college
के दिनों में fresher होना जितना सुकून देता
है, job की तलाश में उतनी ही तकलीफ देता है। government job की बात छोड़ दे तो ज्यादातर private job में freshers
के लिए न के बराबर मौके होते है। यहाँ हम उन युवाओ की बात कर रहे है,
जो course खत्म होने के बाद campus
placement में job हासिल नही कर पाते। इनमे भी
उन युवाओ की तादाद ज्यादा होती है, जिनके पास कोई professional
degree नही होती। अगर आप भी fresher होने की
वजह से job पाने में नाकाम हो रहे है तो कुछ बातो पर गौर
करके अपनी मुश्किल दूर कर सकते है-
समझे नियोक्ता की जरूरत
अगर आप किसी company में interview के लिए जा रहे है तो उस company के बारे में कुछ research
जरुर करे। freshers को नियुक्त करने के लिए
अधिकांश company किसी professional पैरामीटर
को आधार नही बनाती। वह उम्मीदवार में aggression और reliability
को परखती है। एक multinational company में HR
process से जुडकर प्रभाकर ओझा बताते बताते है,’freshers के साथ इन दिनों एक trade तेजी से नजर आ रहा है।
पहली company में काम शुरू करने के तीन से चार महीने में ही
वह job छोड़ देते है, ताकि नई job
में अधिक सेलेरी पा सके। इस वजह से पहली company का fresher के प्रशिक्षण पर किया गया खर्च बेकार चला
जाता है। इसलिए interview के दौरान नियोक्ताओ का पूरा ध्यान fresher
के attitude और ambition को परखने पर होता है। इसी से नियोक्ता किसी freshers के टिकाऊपन का अंदाजा लगाते है।‘
इन बातो में freshers के लिए गौर करने वाली
तीन अहम बाते है। पहली interview में अपनी बातचीत से positive
attitude प्रदर्शित करे। दूसरी, अपने aim
को लेकर किसी तरह का उतालवापन जाहिर न होने दे। तीसरी बात, अपनी बातो और हावभाव से नियोक्ता को यह महसूस कराए कि आप उनकी company
के लिए भरोसेमंद और उपयोगी साबित हो सकते है।
College
Degree तक न रहे सीमित
रोजगार चाहने वालो की तुलना में अब भी रोजगार के अवसर काफी
कम है। यह बात उन रोजगारो पर भी लागू होती है, जिनके लिए degree जरूरी है। रोजगार के इन सीमित अवसरों के बीच बीते दशको में काफी शिक्षण
संस्थान खुले है। फलस्वरूप उनसे degree पाने वालो की तादाद
भी बढ़ी है। ऐसे में company के लिए एक जैसी degree वालो के बीच से बेहतर का चयन मुश्किल हो गया है। लिहाजा company उन युवाओ को तरजीह दे रही है, जिनके पास college
degree के अलावा कोई specialisation certificate या diploma भी है।
motivational
speaker और carrier adviser संदीप वढेरा कहते
है,’ आज के वक्त में सिर्फ college degree के बूते job पाना आसान नही है। एक example के तौर पर अगर आप software company में recruitment
की मौजूदा स्थिति पर गौर करे तो आप देखेगे कि हर post के लिए computer science के सैकड़ो b.tech
holders की अर्जिया HR department में पड़ी हुई
है। इस स्थिति में company उन्ही application को shortlist करती है, जिनमे
उन्हें ‘core sharpness’ नजर आती है। जिस उम्मीदवार के पास
अपनी core field की जानकारी ज्यादा होती है, उसके चुने जाने की सम्भावना अधिक होती है। इसलिए b.tech के बाद अपनी field से जुड़ा कोई specialised certificate course करना फायदेमंद रहता है। जैसे b.tech(computer
science) degree holder के लिए java, ccna या php
जैसे certified course मददगार हो सकते है।
Specialised Course चुने
specialised course का फायदा सिर्फ technical degree तक
सीमित नही है। यह BA और B.com जैसी
पारम्परिक degree के साथ भी समान रूप से फायदेमंद है। वढेरा
बताते है,’आजकल graduate के लिए तमाम
तरह के certificate और diploma course उपलब्ध
है’। इनमे retail management, travel and tourism,
sales and marketing, public relation और ticketing and
reservation जैसे कई core field शामिल है। graduation
के बाद इनमे 6 month से लेकर एक साल तक कोई course
किया जा सकता है।
गंभीरता से ले college की activity
college
का मतलब सिर्फ उंचे दर्जे की पढाई नही है। इसका एक मतलब उस दौर से
है भी है, जहा student को एक छोटी अवधि
के लिए अपने personality को नये आयाम देने का मौका मिलता है।
इसलिए college time में इन अवसरों को गंभीरता से लेना जरूरी
है। DU के Dr. BR ambedakar college में
economics की associate professor Dr. hareesh के मुताबिक- जब student को college की cultural या दुसरे fest से
जोड़ा जाता है तो एक मकसद student को management की बुनियादी समझ देना भी होता है। fest organisation करने के लिए student एक team के
रूप में काम करते हुए फण्ड जुटाते है। फिर fund को बेहतर
तरीके से इस्तेमाल में लाने के लिए planing करते है। इस पूरी
कवायद में वह management के साथ-साथ presentation, अपने काम की marketing और दुसरो को राजी करने का
हुनर सीख पाते है। college life में मिले इस हुनर का पेशेवर
दुनिया में काफी important होता है।
Internship
Training
work-experience
के लिए कही internship तो कही apprentice
का नाम दिया जाता है। इस training मकसद यही
होता है कि आपने अभी तक अपने courses के दौरान जो पढ़ा है,
उसे practically करके उसका experience लेना यानि यह देखना कि industry में काम कैसे किया
जाता है। जो युवा इस तरह की training को संजीदगी से पूरा
करते है, वे कभी-कभी उसी संस्थान में job का offer भी पा जाते है।
Skill
से मिलेगी कामयाबी
company
recruitment process के दौरान test और interview
के जरिये मोटे तौर पर तीन ही चीजे परखती है-attitude,
knowledge और skill. यहा attitude की परख का मतलब होता है उम्मीदवार में सही समय में सही निर्णय लेने की
क्षमता को जांचना। interview में एक सवाल अक्सर पूछा जाता
है-आपको क्यों चुना जाए? ऐसे मौके पर उम्मीदवार के पास workshop
में मिले experience के आधार पर अपनी knowledge(industry
संबंधी) को दर्शाने का मौका होता है। इसी तरह ईसीए से अर्जित किया
हुआ experience company की ‘skill’ की
मांग को पूरा करता है।
Workshop
का हिस्सा बने
आजकल college में workshop और
project work पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा है। project
work करने से student यह जान पाते है कि
उन्होंने classroom में क्या और कितना सीखा है। class
में सबके सामने project work present करने से confidence
बढ़ता है और स्टेज फोबिया भी दूर होता है। इसी तरह workshop में शामिल होने से अपने subject की practical
field को समझने और उसकी चुनौतियों को पहचानने का मौका मिलता है।
समग्रता में इन दोनों कार्यो को देखे तो इनसे student को नये
कौशल विकसित करने का अवसर मिलता है।
No comments:
Post a Comment