देश में life style से जुडी बीमारिया
मधुमेह, रक्तचाप, दिल के रोग
आदि बढ़ रहे है, लेकिन एक बीमारी है, जो तेजी से अपने पैर पसार रही है। खेद की बात ये है कि इसकी
और नीति-निर्माताओ का ध्यान भी कम है। यह रोग है मांसपेशियों एवं जोड़ो में pain से जुड़ा गठिया या orthodontist. इसमे मांसपेशिया एवं जोड़ो
में pain, सूजन, लालिमा
पैदा होती है। इसके रोगी को उठने-बैठने, चलने-फिरने,झुकने या किसी खास किस्म का work करने में
तकलीफ होती है। इसे rheumatism या गठिया कहते है।
गठिया की बीमारी करीब दो सौ किस्म की होती है। कई बार कई किस्म के fever या कभी-कभी मांसपेशियों के दबने या उन पर
दबाव या उन पर दबाव पड़ने की वजह से भी मांसपेशियों व् जोड़ो में pain होता है। मोटे तौर पर सुबह उठने के बाद आधे घंटे के भीतर body की जकडन दूर नही हो रही है तो यह गठिया के लक्षण हो सकते है।
गठिया क्यों बढ़ रहा है?
इसके लिए पर्यावरण से जुड़े कारण सबसे ज्यादा जिम्मेदार होते
है। study बताते है कि जहा pollution की problem ज्यादा गंभीर है, वहा गठिया ज्यादा हो रहा है। orthodontist आंतो
में संक्रमण की वजह से भी होता है, जिसकी वजह दूषित
खान-पान हो सकता है।
नये study से ज्ञात होता है कि life style भी इस
बीमारी को बढ़ा रही है। ज्यादा खाने-पीने के कारण मोटापे के चपेट में आने, एक स्थिति में ज्यादा देर तक बैठने, computer पर long
time तक work करने, कंधे व् गर्दन के बीच mobile दबा कर लम्बे
समय तक बात करने जैसी position से भी मांसपेशियों
एवं जोड़ो का pain होता है। हालाकि यह गठिया नही है, लेकिन इसके effect गठिया जैसे ही महसूस
होते है। दुसरे ज्यादा age वाले में ही नही,
child और young में भी गठिया
हो रहा है।
Pollution बड़ा कारण
गठिया को लेकर हमने AIMS की OPD में आने वाले 300 मरीजो के आकडे जुटाए है। आरम्भिक जाँच में यह पाया गया
है कि जब Delhi में pm-2.5
की मात्रा air में ज्यादा पाई गयी, तब गठिया के रोगी ज्यादा सामने आये। ऐसे मरीजो के आकडे collect किये गये, जिससे यह बात सामने आती है कि जब air में pm-2.5 ज्यादा मात्रा में घुल जाते है तो
यह सांस लेने के साथ body में प्रवेश कर जाते है। blood के साथ ये body के सभी अंगो में पहुचते
है। इसी प्रकिया में pm-2.5 की मात्रा जोड़ो के
इर्द-गिर्द कोशिकाओ में blood एवं oxygen के प्रवाह को बाधित करती है।
सही जाँच जरूरी
मांसपेशियों एवं जोड़ो में pain की शिकायत आज आम
बात हो गई है। city में यह position ज्यादा गंभीर है, जहाँ शारीरिक गतिविधियाँ लोगो
में कम है। इसलिए सही जाँच जरूरी है। इसके लिए हड्डी रोग विशेषज्ञ की बजाय गठिया
रोग विशेषज्ञ के पास जाए। दुसरे बिना जाँच के गठिया या orthodontist का medicine का सेवन नही करना चाहिए। इससे medicine के
दुष्प्रभाव हो सकते है। steroid वाली medicine का तो सेवन कतई नही किया जाना चाहिए।
जरूरी है सही जाँच
बीमारी का गलत इलाज ज्यादा घातक हो सकता है। हाल में एक person पीठ की pain की complain के साथ पहुचे। उन्हें doctor ने slip
disk बताकर operation की advice दे डाली। वह second opinion के लिए आये
थे। जाँच में पाया गया कि यह slip disk का मामला
