1- बोलना और सुनना, दोनों का life पर गहरा असर होता है। लेकिन हमें बोलना तो अच्छा लगता है, सुनना नही। न हम खुद को सुनते है, और न ही औरो को। जब दूसरे बोलते है, तब हम प्रतीक्षा कर रहे होते है अपनी बारी की। क्या बोलेंगे, यही सोचते रहते है। दार्शनिक जिद्दु कृष्णमूर्ति कहते है, ‘हम जितना सुनते है उतना सीखते है। दूसरो को ध्यान से सुनना केवल शब्दों को नही, उनके सभी एहसासों को भी सुनना है।‘
2- धन होगा तो सुख आ ही जायेगा। ऐसा ही सोचते है हम। पर क्या आप वाकई ऐसे व्यक्ति से नही मिले, जिसके पास पैसा हो, पर खुशियाँ नही? या फिर पैसा नही था, तो भी success हुए? कहां से आते है सुख- दुःख? बैंजामिन फ्रैंकलिन ने कहा है, ‘पैसा आदमी को ख़ुशी नही देता और न ही कभी देगा। इसकी nature में ऐसा कुछ नही है, जो ख़ुशी दे सके।‘
3- दूसरो से प्रशंसा पाने का लोभ आसानी से नही छूटता। दूसरो का हमे मानना, हमें अपने होने का एहसास कराता है। यही वजह है कि प्रशंसा पाने के लिए हम झूठ का सहारा लेने से भी नही हिचकिचाते। Famous Writer महादेवी वर्मा के अनुसार, अपने विषय में कुछ कहना प्राय: बहुत कठिन हो जाता है। अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को।
4- 60 में पहुंचकर मन 20 का होने के लिए मचलने लगता है। ये नही कर सके, वो नही किया जैसे कई मलाल life को उदास बनाने लगते है। famous और लोकप्रिय अमेरिकी writer मार्क ट्वेन कहते है, ‘life अनंत खुशियों भरा होता है, यदि हम 80 की उम्र में पैदा होते और धीरे-धीरे 18 की उम्र में पहुँचते।
5- नही अच्छा लगता कि कोई हमें मुर्ख या पागल कहे। विषय की जानकारी न हो तो भी चार जनों के सामने बोलने में शान महसूस होती है। लेकिन किसी ने खूब कहा है कि बेहतर है कि चुप रहे और लोगो को सोचने दे कि आप मुर्ख है, बजाय इसके कि आप मुहं खोलकर दूसरो के संदेह को पक्का कर दे।
6- तन और मन एक-दुसरे के साथी है तो दुश्मन भी। अमेरिका के प्रथम राष्ट्रीय कवि हेनरी वड्सवर्थ लॉन्गफेलो के अनुसार,’मन शरीर पर शासन करता है। यदि वह लगातार अपने दास को रौदता है, तो दास कभी इतर उदार नही होगा कि वह घावों को भूल जाए। एक दिन उठ खड़ा होता है और अपने शासक को हरा देता है।
7- हम चाहते है कि जो हम है, लोग हमें उसी रूप में प्यार करें। गुस्सा आता है, जब कोई हमें बदलने की कोशिश करता है। लेकिन जब बात दूसरों की होती है, तब हम ऐसा नही सोचते। हमे लगता है कि हम ही बेहतर जानते हैं कि उनके लिए क्या अच्छा रहेगा। महान सूफी संत रूमी ने कहा है,’कल मैं चालाक था, इसलिए दुनिया को बदलना चाहता था। आज मैं समझदार हूँ, इसलिए खुद को बदल रहा हूँ।‘
8- हम ना चाहते हुए भी कामों को टालते रहते है। कभी लगता है कि समय सही नही है, तो कभी हम पूरी तरह से तैयार नही होते। सपने बंद आँखों के अंधेरों में भटकते रहते हैं। लगता है कि बहुत समय है, बाद में पूरे कर लेगे। पर क्या वास्तव में हम जानते हैं कि कितना समय शेष समय है? फ़्रांसीसी कवि व् उपन्यासकार पॉल वेलेरी कहते है,’ सपनों को पूरा करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है कि हम नीद से जाग जाएँ।‘
