Thursday, June 21, 2018

विश्व योग दिवस World Yoga Day

World Yoga Divas
विश्व योग दिवस

आज 21 June विश्व योग दिवस हैइसके लिए भारत में जब नरेंद्र मोदी ने prime minister पद संभाला तो उन्होंने पूरे world से आग्रह किया कि वे स्वस्थ्य रहने के लिये yoga को अपनायें। पिछले साल संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में घोषित किया। सच पूछिए तो भारत के लिये यह गर्व की बात हैक्योंकि योग की जननी भारत ही हैं। चलो आज हम yoga divas को गौरव के साथ मनाते हैऔर पुरे world में इसे एक सम्मानित पर्व का रूप दे। 

Yoga की परिभाषा

इंसान के body, behavior, मन और emotional को control करने वाली एक प्रक्रिया है। यह heart, brain और body के बाकी अंगों को control करने वाला विज्ञान हैजो इंसान की जीवनशैली में बदलाव लाता है।
yoga का नाम सुनते ही लोगों को व्यायाम याद आ जाता है। उन्हें लगता है कि yoga महज एक व्यायाम है जो सुबह उठकर करना चाहिये। कई लोग लोग किसी पहाड़ की गुफा में बैठे किसी साधु के बारे में सोचते हैं। कई लोगों के जहन में योग aerobics आता है। उन्हें लगता है कि yoga शारीरिक व्यायाम होता है और इसे करने से इंसान फिट रहा है। जबकि सच पूछिए तो yoga  इससे कहीं आगे है। प्राचीन काल में देश में तमाम योगी अनेक प्रकार के animals को देख आसनमुद्राएं सीखने के प्रयास करते थे। ऐसा करने से उनकी आयु में वृद्धि हुई। प्राचीन काल में yoga के माध्यम से रोग दूर करने का काम किया जाता था।
History of Yoga

वैसे तो yoga का अलग से history बहुत बड़ा नहीं हैलेकिन इसे हमेशा से ध्यान से जोड़कर देखा जाता रहा है। इतिहासकारों के अनुसार प्राचीन काल में गुफाओं के अंदर तमाम लोग ध्यान करते थे। इसके प्रमाण मुंबई की एलीफैंटा cave से लेकर अफगानिस्तान या जम्मू-कश्मीर में हिमालय पर्वत की गुफाओं में आज भी मिलते हैं। तमिलनाडु से लेकर असम तक और बर्मा से लेकर तिब्बत तक के जंगलों की कंदराओं में आज भी वो गुफाएं मौजूद हैंजहां पर yoga व ध्यान किया जाता था। जिस तरह भगवान राम के निशान इस भारतीय उपमहाद्वीप में जगह जगह बिखरे पड़े है उसी तरह योगियों और तपस्वियों के निशान जंगलोंपहाड़ों और गुफाओं में आज भी देखे जा सकते हैं।

Yoga की उत्पत्त‍ि

yoga संस्कृत धातु 'युजसे उत्‍पन्न हुआ है जिसका अर्थ है व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना या रूह से मिलन। योग 5000 वर्ष प्राचीन भारतीय ज्ञान का समुदाय है। यद्यपि कई लोग yoga को केवल शारीरिक व्यायाम ही मानते हैं जहाँ लोग शरीर को तोड़ते-मरोड़ते हैं और श्वास लेने के जटिल तरीके अपनाते हैं। वास्तव में देखा जाए तो ये क्रियाएँ मनुष्य के मन और आत्मा की अनंत क्षमताओं की तमाम परतों को खोलने वाले ग़ूढ विज्ञान के बहुत ही सतही पहलू से संबंधित हैं। yoga science में जीवन शैली का पूर्ण सार आत्मसात किया गया है जिसमें ज्ञान योग या तत्व ज्ञान,भक्ति योग या परमानन्द भक्ति मार्ग,कर्म योग या आनंदित कार्य मार्ग और राज योग या मानसिक नियंत्रण मार्ग समाहित हैं । राजयोग आगे और भागों में विभाजित है। राजयोग प्रणाली के मुख्य केंद्र में उक्त विभिन्न पद्धतियों को संतुलित करना एवं उन्हे समीकृत करना ही योग के आसनों का अभ्यास है।

वर्तमान युग

Present Time में yoga का महत्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। आधुनिक मनुष्य को आज योग की ज्यादा आवश्यकता है, जबकि मन और body अत्यधिक tension, वायु प्रदूषण तथा भागमभाग के जीवन से रोगग्रस्त हो चला है।
आधुनिक व्यथित चित्त या मन अपने केंद्र से भटक गया है। उसके अंतर्मुखी और बहिर्मुखी होने में संतुलन नहीं रहा। अधिकतर अति-बहिर्मुख जीवन जीने में ही आनंद लेते हैं जिसका परिणाम relation में tension और अव्यवस्थित जीवनचर्या के रूप में सामने आया है।
भविष्य का धर्म
दरअसल yoga future का religion और science है। future में yoga का महत्व बढ़ेगा। यौगिक क्रियाओं से वह सब कुछ बदला जा सकता है जो हमें nature ने दिया है और वह सब कुछ पाया जा सकता है जो हमें nature ने नहीं दिया है।

