company की
FD पर bank की FD के मुकाबले एक से 1.5% तक ज्यादा ब्याज मिलता है। लेकिन company FD
पर निवेशको को आने वाले दिनों में और अधिक ब्याज मिल सकता है। corporate
मंत्रालय ने customer को और ज्यादा लाभ दिलाने
और company के लिए पूंजी जुटाने का रास्ता आसान बनाने की
दिशा में कदम बढ़ा दिया है। इसके लिए मंत्रालय ने company कानून-2013
में संशोधन के जरिये कई अहम बदलाव की सिफारिश की है। हालांकि, company की FD पर ऊँचे ब्याज के साथ ही जोखिम भी अधिक होता
है।
क्या
है Company FD
सरकारी
और निजी company कई
बार bank से कर्ज लेने के बजाय पूंजी जुटाने के लिए ऋण पत्र
जारी करती है जिसे company FD कहा जाता है। यह कुछ महीने से
लेकर पांच साल तक के लिए होता है। यह bank की FD की तरह होता है। हालाकिं निवेशको को लुभाने के लिए company bank से ज्यादा ब्याज की पेशकश करती है।
कितना
मिलेगा ब्याज
मौजूद
समय में SBI की
एक साल तक की FD पर 7.25% जबकि एक साल से अधिक और दो साल से
कम की FD पर 7.50 ब्याज मिल रहा है। वही company की FD पर इसी अवधि के लिए 8.85% तक ब्याज मिल रहा
है। corporate मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अगर company
कानून में संशोधन सम्बन्धी सिफारिशों को संसद से मंजूरी मिल गई तो
ब्याज दर में एक से दो percentage और इजाफा हो सकता है। इस
तरह company की FD पर ब्याज दर बढ़कर 10
से 11 percentage तक पहुंच सकती है।
छोटी
अवधि में अधिक फायदेमंद
किसी company का record अच्छा रहा है और उसकी मौजूदा वित्तीय स्थिति बेहतर है तो उसके एक या दो
साल में डूबने का खतरा कम रहता है। वित्तीय सलाहकारों का कहना कि लम्बी अवधि में
किसी company की एक साल की FD में
निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। इससे ऊँचे ब्याज का फायदा मिलता है और पूंजी पर
जोखिम भी कम रहता है। company FD पर भी सालाना 10 हजार रूपये
से अधिक ब्याज मिलने पर स्रोत पर कर कटौती(TDS) लगता है।
इसकी दर आयकर श्रेणी के मुताबिक होती है। ऐसे में company FD उन निवेशको के लिए ज्यादा फायदेमंद है जो 10% tax श्रेणी
में आते है।
नये
नियम से Company की
लागत घटेगी
company कानून
में संशोधन सम्बन्धी सिफारशों के लागू होने पर company के
लिए market से पूंजी जुटाने की लागत भी कम हो जाएगी। साथ ही
उनके लिए पूंजी जुटाने की लागत भी कम होने का सीधा फायदा उपभोक्ता को बढ़ी हुई
ब्याज दर का तौर पर मिलेगा। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक company कानून में बदलाव की सिफारिश क़ानूनी समिति के सुझावों पर बनी सहमति के बाद
की गई है। संशोधन में company को जमा के बदले सिर्फ वह राशि
अलग रखनी होगी जो परिपक्व होने वाली हो। इसके अलावा कुल जमा का 20% रकम रखना
अनिवार्य रहेगा। यह राशि प्रतिवर्ष 30 April तक company
को bank में जमा करानी होगी जो चुकौती खाते (RRA)
के तहत रखी जाएगी। इससे company के पास पैसा
बना रहेगा। मौजूदा कानून के तहत अभी company को दो साल के
जमा के बदले राशि रखनी होती है। साथ ही प्रस्ताव में दिवालिया company पर आजीवन प्रतिबन्ध नही लगाये जाने की सिफारिश भी की गई है। दिवालिया होने
वाली company का पिछला साल का record अच्छा
होगा तो उसे हमेशा के लिए प्रतिबंधित नही किया जायेगा। ऐसे में company को निवेशको से दोबारा जमा लेने में कोई परेशानी नही आएगी।
जोखिम
को नजरअंदाज न करें
company की
FD पर bank की FD से ज्यादा जोखिम होता है। bank की एक लाख रूपये तक
की FD का बीमा होता है। किसी वजह से bank डूब जाते है तो सबसे पहले उन निवेशकों को पूंजी वापस की जाती है जिनका
निवेश एक लाख रूपये तक होता है। वही company की FD का बीमा नही होता है। ऐसे में यदि कोई company डूब
जाती है तो उसकी FD में निवेश करने वालो को अपनी पूंजी गवाने
का खतरा रहता है। साथ ही यदि कोई company FD पर 12.5% से
अधिक ब्याज की पेशकश करती है तो इसे खतरे का संकेत समझना चाहिए। reserve
bank के नियमो के मुताबिक कोई भी company निवेशको
को जमा के बदले 12.5% से अधिक ब्याज नही दे सकती है।
रेटिंग
जरुर देखें
company जब
FD जारी करती है तो उनकी rating भी आती
है। इसे English के अक्षरों A,B,C,D में
आँका जाता है। AAA rating सबसे अच्छी मानी जाती है और इसमे
पूंजी डूबने का खतरा बहुत कम होता है। वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि AA से कम rating वाली company FD में
निवेश से बचना चाहिए। साथ ही उनका यह भी कहना है कि बिना rating वाली FD में निवेश कभी नही करना चाहिए भले ही उसमे
ब्याज दरें बेहद ऊँची हो। पूंजी डूबने का खतरा अधिक होने से कुछ company की FD की rating नही की जाती
है और ऐसे में वह निवेशको को लुभाने के लिए बेहद ऊँची ब्याज दर की पेशकश करती है।
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