9- कुछ सोचते है कि किसी ने हमारे लिए किया ही क्या है? कुछ को लगता है कि हमारी जिन्दगी तो दूसरे ही चला रहे है। कुछ मतलब निकलते ही सब भूल जाते है। कुछ हवा, धूप, पानी से लेकर सड़को पर बने दिशा-निर्देशों तक का आभार व्यक्त करते है। कृतज्ञता एक एहसास है, जो हर किसी में नही होता। कहावत है कि जो छोटे कामो के लिए शुक्रिया नही करता, वह बड़े कामों के लिए भी नही करता।
10- हमारी अपेक्षाओं का अंत नही है। और जो चाहो वह मिल जाए तो ख़ुशी होती ही है। यही वजह है है कि हम ख़ुशी पाने के लिए एक अपेक्षा से दूसरी अपेक्षा पर भटकते रहते है। आज से दूर, कल की ओर भागते है। ‘the way of kings’ में बैंडन सैंडर्सन लिखते है, ‘अपेक्षाएं मिटटी के बर्तन की तरह होती है। आप जितना मजबूती से पकड़ते हैं, उनके टूटने की आशंका उतनी ही बढ़ जाती है।‘
11-काम छोटा हो या बड़ा, अभ्यास से ही हो सकता है। किसी की सफलता पर हम तालियां तो बजाते है, पर मन ही मन अपने भाग्य पर कुढ़ने लगते है। tenis player सेरेना विलियम्स कहती है,’भाग्य का इससे कोई लेना-देना नही है। मैंने कई-कई घंटे एक movement पर काम किया है, बिना जाने कि सफलता कब मिलेगी। मैंने केवल खुद पर विश्वास करना सीखा है।‘
12-हम समय के भूखे रहते है। हमेशा समय की मोहलत मांगते रहते है। जो काम करने चाहिए, उनके लिए हमारे पास समय नही होता। यूँ गैर जरुरी चीजों में बिताये गये समय का हम हिसाब नही रखते। famous scientist व् thinker बैंजामिन फ्रैकलिन ने कहा है,’क्या तुम्हे अपने जीवन से प्यार है? तो समय व्यर्थ ना गंवाओं, क्योकि जीवन इसी से बना है।‘
13- problem आती है और चली भी जाती है। कुछ इन्हें बहुत seriously से लेते है तो कुछ बहुत हल्के में। कुछ ऐसे भी होते है, जो सब ठीक होने पर भी पिछली चिंताओ को लादे रहते है। मानों जीवन में चिंताएं कम हो गयी तो उनके होने का अर्थ नही रहेगा। Famous नाटककार जॉर्ज बर्नार्श शॉ कहते है, ‘कई लोग अपनी problem से इतना अधिक जुड़े होते है, जितना कि उनकी problem भी उनसे जुड़ी नही होती।‘
14- अक्सर हमारे फैसले दूसरों को खुश करने के लिए होते है। हम खुद को इसी रूप में देखने भी लगते है कि हमारे रिश्ते कैसे है और हम क्या करते है? यूँ आप खुश है तो दूसरों को तरजीह देने में कोई बुराई नही है। problem होती है जब हमारी क्षमताओं व् लक्ष्यों का आधार भी दूसरे बन जाते है। famous writer पाउलो कोएलो कहते है, ‘जब आप दूसरों को ‘हां’ कहते है, तो यह भी तय करें कि खुद को ‘ना’ नही बोल रहे हैं।‘
15-खुशियाँ इस पर निर्भर नही करती कि हमारे पास क्या है। ये इस पर निर्भर करती है कि जो है, उनके लिए हम कैसा महसूस करते है, अपने रिश्तों व् चीजों के लिए हमारा क्या नजरिया है? थोड़ा होने पर भी खुश रहा जा सकता है और ज्यादा होने पर भी दुखी हो सकते है। दार्शनिक ज्यां पॉल सार्त्र कहते है,’ मेरे पास जो कुछ है, वह मेरे अस्तित्व की पूर्णता को दिखाता है। मैं वो हूँ, जो मेरे पास है... जो कुछ भी मेरा है, वह मैं हूँ।‘
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