नही था और न ही गठिया का। उन्हें सिर्फ back pain की
शिकायत थी। वह हवाई यात्रा व् computer work ज्यादा
कर रहे थे, जिससे एक position में बैठने के कारण यह बीमारी हुई। उन्हें कुछ exercise बताया गया और हवाई जहाज में बैठते समय सावधानिया बरतने को कहा। six-seven
month बाद जब वे दुबारा आये तो problem खत्म हो गयी थी
।
दूसरा, एक 23 years woman हाथो में orthodontist की problem लेकर आई। वह orthodontist की medicine ले रही थी। लेकिन हमने जब report देखी तो
उन्हें orthodontist नही था, बल्कि liver में कुछ problem थी, पर orthodontist की medicine देने के बाद उन्हें पीलिया ने पकड़ लिया था। एक अन्य मामले में एक 63 years
woman नसों में सूजन के orthodontist से
पीड़ित थी, जिससे उनके मुँह से blood आ रहा था, पर doctor टीबी की medicine दे रहे थे।
सिर्फ जाँच ही काफी नही
यह देखा गया है कि अक्सर लोग ईएसआर, सीआरपी
जैसे test positive निकलने पर उसे गठिया मान लेते
है। यह सही नही है। यह body में सिर्फ सूजन व्
संक्रमण दर्शाते है। यह हमेशा गठिया का पैमाना नही होता। इसी प्रकार रूमैटाइड
फैक्टर (RF) anti nuclear antibodies(ANA) के positive निकलने का मतलब भी गठिया संक्रमण जरूरी नही है। five
percentage healthy लोगो में भी यह test
positive निकलते है।
इलाज की सुविधाओ की कमी
देश में 7 से 18 फीसदी आबादी के गठिया या मांसपेशियों से
जुडी बीमारियों से ग्रस्त होने का अनुमान है, लेकिन इलाज की सुविधाए
बेहद कम है। रुमैतालाजिस्ट की देश में सिर्फ 15 post graduate
seat है। देश में आधा दर्जन hospital में ही रूमैटालाजी विभाग है। इसे गैर संचारी रोगों की श्रेणी में भी नही
रखा गया है, इसलिए सरकारी नीतियों में इस बीमारी पर खास
जोर नही है।
कुछ तथ्य
1- यह नवजात शिशुओ से लेकर
वृद्दो में पाया जाता है। माँ से बच्चे में भी आ सकता है।
2- women अधिक शिकार है। ताजा
शोध बताते है कि युवाओ में भी इसके मामले बढ़ रहे है।
3- ओस्टियोओर्थाइटिस सबसे अधिक
पाया जाने वाला गठिया है। गठिया होने पर रूमैटालाजिस्ट से सलाह ले, हड्डी
रोग विशेषज्ञ से नही। यह medicine से ठीक होने
वाली बीमारी है, शल्य क्रिया से नही।
4- world में प्रतिवर्ष orthotist से सौ अरब dollar की क्षति होती है। करीब
दस लाख लोग hospital में भर्ती होते है और पांच
करोड़ लोग OPD में जाते है।
Exercise कर गठिया से बचे
हर person को मांसपेशियों, जोड़ो के दर्द से बचने के लिए
तीन किस्म के exercise करने चाहिए।
एक, गतिशीलता को बनाये रखने वाले exercise, जिससे जोड़ो की सामान्य position बनी रहे
और उनमे जड़ता उत्पन्न न हो।
दुसरे, मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करने
वाले exercise.
तीसरा, एरोबिक व्यायाम, जिससे heart में सही blood संचालन हो और weight भी control रहे, क्योकि रोगी का weight जितना कम होगा, गठिया का उपचार उतना ही आसान
होगा।
medicine के साथ-साथ जोड़ो के exercise, शारीरिक
क्रियाशीलता, मांशपेशियो के exercise या फिजियोथेरेपी गठिया के उपचार में भूमिका निभाते है। यह pain और जकडन को कम करने में सहायक सिद्द होते है। exercise से जोड़ो में लचीलापन और गतिशीलता आती है एवं मांशपेशियो को power मिलती है।