Yoga आसनों के प्रकार

yoga के आसनों को हम मुख्‍यत: छह भागों में बाँट सकते हैं:-
(A).पशुवत आसन

 पहले प्रकार के वे आसन जो पशु-पक्षियों के उठने-बैठने और चलने-फिरने के ढंग के आधार पर बनाए गए हैं जैसे-
1.वृश्चिक आसन
, 2.भुजंगासन3. मयूरासन4. सिंहासन5. शलभासन6. मत्स्यासन 7.बकासन 8.कुक्कुटास9.मकरासन10. हंसासन, 11.काकआसन 12. उष्ट्रासन 13.कुर्मासन 14. कपोत्तासन,15. मार्जरासन 16.क्रोंचासन 17.शशांकासन 18.तितली आसन 19.गौमुखासन 20. गरुड़ासन 21. खग आसन 22.चातक आसन23.उल्लुक आसन24.श्वानासन25. अधोमुख श्वानासन26.पार्श्व बकासन27.भद्रासन या गोरक्षासन28. कगासन29. व्याघ्रासन, 30. एकपाद राजकपोतासन आदि।
(B). वस्तुवत आसन 

 दूसरी तरह के आसन जो विशेष वस्तुओं के अंतर्गत आते हैं जैसे-

1.हलासन
2.धनुरासन3.आकर्ण अर्ध धनुरासन4. आकर्ण धनुरासन5. चक्रासन या उर्ध्व धनुरासन,6.वज्रासन7.सुप्त वज्रासन8.नौकासन9. विपरित नौकासन10.दंडासन, 11. तोलंगासन12. तोलासन13.शिलासन आदि।

(
C). प्रकृति आसन 

 तीसरी तरह के आसन वनस्पति, वृक्ष और प्रकृति के अन्य तत्वों पर आधारित हैं जैसे-

1.वृक्षासन
, 2.पद्मासन3.लतासन4.ताड़ासन 5.पद्म पर्वतासन 6.मंडूकासन7.पर्वतासन8.अधोमुख वृक्षासन 9. अनंतासन 10.चंद्रासन11.अर्ध चंद्रासन 13.तालाबासन आदि
 
(
D). अंग या अंग मुद्रावत आसन 

चौथी तरह के आसन विशेष अंगों को पुष्ट करने वाले माने जाते हैं जैसे-

1.शीर्षासन
, 2. सर्वांगासन3.पादहस्तासन या उत्तानासन, 4. अर्ध पादहस्तासन5.विपरीतकर्णी सर्वांगासन, 6.सलंब सर्वांगासन7. मेरुदंडासन8.एकपादग्रीवासन9.पाद अँगुष्ठासन10. उत्थिष्ठ हस्तपादांगुष्ठासन11.सुप्त पादअँगुष्‍ठासन, 12. कटिचक्रासन13. द्विपाद विपरितदंडासन, 14. जानुसिरासन15.जानुहस्तासन 16. परिवृत्त जानुसिरासन17.पार्श्वोत्तानासन, 18.कर्णपीड़ासन19. बालासन या गर्भासन, 20.आनंद बालासन21. मलासन22. प्राण मुक्तासन23.शवासन24. हस्तपादासन25. भुजपीड़ासन आदि।

(
E). योगीनाम आसन

 पाँचवीं तरह के वे आसन हैं जो किसी योगी या भगवान के नाम पर आधारित हैं जैसे-

1.महावीरासन
, 2.ध्रुवासन3. हनुमानासन4.मत्स्येंद्रासन5.अर्धमत्स्येंद्रासन6.भैरवासन,7.गोरखासन8.ब्रह्ममुद्रा, 8.भारद्वाजासन10. सिद्धासन11.नटराजासन12. अंजनेयासन 13.अष्टवक्रासन, 14. मारिचियासन (मारिच आसन) 15.वीरासन 16. वीरभद्रासन 17. वशिष्ठासन आदि।

(
F). अन्य आसन

1. स्वस्तिकासन
, 2. पश्चिमोत्तनासन3.सुखासन4.योगमुद्रा5.वक्रासन6.वीरासन,7.पवनमुक्तासन8.समकोणासन9.त्रिकोणासन10.वतायनासन11.बंध कोणासन12.कोणासन,13.उपविष्ठ कोणासन, 14.चमत्कारासन15.उत्थिष्ठ पार्श्व कोणासन, 16.उत्थिष्ठ त्रिकोणासन,17.सेतुबंध आसन, 18.सुप्त बंधकोणासन 19. पासासन आदि।

