Thursday, December 28, 2017

Why Not Happy (सुखी क्यों नही)



एक महात्मा किसी गाँव में पहुंचे। गाँव के लोग प्रार्थना करने लगे, ’ कृपया हमें दुखों से मुक्ति दिलाएं। जब तक हमारी इच्छाएं पूरी नही होगी, तब तक हम खुश नही होगे। महात्मा ने उनकी बातें ध्यान से सुनीं और बोले,’ कल गाँव में एक चमत्कार होगा। आप सब अपनी सभी problem को एक काल्पनिक थैले में लाना और नदी के पार उसे खाली कर देना। वापसी में उसी थैले में अपनी सभी इच्छाओं को भरकर घर ले आना। आपकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएँगी।

गाँव वालो को इस बात पर विश्वास नही हुआ। पर सोचा बात अगर झूठी भी हुई तो उनका कोई नुकसान नही होगा। अगले दिन सबने अपने दुखो को एक काल्पनिक झोले में भरा और नदी पार खाली कर दिया। वापसी में सोना, कार, घर, गहने, हीरे आदि अपनी इच्छाओं को थैले में भर लिया। इच्छाएं, जिनके बारे में वे सोचते थे कि उन्हें खुशियाँ दे सकती है। जब वे घर वापस आये तो हैरान हो गये। महात्मा की बात सच हो गयी। जिसने जो माँगा, वो मिल गया।


गाँव वालों की ख़ुशी की सीमा नही रही। पर यह ख़ुशी ज्यादा देर तक नही रही। जल्द ही सबने एक दूसरे से तुलना करनी शुरू कर दी। हर किसी को लगता कि उनका पड़ोसी अधिक खुश और अमीर है। वे दुखी रहने लगे। मैंने घर ही क्यों माँगा, उसकी तरह महल क्यों नही? मैंने सोने की सामान्य चैन क्यों मांगी, हीरे-मोती जड़ा हार क्यों नही? कितना अच्छा मौका था, यूँ ही गवां दिया। वे बार-बार यही सोचने लगे। एक बार फिर वे महात्मा के पास गये और दुखो से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करने लगे। महात्मा ने इतना ही कहा,’ अपनी खुशियों को problem से मत जोड़ो। दुःख सबके जीवन में है, उन्ही के साथ खुश रहने का प्रयास करो।‘ 



                                     Will Not Be Late (देर न हो जाएँ)



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