क्रोध, हताशा, घृणा
जैसी भावनाओ को पूरी तरह से खत्म नही किया जा सकता, लेकिन
ऐसी भावनाओ के वशीभूत होने से बचा तो जा ही सकता है। दुसरे भी हमें इस बात पर
परखते हैं कि हम अपनी feeling को कितना काबू रख सहज रह सकते
है।
अगर office की किसी meetings के दौरान कोई mobile phone पर आये message पढकर जोर-जोर से हंसने लगे, तो हो सकता है वहां
उपस्थित बाकी लोग उस person से नाराज हो जाएँ। एक और ऐसी ही
स्थिति की बात करते है। मान लीजिये कि आपकी गाड़ी जाम में फंसी है और आप इसकी खीज
को अपने driver पर निकालने लगे। ऐसे में driver का ध्यान बंटने से आप अपनी जिन्दगी खतरे में भी डाल रहे होते है। इन सबमें
एक बात है, जो हमे ऐसी प्रतिक्रियाये देने को बाध्य करती है।
हमारी भावनाएं। ये हमारे रोजमर्रा के life का अभिन्न अंग है।
वैसे, कुछ प्रतिक्रियाओं को control
करने की आवश्यकता नही होती। अगर वे स्थिति के अनुकूल है और सुखद भी,
तो हमें चिंतित होने की जरूरत नही। लेकिन ये स्थिति के प्रतिकूल है,
तो निश्चित तौर पर सोचने की जरूरत है। जाम में फंसे होने पर अगर हम
किसी पर अपनी भड़ास निकालते है, तो भी हमे बेहतर लगेगा,
लेकिन यह उचित या अनुकरणीय नही है। इसकी बजाय अपनी झुंझलाहट किसी और
तरीके से अभिव्यक्त की जा सकती है।
tension के
समय स्वयं को शांत रख पाना कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। अगर क्रोध आने पर प्रियजन
को दुःख पहुंचा रहे है, तो इससे आपके संबंधो पर बुरा असर पड़ सकता
है, साथ ही इसका आपके काम और health पर
भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। स्टेंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के psychologist जेम्स ग्रास और उसके साथी हूरिया जजेरी के अनुसार feeling पर काबू पाने में असमर्थता ही depression और personality
disorder को जन्म देती है। अच्छी बात यह है कि ज्यादातर लोग अपनी emotional
पर control पाकर अपनी स्थितियों को विकट होने
से बचा सकते है।
कुछ
तरकीबें होगी कारगर
संतोष
करना सीखे
आप
हमेशा खुद से बेहतर करने की उम्मीद करते है। मसलन खाना बनाते हुए मन में भाव होते
है कि खाना बेहद स्वादिष्ट बने, लेकिन अगर कमी दिखती है, तो झुंझला उठते है। ऐसे में
बेहतर हो कि उपलब्ध सामग्रियों से ही अच्छा पकाने का प्रयास करे। इससे आप अपने
परिजनों को अपनी आकांक्षा अनुसार ना सही, पर आनन्दमयी माहौल
में अच्छा भोजन कराने में सक्षम जरुर होगे।
प्रतिकूल
स्थितियां पैदा ही ना हों
स्वयं
को यथासंभव ऐसी स्थितियों से दूर रखें, जिनके कारण आपमें negative feeling जन्म लेती है। मसलन आपको पता है कि तैयार होते समय कम समय रह जाने पर आपको
गुस्सा आने लगता है, तो इससे बचाव के लिए आप तय समय से 10
मिनट पहले ही तैयार हो जाएँ। इसी तरह अगर किसी व्यक्ति के पास आपको परेशानी होती
है, तो ऐसा रास्ता निकाले, जिसमे उस
व्यक्ति के साथ आपके टकराव की गुंजाइश कम से कम हो।
Important चीजों पर ध्यान क्रेंदित करे
अक्सर
बहुत attraction लोगो के आसपास होने पर लोगो को हीनता का बोध होने लगता है। example
के लिए office में प्रभावशाली शख्सियत वालों
के समक्ष अधिकतर लोग खुद को उनसे कम करके आंकने लगते है। बेहतर होगा कि ऐसे लोगो
पर ध्यान देने के बजाय अपने काम पर ध्यान क्रेंदित किया जाए। इससे न सिर्फ
एकाग्रता बढ़ती है, बल्कि मनचाहे गुणों को भी विकसित किया जा
सकता है।
विचारो
को बदलें
हमारे
विचार ही मूल रूप में अलग-अलग की भावनाओं को जन्म देते है। अगर आपके विचार आपको depression में डाल रहे है,
तो कुछ और positive सोचने का प्रयास करें।
विचारो में बदलाव से स्थिति में बदलाव भले ही न आये, लेकिन
विचारों का हम पर जो प्रभाव हो रहा होता है, उसमे परिवर्तन
जरुर आ जाता है। कॉग्निटिव रीअप्रेजल थेरेपी में दुःख देने वाले विचारो की जगह
ख़ुशी पैदा करने या संतोष बनाये रखने वाले विचारो को अपनाने पर बल दिया जाता है।
प्रतिक्रिया
बदलने का प्रयास करें
मुमकिन
है कि अनचाही स्थितियों में आप पूरी तरह आपे से बाहर हो जाते हों। ऐसे में आप कम
से कम अपनी प्रतिक्रिया पर काबू पाने का प्रयास करें। गहरी साँस ले और खुद को शांत
करने के लिए कुछ देर आँखे बंद रखे। अगर गंभीर चर्चा के बीच आपको हंसी आ रही है, तो प्रयासपूर्वक अपने चेहरे के
हावभाव अन्य लोगो जैसे बनाये रखे। जिन स्थितियों में आप असहज हो जाते है, उनकी पहचान कर लेने से आप problem में पड़ने से स्वयं
को बचा सकते है। अपने विचारों और प्रतिक्रियाओं में बदलाव करके आप अपना
आत्मविश्वास बढ़ा सकते है और विषम स्थितियों को झेलने में भी सक्षम हो सकते है।
अभ्यास करने से आप negative स्थितियों में भी आशावादी
दृष्टिकोण बनाये रख सकते है।
# इस article के writer ‘सूजन
क्रॉस’ मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में psychology की professor है। हाल में आयी उनकी book ‘the
search for fulfillment’ मन की ख़ुशी के साथ समग्र विकास
पर जोर देती है।
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