एक bus driver bus चला रहा था। लम्बा
रूट था, bus सामान्य रूप से रास्ता तय कर रही थी। passenger
चढ़ उतर उतर रहे थे। अगले स्टॉप पर एक हट्टा-कट्टा person bus
में चढ़ा। देखने में वह पहलवान की तरह लग रहा था। जब उससे टिकट लेने
के लिए कहा तो वह conductor की ओर देखकर बोला, ‘मै टिकट नही लेता!’ यह कहकर वह पीछे की सीट पर बैठ
गया।
conductor ने कुछ नही कहा, पर वह दुखी हो गया। अगले दिन भी ऐसा
ही हुआ। उसने टिकट लेने से मना कर दिया। लगातार ऐसा ही चलता रहा। conductor
डर के कारण चुप रहता। driver को यह अच्छा नही
लग रहा था कि एक गरीब conductor का इस तरह वह व्यक्ति फायदा
उठा रहा है। अंत में जब उससे रहा नही गया तो उसने body building course में दाखिला ले लिया और वह जुडो- कराटे सीखने लगा। छ माह में वह मजबूत बन
गया और अपने बारे में अच्छा महसूस करने लगा।
अगले
दिन जब वह person दोबारा
आया तो conductor ने टिकट के बारे में पूछा। व्यक्ति ने फिर
वही जवाब दिया। driver bus रोककर खड़ा हो गया। वह व्यक्ति से
बोला, तुम क्यों नही दोगे पैसे?
व्यक्ति
ने हैरानी से driver की
ओर देखा और कहा- ‘मेरे पास bus pass है।‘
हंसी
आ रही है ना, पर हम
भी ऐसा ही करते है। भूल जाते है कि problem का हल करने की
दिशा में मेहनत, समय और संसाधन लगाने से पहले यह सुनिश्चित
कर लेना जरूरी होता है कि वास्तव में problem है भी या नही।
बिना स्थिति को समझे कदम बढ़ाना कई बार अपने व् दूसरो के लिए problem बन जाता है।
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