Solar System (सौर मंडल)
1- सूर्य मुख्य रूप से hydrogen gas से बना है।
2- सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो सौर मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे है।
3- पृथ्वी के निकटतम तारा है: प्रॉक्सिमा सेंटॉरी (4.22 प्रकाश वर्ष)
4- सूर्य अपने केंद्र पर एक चक्कर लगाने में 25 करोड़ साल लग जाते है। इस अवधि को cosmic वर्ष कहा जाता है।
5- सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचाने में लगभग 8.3 minute का समय लगता है।
6- प्रकाश वर्ष दूरी को मापने की एक इकाई है।
7- सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोल पिंडो को गृह कहते है।
8- international खगोलीय संघ के अनुसार हमारे सौर मंडल में 8 गृह हैं- बुध,शुक्र,पृथ्वी,मंगल,बृहस्पति,शनि,युरेनस और नेप्चून।
9- 8 ग्रहों के अतिरिक्त तीन बौने ग्रह भी है- सीरीज, प्लूटो और एरीस।
10-बुध सूर्य के सबसे नजदीक ग्रह है।
11-शुक्र पृथ्वी के सबसे नजदीक है।
12-शुक्र गर्म ग्रह है।
13-मंगल ग्रह को “लाल ग्रह” भी कहा जाता है।
14-बृहस्पति सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है।
15-टाइटन शनि ग्रह का सबसे बड़ा उपग्रह है।
16-चन्द्रमा को अपनी धुरी पर घूमने में 27 दिन, 7 घंटे और 11 minute लगते है।
17-पृथ्वी का निकटतम तारा अल्फ़ा सेंचुरी है।
18-क्षुद्रग्रह वे ग्रहों के टुकड़े है जो मंगल और बृहस्पति की कक्षा के बीच में स्थित है।
पोषण (Nutrition)
1- पोषण (nutrition) वह विशिष्ट रचनात्मक उपचयी क्रिया जिसके अंतर्गत पादपों में संश्लेषण तथा स्वांगीकरण और विषमपोषी जंतुओं में भोज्य अवयव के अंत:ग्रहण पाचन, अवशोषण स्वांगीकरण द्वारा प्राप्त energy से शारीरिक वृद्धि, मरम्मत, उतकों का नवीनीकरण और जीवन क्रियाओं का संचालन होता है, सामूहिक रूप में पोषण कहलाती है।
2- न्यून पोषण (under-nutrition) अवस्था के अंदर अल्पाहार से पोषण का स्तर उपयुक्त नही रहता।
3- कुपोषण (malnutrition) की अवस्था में एक या अनेक पोषक तत्व प्रतिदिन भोजन में रहते ही नही। इसलिए body में कुपोषण के चिह्न दिखाई पड़ते है। “न्यून पोषण” वाले व्यक्ति दुर्बल और कम weight वाले होते है एवं यह बच्चों के विकास में एक गम्भीर problem है।
4- जीवों को उनके energy ग्रहण करने के अनुसार स्वपोषक और परपोषी में बांटा जाता है।
5- स्वपोषी (autographs) वे सजीव है जो साधारण अकार्बनिक अणुओं से जटिल कार्बनिक यौगिको का निर्माण कर सकते है। इस कार्य के लिए आवश्यक energy के लिए वे प्रकाश या रासायनिक उर्जा का उपयोग करते है। स्वपोषी सजीवों को खाद्य श्रृंखला में उत्पादक कहा जाता है। हरे पेड़-पौधे प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण के द्वारा अपना भोजन स्वंय बनाते है तथा स्वपोषी कहलाते है।
6- परपोषी (heterotroph) वे जीव है जो स्वंय कार्बन स्थिरीकरण नही कर सकते और वृद्धि के लिए जैविक कार्बन पर निर्भर करते है। परपोषी कार्बनिक यौगिकों को पचाने से पोषण प्राप्त वे जीव है। पशु, कवक भोजन के रूप में उपयोग करने के लिए कार्बनिक यौगिकों संश्लेषण (synthesize) करने में असमर्थ है। पशु मुख्य रूप से परपोषी है।
प्रकाश संश्लेषण(Photosynthesis)
1- सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय energy को रासायनिक energy में परिवर्तित करने की क्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते है।
2- प्रकाश संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगो जैसे पत्ती, द्वारा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से CO2 तथा भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थो जैसे कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते है तथा oxygen बाहर निकालते है।
