेमाल बहुत ज्यादा करते है।
6- आपको कान में हमेशा भुनभुनाहट-सी आवाज आती है।
7- आपको लगता है कि सामने वाला स्पष्ट नही बोल रहा
है।
8- आप अपने आसपास वालो से चिढ़े रहते है क्योकि आप
उनकी बात समझ नही पाते।
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