योगासनों के गुण और लाभ

योगासनों का सबसे बड़ा गुण यह हैं कि वे सहज साध्य और सर्वसुलभ हैं। योगासन ऐसी व्यायाम पद्धति है जिसमें न तो कुछ विशेष व्यय होता है और न इतनी साधन-सामग्री की आवश्यकता होती है। योगासन अमीर-गरीबबूढ़े-जवानसबल-निर्बल सभी स्त्री-पुरुष कर सकते हैं। आसनों में जहां मांसपेशियों को ताननेसिकोड़ने और ऐंठने वाली क्रियायें करनी पड़ती हैंवहीं दूसरी ओर साथ-साथ तनाव-खिंचाव दूर करनेवाली क्रियायें भी होती रहती हैंजिससे body की थकान मिट जाती है और आसनों से व्यय शक्ति वापिस मिल जाती है। body और मन को तरोताजा करनेउनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी योगासनों का अपना अलग महत्त्व है। आइये जानते हैं योगासन के गुण और लाभ के बारे में।

क्‍या हैं यागासन के लाभ-

(1) योगासनों से भीतरी ग्रंथियां अपना काम अच्छी तरह कर सकती हैं और युवावस्था बनाए रखने एवं वीर्य रक्षा में सहायक होती है।

(2) योगासनों द्वारा पेट की भली-भांति सुचारु रूप से सफाई होती है और पाचन अंग पुष्ट होते हैं। पाचन-संस्थान में गड़बड़ियां उत्पन्न नहीं होतीं।

(3) योगासन मेरुदण्ड-रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हैं और व्यय हुई नाड़ी शक्ति की पूर्ति करते हैं।

(4) योगासन पेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं। इससे मोटापा घटता है और दुर्बल-पतला personतंदरुस्त होता है।

(5) योगासन स्त्रियों की शरीर रचना के लिए विशेष अनुकूल हैं। वे उनमें सुन्दरतासम्यक-विकास,सुघड़ता और गतिसौन्दर्य आदि के गुण उत्पन्न करते हैं।

(6) योगासनों से बुद्धि की वृद्धि होती है और धारणा शक्ति को नई स्फूर्ति एवं ताजगी मिलती है। ऊपर उठने वाली प्रवृत्तियां जागृत होती हैं और आत्मा-सुधार के प्रयत्न बढ़ जाते हैं।

(7) योगासन स्त्रियों और पुरुषों को संयमी एवं आहार-विहार में मध्यम मार्ग का अनुकरण करने वाला बनाते हैंअत: मन और शरीर को स्थाई तथा सम्पूर्ण स्वास्थ्यमिलता है।

(8) योगासन श्वास- क्रिया का नियमन करते हैंहृदय और फेफड़ों को बल देते हैंरक्त को शुद्ध करते हैं और मन में स्थिरता पैदा कर संकल्प शक्ति को बढ़ाते हैं।

(9) योगासन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान स्वरूप हैं क्योंकि इनमें शरीर के समस्त भागों पर प्रभाव पड़ता हैऔर वह अपने कार्य सुचारु रूप से करते हैं।

(10) आसन रोग विकारों को नष्ट करते हैंरोगों से रक्षा करते हैंशरीर को निरोगस्वस्थ एवं बलिष्ठ बनाए रखते हैं।

 (11) आसनों से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। आसनों का निरन्तर अभ्यास करने वाले को चश्में की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।

(12) योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता हैजिससे शरीर पुष्टस्वस्थ एवं सुदृढ़ बनता है। आसन शरीर के पांच मुख्यांगोंस्नायु तंत्ररक्ताभिगमन तंत्रश्वासोच्छवास तंत्र की क्रियाओं का व्यवस्थित रूप से संचालन करते हैं जिससे शरीर पूर्णत: स्वस्थ बना रहता है और कोई रोग नहीं होने पाता। शारीरिकमानसिकबौद्धिक और आत्मिक सभी क्षेत्रों के विकास में आसनों का अधिकार है। अन्य व्यायाम पद्धतियां केवल वाह्य शरीर को ही प्रभावित करने की क्षमता रखती हैंजब कि योगसन मानव का चहुँमुखी विकास करते हैं।

अंतत:

मानव अपने जीवन की श्रेष्ठता के चरम पर अब yoga के ही माध्यम से आगे बढ़ सकता है, इसलिए योग के महत्व को समझना होगा। yoga व्यायाम नहीं, yoga है विज्ञान का चौथा आयाम और उससे भी आगे।




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