Tuesday, March 3, 2020

गर हो खुद पर विश्वास

self respect and love


आत्म-सम्मान कहें, आत्म-प्रेम या फिर आत्म-मूल्य। इसकी शुरुआत इस सोच के साथ होती है कि आप प्यार करने के लायक है; खुद से प्यार करने के लायक है। सच यही है कि life में हम ज्यादातर जिन चीजों से लड़ते हैं, उनमें से एक अपने प्रति ईमानदार होना भी है। अतीत की ठेस को हम छिपाना पसंद करते हैं, ताकि फिर से चोट पहुंचने से खुद को बचा सकें। खुद से प्यार करने की वकालत करने की एक बड़ी वजह यही है कि जब हम ऐसा करना शुरू करते हैं, तो हम ऐसी सोच पैदा करने लगते है, जो हमें खुद के प्रति ईमानदार होने के करीब लाती है। जाहिर है, यदि आप दूसरों को महज खुश करने के लिए कुछ कर रहे है, या बातें बना रहे है, तो यकीनन आप अपने होने का उद्देश्य को नकार रहे है। खुद को ख़ुशी से वंचित कर रहे है। खुद से प्यार करके ही पता चलता है कि आप कौन है?

खुद पर भरोसा करना शुरू करें

कई बार हम खुद के प्रति अनिश्चित होते है। अपने decision की आलोचना करते रहते है या फिर अपने आसपास मौजूद अन्य लोगों की राय पर फैसले तय करने लगते है। खुद पर भरोसा करने की बजाय हम दूसरों पर यह विश्वास आखिर क्यों करते है? हमें नही भूलना चाहिए कि हमारा मानस भी अद्धितीय है, सुन्दर है। एक ऐसी दुनिया में, जहां किसी को आंकने या दूसरों से तुलना करने की इतनी जल्दबाजी हो, वहाँ सच्चे आत्म को दबाना आसान हो सकता है। हम अपनी संस्कृति या माता-पिता से यह सीखते है और लगातार खुद को आंकना शुरू कर देते है। यह एक खुशहाल life का तरीका कतई नही है। इससे हम अनवरत किसी ऐसी चीज का पीछा कर रहे होंगे, जो हमारे खास होने को झुठलाती है।

अपने प्रति ईमानदार होने के लाभ

आत्म-सम्मान के निर्माण का कोई सही या गलत तरीका नही होता है। इसमें अन्दर का बचपन मार्गदर्शक का काम करता है। उस पर विश्वास करें। खुद से प्यार करें और उस रूप के प्रति सच्चे रहें, जो आपका सर्वश्रेष्ठ है। स्वयं के प्रति सच्चा होना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जो हम रोजाना करते है। और यह कतई न सोचें कि चूँकि अपनी गलती की है, इसलिए आप unsuccessful है। life एक experience है, जो हमे daily सिखाता रहता है, कभी-कभी हम सही decision लेते है, तो कभी नही। इससे मायूस नही होना चाहिए, क्योंकि हम इससे सीख रहे होते है। गलत चर्चाओं को अपने उपर हावी न होने दे और खुद पर भरोसा रखें। जब आप ऐसा करते है, तो आपको अपने अन्दर कई तरह के बड़े बदलाव दिखेंगे। जैसे-

1-  संवेदनशीलता

जब हम हर स्थिति में खुद से प्यार करते है, तो हम यह सीखते है कि कब हम सर्वश्रेष्ठ होते है। हम अपने और दूसरों के प्रति भी अधिक सवेंदनशील बनते है और और अतीत के फैसलों के आधार पर खुद को आंकना बंद कर देते है। अपनी गलतियों से हम सीखते है और आगे बढ़ जाते है। हमारे लिए life के बदलाव को accept करना ज्यादा आसान हो जाता है।

2-  मजबूती

पल-दर-पल सच्चा होना हमें साहसी और दिलेर बनाता है। जब चुनौतियों आती है, तो हम बेशक दबाव महसूस कर सकते है, लेकिन उसका सफलतापूर्वक सामना भी करते है। क्योंकि हमने यही सीखा होता है कि अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए खुद पर भरोसा रखना चाहिए, फिर चाहे हम success हो या unsuccess!

