देश के field marshal रहे ‘सैम मानेकाशॉ ने defense services college, वेलिंगटन, New Zealand में 1998 में leadership and discipline विषय पर lecture दिया। मानकशॉ के इस ओजपूर्ण भाषण के कुछ प्रेरक हिस्से उन्हीं के शब्दों में- ‘leadership के सबसे important गुण हैं professional knowledge और कार्यकुशलता। चाहे आप prime minister की संतान हों या किसी उधोगपति के बेटे हो, कार्य-कुशलता हासिल करने के लिए आपको निरंतर अध्ययन व् कड़ी मशक्कत करने की जरूरत होगी। चूँकि हम technical विकास के युग में हैं, इसलिए हमें लगातार प्रयास करने की जरूरत होगी।
अपने पेशे का जानकर और कार्यकुशल होना leader के लिए अनिवार्य है। जब तक आपको अपने पेशे की समझ न हो, आप leader नही बन सकते।
leadership की एक और खासियत है, decision के लिए खुद को तैयार कर लेना और उसकी जिम्मेदारी लेना। क्या आपने सोचा है कि लोग फैसले क्यों नही ले पाते? ऐसा इसलिए, क्योंकि वे अपने काम को ठीक तरह से नही समझते या फिर वे अपने decision को लेकर दुविधा में रहते है। औसत के नियम के अनुसार आपके दस फैसलों में से पांच सही होने चाहिए। अगर आपको पेशे की अच्छी जानकारी है और आप कार्यकुशल है तो आप नौ फैसले सही लेगे। अगर एक फैसला आपने गलत भी लिया तो आपके मातहत काम करने वाले उसे ठीक कर देंगे। लेकिन अगर आपने फैसला नही लिया है तो आप सबसे ज्यादा गलत कर रहे है। जब मैं सेना प्रमुख था, तब मैं अफसरों से अकसर उनके future से जुड़े सवाल पूछता था। ज्यादातर जवाब देते थे-‘मैंने अब तक सोचा नही है।‘ इससे ज्यादा मूर्खतापूर्ण कुछ नही हो सकता। मुझे माफ़ करें, लेकिन ये फैसला जल्द से जल्द लिया जाना चाहिए। आप future में senior officer बनेगे। इसलिए सोच-समझकर फैसलें ले और उनकी जिम्मेदारी लेना सीखें। अपने फैसले को किसी साथी या मातहत पर डालकर उससे पल्ला न झाड़े। ईमानदारी और न्यायशीलता भी important है। कोई नही चाहता कि उसे सजा मिले, लेकिन वह फिर भी बिना कुछ कहे सजा काट लेगा, अगर वही सजा गलती करने वाले हर कर्मचारी के लिए तय हो। कोई नही चाहता कि उसके उपर किसी और को बिठाया जाए, लेकिन अगर नियमों के मुताबिक किसी काबिल व्यक्ति को उच्च पद पर बिठाया जा रहा है तो उसे भी लोग accept कर लेते हैं।
मैं यहाँ साहस की भी बात करना चाहूँगा, लेकिन मैं नैतिक साहस पर बल दूंगा। साहस यानी सही और गलत में फर्क करने की योग्यता, बिना इस बात से डरे कि आपके सहकर्मी या seniors इस बात पर क्या सोचेंगे। हां में हां मिलाने वाले खतरनाक होते है। ऐसे लोग बहुत आगे तक जा सकते है, किसी company के managing director बन सकते है, लेकिन ऐसे लोग कभी leader नही बन सकते, क्योंकि उनके senior उनका फायदा उठाएंगे, सहकर्मी उनसे नाखुश रहेंगे और मातहत काम करने वाले तो बिलकुल भी पसंद नही करेंगे। इसलिए निर्भीक होकर अपनी राय रखना बहुत जरूरी है।‘
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