हमारा country ही नही, पूरी world
बदल रहा है। पुरानी संस्थानों के तौर तरीको वक्त के साथ पुराने पड़
चुके है। जो देश कभी तेजी से तरक्की की ओर कदम बढ़ा रहे थे, आज
मंदी से जूझ रहे है। समाज में जिस तरह से हम गुजर-बसर करते आ रहे है, उसमे भी हमे नये सामंजस्य बिठाने पड़ रहे है। इस बदलाव को सहज भाव से
अपनाने में हमारी काफी energy लग जाती है। लेकिन ये energy
आएगी कैसे? जाहिर सी बात है अपनी ताकत बढ़ाकर।
खुद को स्थापित करके ही हम अपनी स्थिति मजबूत कर सकते है। लेकिन यहाँ इस तथ्य पर
विचार करना भी जरूरी है कि समाज में मान-सम्मान अल्पकालिक है या हमेशा के लिए साथ
है?
ताकतवर होने के मायने
पारम्परिक सोच यह है कि ताकत बाह्रा power होती
है। अगर person के पास money है,
famous है,बड़े-बड़े बंगले या संपति है, तो माना जाता है कि वह बहुत ताकतवर है। हमेशा से दुनिया इसी ताकत को मानती
आई है और आज भी इसमे कोई बदलाव नही आया है। ज्यादातर लोग इसी power को पाने की लालसा रखते है। लेकिन बाह्र power एक
मायने में सीमित होती है। इसकी problem है कि यह लम्बे वक्त
तक ख़ुशी नही दे पाती और न ही हमे बेहतर इंसान बना पाती। दुनिया की भी इससे किसी
तरह की प्रगति नही होती।
अंदरूनी ताकत का दूरगामी प्रभाव
बाह्र power नही, पर एक power
ऐसी है, जिसे अपनाने के लिए मै आपको
प्रोत्साहित करूगा। उस पर गंभीरता से विचार करने के लिए कहूगा। यह power है हमारी अंदरूनी power. बाहरी power की तरह यह नजर भले ही न आती हो, लेकिन इसका प्रभाव
दूरगामी होता है। दुनिया की हर महान शख्सियत इसी power के बल
पर आगे बढ़ी है। उन्होंने हर मुश्किल का सामना डटकर किया और कभी अपने मार्ग से
विचलित नही हुए। कुछ ऐसी ही हस्तियों का जिक्र करने जा रहा हो।
जब
महात्मा गाँधी की मृत्यु हुई, तो अपने पीछे जो कुछेक चीजे वे
छोड़ गये, उनमे था उनका चश्मा, दो जोड़ी
चप्पले,एक चरखा,एक घड़ी और ऐसी ही कुछ
सामान्य चीजे। लेकिन इन साधारण चीजो का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने जो असाधारण
अंदरूनी power develop की थी, उसका कोई
मुकाबला ही नही था। उनके personality ने कई पीढियों को
प्रभावित किया। कुछ साल पहले मै मदर टेरेसा के कमरे में खड़ा था। वहाँ एक bed
और desk के सिवाय और कुछ न था। लेकिन वहा खड़े
होने पर एक मानसिक बल मिल रहा था। इसी से मुझे उनकी power का
अहसास हो रहा था, जिसने करोड़ो लोगो को प्रभावित किया।
अभाव में भी बना मैराथन धावक
कुछ दिनों पहले मैंने केन्या के एक बच्चे के बारे में पढ़ा।
गरीब घर के इस बच्चे का बचपन बिना चप्पल के गुजरा। किशोरावस्था में जाकर उसे जूते
नसीब हुए। वह family
के 11 बच्चो में से एक था। इन स्थितियों से उसके विषम हालात का
अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन ऐसे
हालात में भी उसमे दौड़ लगाने का जूनून था, अपने क्षेत्र में
आगे बढने की ललक थी, अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का चाह
थी। वह एक हफ्ते में 125 मील दौड़ता था, लेकिन दो जून की रोटी
के लिए एक खदान में पत्थर तोड़ने का काम भी करता था। उसके पास और कुछ तो नही था,
लेकिन power भरपूर थी-अन्त:करण की power.सालो बाद यही बच्चा ज्योफ्री मुटाई के नाम से दुनिया के सबसे तेज मैराथन
धावको में हुआ। आज वह famous है और धनवान भी। अपनी power
के बल पर ये चीजे उसे खुद-ब-खुद हासिल हो गयी।
प्राप्त होती है पूर्णता
अंदरूनी power हम सभी में होती है, लेकिन कुछ लोग ही इसे पहचान पाते है। अगर प्रयास किये जाये तो हम सभी इसका
इस्तेमाल कर खुद को बहुत मजबूत और प्रभावशाली बना सकते है। इसी से बल मिलता है एक
सशक्त चरित्र के निर्माण का, सच्चाई की राह पर चलने का,
सह्रदय होने का, अपने जीवन से उपर उठकर मूल्यों
और सरोकार से जुड़ने का। यह power हासिल कर लेने में सबसे
अच्छी बात यह होती है कि मन प्रफुल्लित हो उठता है। यही सही अर्थ में उन्नति है।
इसे प्राप्त करने के बाद जब आप लोगो से रूबरू होते है तो वे आपसे प्रभावित हुए
बिना नही रहते। आपसे मिलकर वे भी आपकी तरह उर्जावान बन जाते है।
यहा मै एक शानदार book ‘A Return Too Love’ की writer
मरियन विलियमसन की कुछ line का उल्लेख करने जा
रहा हो, हमारा सबसे बड़ा डर यह नही होता है कि हम सम्पूर्ण
नही है, बल्कि यह होता है कि हम अपनी असीमित power को संभाल कैसे पायेगे। हमारे अंदर जो प्रकाश है, वही
हमे डराता है न कि अँधेरा। कभी कभी हम खुद से यह सवाल पूछते है कि हम इतने
बुद्दिमान, तेजस्वी और ओजपूर्ण आखिर किसलिए है? आखिर वह कौन सी चीज है, जिसके लिए हम नही बने है?...
power का विस्तार न करने और खुद को सीमित रखने से दुनिया का भला नही
होने वाला। जैसे-जैसे हमारे भीतर का अंधकार दूर होता है, वैसे-वैसे
हम दूसरो को भी आगे बढने का रास्ता दिखाते है। जब हम अपने डर दूर कर लेते है,
तो हमारी उपस्थिति मात्र से दुसरे खुद को राग-द्देष के बन्धनों से
मुक्त महसूस करने लगते है।‘
personality
को पूरी तरह से बदल देने वाली यह अंदरूनी power इस धरती पर रहने वाले हर इंसान के पास है। इससे जो ख़ुशी मिलती है, वह ताउम्र हमारे साथ रहती है, यही हमे पूर्णता का
एहसास कराती है, उर्जावान बनाती है। इस power के साथ ही ऐसी दुनिया का निर्माण होता है, जिससे
विद्दे, युद्द, अवनति जैसी negative
emotional से दूर प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है।
"इस article
के writer रॉबिन शर्मा famous
leadership expert writer है।"
www.robinsharma.com
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