3-  निश्चितता

जब हम अपने सच्चे स्व को व्यक्त करने लगते है, तो tension कम होने लगती है और कठिनाईयों को परे झटकना शुरू कर देते है। खुद को कोसना समय के साथ कम होने लगता है और future को लेकर हमारी आंशकाएं छीजने लगती है। हम present में सहज होने लगते है और अतीत को आस-पास फटकने नही देते। हमारा पूरा ध्यान वर्तमान पर होता है, जिससे हमें निश्चितता मिलती है, फिर परिस्थिति कैसी भी रहे।

4-  Positivity

भीतरी आवाज पर भरोसा करते ही दूसरों के साथ हमारे रिश्ते बदलने लगते है। हम अपने आस-पास उन लोगों को महसूस करने लगते है, जो मदद को हमेशा तैयार रहते है या हमें प्रोत्साहित करते है। हम ऐसे लोगों के साथ ज्यादा वक्त नही बिताते, जो हमारी energy बर्बाद करते है। हम उनकी तरफ attract होने लगते है, जो हमें सर्वश्रेष्ठ बनने को प्रेरित करते है।

5-  जरूरतों को पूरा होना

खुद के प्रति सच्चे होते ही हमारा life सुखद होने लगता है। हमारी जरूरतें पूरी होने लगती है, क्योंकि हम जो कुछ कर रहे होते है, उस पर हमें भरोसा होता है। हम जानते हैं कि हमें खुश रहना चाहिए। इससे हमारा अपने सपनों पर विश्वास बढ़ता है।

आत्म-सम्मान पैदा करने की सोच

1-  कोई person, place या कोई चीज तब तक हम पर हावी नही हो सकती, जब तक हम उसे ऐसा करने की अनुमति नही देंगे।
2-  मैंने भले ही अतीत में बुरे option अपनाये है, लेकिन इसका मतलब यह नही है कि मैं बुरा आदमी हूँ, और न ही मैं इस option में फंस गया हूँ।
3-  मेरे पास जो कुछ नही है, उसकी complain करना बेशक स्थिति संभालने का एक तरीका हो सकता है, लेकिन इससे कुछ बदल नही सकता।
4-  जब मैं खुद से प्यार करता हूँ, तो negative परिस्थिति में यह कह सकता हूँ कि मैं अपनी चेतन अवस्था में उन वजहों से मुक्त होने को तैयार हूँ, जिनसे यह परिस्थति पैदा हुई है।
5-  खुद या दूसरों से complain पालने की बजाय life को positive तरीके से देखने का option मैं चुन सकता हूँ।
6-  मैं पुराने फैसलों से मुक्त हो सकता हूँ और बिना शर्त खुद से प्यार करता हूँ।
7-  यह आजादी मुझे हासिल है कि मैं क्या सोच सकता हूँ।

आत्म सम्मान पैदा करने की तीन आदतें

1-  पहली है, diary लिखना। diary में अपने experience को लिखें। यह लिखें कि उनसे आपको कैसा लगा और क्या आपको यह लगता है कि अंतरात्मा ने जैसा कहा, उसी तरह आपने उनसे निपटने की कोशिश की? अगर आप किसी बात को लेकर परेशान हैं, तो क्या आपने उसका सामना किया या उसे छिपाया? जितना अधिक आप diary लिखेंगे और यह यह पता करने की कोशिश करेंगे कि आपने कब अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, तो उतना अधिक आप सच को व्यक्त करने के करीब पहुंचने लगेंगे।
2-  दूसरी है, ध्यान लगाने का अभ्यास करना। अपने विचारों को संयत रखने का इससे बेहतर कोई दूसरा तरीका नही है। इससे आत्म-सम्मान एक habit में ढल जाता है, और आप हर दिन खुद से प्यार करने का अभ्यास करने लगते है।
3-  तीसरी है, सुनने का अभ्यास करना। अपने अंतनिर्हित भय को व्यक्त करने का बेहतर उपाय है, अपने भीतर झांकना और अपनी सच्ची भावनाओं को व्यक्त करना। ऐसा करने के डर से मुकाबला करना भी आसान हो जाता है। कई लोग सोचते है कि आत्म-सम्मान सबसे शक्तिशाली औजार है। यह वाकई है, लेकिन तभी, जब आप इसको सुनने और समझने से जोड़ देते है।








  




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