3- प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में पौधों की हरी पत्तियों की कोशिकाओं के अंदर CO2 और पानी के संयोग से पहले साधारण कार्बोहाइड्रेट और बाद में जटिल कार्बोहाइड्रेट का निर्माण होता है।
4- इस प्रक्रिया में O2 एवं energy से भरपूर कार्बोहाइड्रेट (सुक्रोज, स्टार्च(मंड) आदि का निर्माण होता है तथा O2 gas बाहर निकलती है। जल, CO2 सूर्य का प्रकाश तथा क्लोरोफिल (हरितलवक) को प्रकाश संश्लेषण का अवयव कहते है। इसमें से जल तथा CO2 को प्रकाश संश्लेषण का कच्चा माल कहा जाता है।
5- प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया सबसे important जैवरासायनिक अभिक्रियाओं में से एक है। सीधे या परोक्ष रूप से दुनिया के सभी सजीव इस पर आश्रित है। प्रकाश संश्लेषण करने वाले सजीवों को स्वपोषी कहते है।
6- रासायनिक समीकरण
6CO2+12H20+प्रकाश+क्लोरोफिल= C6H12O6+6O2+6H2O+क्लोरोफिल
कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate)
1- कार्बोहाइड्रेट, कार्बनिक पदार्थ हैं जिससे कार्बन, hydrogen व् oxygen होते है। कुछ कार्बोहाइड्रेट सजीवों के body के रचनात्मक तत्वों का निर्माण करते है जैसे कि सेल्युलोज, हेमीसेल्युलोज, काइटिन तथा पेक्टिन। जबकि कुछ कार्बोहाइड्रेट energy प्रदान करते है, जैसे कि मंड, शर्करा, glucose, गलाइकोजेन। कार्बोहाइड्रेट test में मीठा होते है।
2- कार्बोहाइड्रेट body में power उत्पन्न करने का प्रमुख स्रोत है। body को power और गर्मी प्रदान करने के लिए चर्बी की भांति यह कार्य करता है। कार्बोहाइड्रेट fat की अपेक्षा body में जल्दी पच जाते है।
3- body को कार्बोहाइड्रेट दो प्रकार से प्राप्त होते है, पहला माड़ी अर्थात स्टार्च तथा दूसरा चीनी अर्थात शुगर। गेंहू, ज्वार, मक्का, बाजरा, मोटे अनाज तथा चावल और दाल तथा जड़ो वाली vegetables में पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट को माड़ी कहा जाता है।
केला, अमरुद, गन्ना, चुकन्दर, खजूर, छूआरा, मुनक्का, अंजीर, शक्कर, शहद, मीठी सब्जिया, सभी मीठी खाद्य से प्राप्त होने वाले कार्बोहाइड्रेट अत्यधिक शक्तिशाली और health के लिए लाभदायक होते है।
4- कार्बोहाइड्रेट की अधिकता अनेक खतरनाक जानलेवा रोगों को भी जन्म देती है जिसमे प्रमुख रूप से अजीर्ण, मधुमेह, अतिसार रोग होते है। इसमे अत्यधिक weight बढ़ जाने से भी life को खतरा उत्पन्न हो जाता है।
वसा (Fat)
1- वसा body को active बनाये रखने में सहयोग करती है। वसा body के लिए उपयोगी है, किन्तु इसकी अधिकता हानिकारक भी हो सकते है। यह मांस तथा वनस्पति समूह दोनों प्रकार से प्राप्त होती है। इससे body को दैनिक कार्यो के लिए शक्ति प्राप्त होती है।
2- वसा को शक्तिदायक ईधन भी कहा जाता है। एक healthy व्यक्ति के लिए 100 gram चिकनाई का प्रयोग करना आवश्यक है। इसको पचाने में body को काफी समय लगता है। यह body में protein की आवश्यकता को कम करने के लिए आवश्यक होती है।
3- वसा का body में अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाना उचित नही होता। यह संतुलित आहार द्वारा आवश्यक मात्रा में ही body को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अधिक मात्रा जानलेवा भी हो सकती है।
4- खाद्य पदार्थो दो प्रकार की वसा होती है: संतृप्त (Saturated), असंतृप्त (Unsaturated) वसा। संतृप्त वसा नुकसानदेह cholesterol बढ़ाती है, इसे सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए। मक्खन, शुद्ध घी, वनस्पति घी, नारियल और ताड़ का तेल संतृप्त वसा के प्रमुख स्रोत है। असंतृप्त वसा सीमित मात्रा में ठीक कही जा सकती है। असंतृप्त वसा के प्रमुख स्रोत मूंगफली, सरसों, सूरजमुखी, सोयाबीन तेल है।
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