Thursday, July 2, 2020

Lockdown Life Experience

Lockdown Life Experience


कोरोना ने सिखाया छोटी-छोटी बातों का मोल

चलो थोड़ा पीछे चलते है। कुछ ज्यादा दूर नही, लेकिन सिर्फ छह माह पहले, जब virus का हमला हुआ भी नही था। मैं traffic को कोस रहा था, मुझे कही ठंडा शर्बत न मिलने की शिकायत थी। और मुझे अपने घर के पास बने उस super market से नफरत थी, जहां पर मेरा पसंदीदा perfume नही मिलता था। वैश्विक महामारी के कारण मेरा देश भी lockdown में चला गया, जैसा कई अन्य देशों में हुआ। जब मैं घर में बंद था, मैंने महसूस किया कि मैं कितना सौभाग्यशाली था और मेरा life कितना सुंदर था, जिसके बारे में मैं सोचता था कि वह एक ढर्रे पर आसामान्य गति से चल रहा था।

मैं इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ था कि कई चीजों को हल्के में ले रहा था और छोटी-छोटी problem को भी तूल दे रहा था। अब पीछे मुडकर देखता हूँ कि तो लगता है कि बहुत कुछ था, जिसे मैं पहले समझ नही पाया था।

1-  आजादी

मेरे पास कही पर भी अपनी मर्जी से आने-जाने और कुछ भी करने की आजादी थी। बशर्ते मैं कोई गैरकानूनी काम न करूँ और कोई कायदा न तोडूं। मैं जैसा चाहता था, वैसा life जीने की मुझे आजादी थी। कोई रोक-टोक नही। यह मेरा life था और मेरी पसंद थी। मैं मीलों का सफर तय कर लेता था। lockdown के दौरान मुझे सफर करने के लिए वैध कारण की जरूरत होती थी। और पुलिस का सामना करना पड़ता था। घर के अंदर बंद रहने से मुझे यह सीख मिली कि life के मूलभूत पहलुओं पर control खो देने से हम असहज महसूस करते है। कई चीजें है, जिन्हें हम सामान्य और अवश्यंभावी मान लेते है। जब वे छीन जाती है तो हम उनकी कीमत का पता चलता है। जो चीज आपकी काम की नही, जो आपके life में अर्थ न रखे, उसे जाने दें। इन बातों में अटके न रहें। खुद को दबाकर रखने से कुछ हासिल नही होता। न किसी को फायदा होता है और न हमें। हम अपने अंदर के प्रकाश को खो देते है। और हारी हुई जंग लड़ते रहते है। खुद से प्रेम करने की पहली सीढ़ी है कि आप किसी तरह की कुंठा, न रखें। खुद को बोझ से मुक्त कर दें।

2-  सुख-सुविधाएँ

life और तकनीक का नाता कई सालों से बना हुआ है। वस्तुतः पिछले शतक की तुलना में आज का life काफी अलग है। कई तरह की सुख-सुविधाएँ हमारे पास है। हमें इंतजार करने की आदत नही रही थी। हालाकिं तकनीक की बदौलत घरों के भीतर होते हुए भी हम कई काम कर पा रहे थे। पहले delivery वालों को दस minute की देरी होने पर कोसने लगते थे। lockdown के दौरान, हमने उसी service के लिए पूरा दिन इंतजार भी किया।

3-  विविधता

पहले मुझे हर समय उन्ही गिनी-चुनी सब्जियों को खाना पसंद नही था। मुझे कुछ ताजा और नई चीज खाने की चाह होती थी। ऐसा ही हाल मेरे साथ रेस्तरा या shopping mall में होता था। मैं नये-नये ठिकानों को आजमाता रहता था। lockdown में मेरे सारे नखरे धरे के धरे रह गये। विविधता हमारी भूख बढाती है। इच्छा उस ट्रैडमिल की तरह होती है, जिसकी battery कभी खत्म नही होती।

4-  बाहर जाने का आनंद
आप किस city में रहते है, आपके पास कौन से और कैसे आनंद और तफरी के मौके है, इसमे कोई फर्क नही पड़ता। मैंने हमेशा अपने city की दूसरों से तुलना की है। उसमें हजार कमियां निकाली है। लेकिन lockdown के दौरान घर में खेलते हुए महसूस हुआ कि मेरे city में आनंद उठाने की कितने option है।

5-  इंसानों से नाता

जब मैं दोस्तों की टोली में बाहर निकलता था, तो बड़ा बोझिल लगता था। अंतमुर्खी होने की वजह से मैं लोगो से पूरी तरह जुड़ नही पाता था। मुस्कुराना और हाथ मिलाना बेमानी लगता था। और अब तो मुस्कान भी मास्क के पीछे छिपी होती है और हाथ मिलाना तो दूर की बात है। पहले लोगों को भीड़ मानते थे। पर इस दौरान लोगों से जुड़ने की जरूरत को हर किसी ने महसूस किया है।

6-  Team की ताकत

पहले office में कोई problem आने पर हम एक जगह एकत्र होकर अपने idea साझा करते थे। उसमे सुझार करते थे। आज ऐसा सोचना भी संभव नही है। video के जरिये team meeting में विचारों का आदान-प्रदान हो रहा है। लेकिन उसमें वो पहले वाली गर्मजोशी नही है। online में यह संभव नही है। आज हम उसी team की मौजूदगी की कमी को महसूस कर रहे है।

हमेशा ध्यान रखें

हम सब एक-दूसरे पर आश्रित है। future के लिए बड़े लक्ष्य जरुर बनाएं पर नजरें हर वक्त उसी पर गड़ाएं न रखें। वर्तमान के उतार-चढ़ावों का आनंद लेना न भूलें। लोगों और बातों को तरजीह दें। किसी को सिर्फ जरूरत के वक्त ही याद न करें। अगर हम ख़ुशी चाहते है तो life में कई सारी चीजें है, जो ख़ुशी दे सकती है। बेशक कोरोना ने life कठिन बनाया है, पर उसने हमें मजबूत भी बनाया है।




                            # इस article के writer मैक्सिम डिसूजा है।


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