Saturday, June 10, 2017

Success Entrepreneur सफल उधमी

Success Entrepreneur
कहते है कि उधमी पैदा होते है, बनाये नही जाते। वह ग्राहकों को तैयार करता है और ग्राहक रोजगार और आर्थिक विकास को आगे ले जाने में बड़ी भूमिका निभाते है। एक उधमी की राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने की दिशा में बहुत बड़ी भूमिका होती है। दरअसल विकास के एक पलड़े पर अगर रचनात्मकता, विचार, खोज और नवीनीकरण दीखते है तो इसके दुसरे पलड़े पर आर्थिक और व्यापारिक पक्ष नजर आता है।इन दोनों पलड़ो को अपनी अनोखी सोच से साधने वाला व्यक्ति ही एक सफल उधमी कहलाता है। तो सवाल है कि क्या सचमुच एक सफल उधमी पैदा ही होता है?

इस सवाल के जवाब में यह कहा जा सकता है कि एक सफल उधमी में कुछ प्रतिशत जन्मजात प्रतिभा होती है और बाकी वह सीख सकता है।यह भी कहा जा सकता है कि उधमी एक घोड़े की तरह होता है, जो नवीन विचारो की गाड़ी को खीचता है।इसका मतलब एक सफल उधमी होने के लिए व्यक्ति में एक साथ कई गुण जरूरी होते है, जिनमे से कुछ उसे प्राकृतिक तौर पर मिलते है और अन्य को वह काम और अनुभव के साथ-साथ चमका सकता है।

व्यवसाय विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि सफल उधमी किसी भी आयु वर्ग के हो सकते है और वह समाज के किसी भी धड़े से आ सकते है। यह भी जरूरी नही है कि वह उच्च शिक्षित हो और उनके व्यक्तित्व भी अल्ग-अल्ग तरह के हो सकते है। इसलिए यह कहना भी गलत नही होगा कि कई स्थानों पर उधमी के लिए उच्च शिक्षा ज्यादा काम नही आती, लेकिन अपने काम का बुनियादी जानकारी जरुर काम आती है। 

जरूरी नही है कि आप प्रथम श्रेणी के उधमी ही साबित हो। प्रथम श्रेणी से मतलब ऊँचा लक्ष्य रखने वाला और हर समय काम करता हुआ दिखने वाला। देखा गया है कि अक्सर वे ही  छात्र  सफल उधमी सफल होते है। तो जानते है सफल उधमी से जुड़े कुछ तथ्य।

कार्य में आनन्द 

किसी भी कार्य में सफलता प्राप्ति से जुड़ा एक बुनियादी नियम यह है कि आपको उस काम में आनन्द आना चाहिए। व्यवसाय में भी यह तथ्य कुछ अल्ग नही। यदि आपको अपने काम में आनन्द नही आ रहा है तो इसका असर लाभ पर भी पड़ेगा। कार्य से जुडी निजी संतुष्टि, वित्तीय लाभ, स्थायित्व और मनोरजंक पक्ष तभी मजबूत होता है, जब आप उसमे आनन्द ले। यदि आपको अपने काम में मजा नही आ रहा है तो बहुत सम्भव है कि आप उसमे सफल न हो।

गंभीरता 

आप तब तक अपने व्यवसाय में सफल नही हो सकते, जब तक कि आपका उसमे अटूट विश्वास न हो। कई व्यवसायी समय के साथ-साथ बदलते परिवेश में अपने व्यवसाय को गंभीरता से नही लेते। इस कारण वह एक समय बाद अपने पेशे में हाशिये पर जाते दीखते है। इसलिए अपने कार्य को जब तक आप गंभीरता से नही लेगे, सफलता आप से मिलो दूर रहेगी।

आत्मविश्वास

किसी भी नये उधमी के लिए आत्मविश्वास सबसे जरूरी होता है। इसमे भी अपनी क्षमताओ की जानकारी सबसे पहले होनी चाहिए। इसके बाद सफलता प्राप्ति के लिए प्रयास और उससे जुडी सक्रियता मायने रखती है। याद रखना चाहिए कि अति आत्मविश्वास और जल्दबाजी नुकसान पहुंचा सकते है। अपनी क्षमता से बढकर प्रतिबद्दता दिखाने के भी विपरीत परिणाम सामने आते है। इसलिए एक सधी सोच के साथ भविष्य के लिए योजना बनाना, किसी भी किस्म की आकस्मिकता को ध्यान में रखना, अल्ग-अल्ग माध्यमो में फीडबैक लेना और सफलता प्राप्ति के लिए अंधी दौड़ से बचना जरूरी होता है।

योजना
योजना निर्माण से जुड़ा पहला तथ्य यह है कि आपको व्यवसाय के हरेक पक्ष के लिए पुख्ता योजना बनानी होगी। यह एक ऐसी आदत है, जिसे प्रत्येक नये या पुराने उधमी को विकसित करना चाहिए और  उस पर अमल करके उसे स्थायी तौर पर बनाये रखना चाहिए।
उधमियो को प्रत्येक परिस्थियों के लिए योजना बनाने के लिए जरूरी डेटा इकट्टा करना होता है, जो शोध के दौरान सामने आता है। तैयारी कागज पर भी सामने आती है, जहा अपने लक्ष्य और प्रयासों को शुरूआत से अंत तक दर्ज करना चाहिए।




एक सफल उधमी होना चाहिए




संबंध बनाने वाला

एक सफल उधमी अपने कार्यस्थल और बाहर दोनों जगह सकारात्मक सम्बन्ध साधता है। उसके अंदर खुले व्यहार, सामजिकता निभाने वाले गुण और कार्य के प्रति इमानदारी का भाव दिखना चाहिए। इस दिशा में समयबद्द्ता सबसे बड़ी चुनौती होती है। खुद समयसीमा की इज्जत करके ही वह अपने अधीनस्थों के सामने उदाहरण रख सकता है। बाहरी सम्बन्ध साधने के लिए उसका नेटवर्क बृहद होना चाहिए। साथ ही इस दिशा में उसे अतिरिक्त प्रयास करने पड़ सकते है।

खतरे उठाने वाला

कामकाज के क्षेत्र में खतरे उठाने की क्षमता उसी क्यक्ति में होती है, जो सकारात्मक सोच रखता है। सकारात्मकता ही ऐसे व्यक्ति को तार्किक जमीन पर सोचने को प्रेरित करती है। ऐसे उधमियो के व्यक्तित्व में एक खास तरह का आकर्षक होता है, जो सबको उनकी ओर खींचता है। ऐसे व्यक्तियों में आत्मविश्वास भी भरपूर होता है, जो उनमे जीत की इच्छा को सदा जिन्दा रखता है। वह उलझावपूर्ण परिस्थियों से भी अपेक्षाकृत जल्दी पार पा लेते है। यह जरुर है कि उनको अति-आत्मविश्वास से बचना चाहिए। फैसले लेने में किसी किस्म की जल्दबाजी या गलती से बचना भी जरूरी है।

 विशेषज्ञता रखने वाला

काम के दौरान जब किसी किस्म की दिक्कत आती है तो क्या आप किसी विशेषज्ञ की मदद लेते है या खुद ही उस समस्या को हल करने की कोशिश करते है? यह एक बहुत जरूरी पक्ष है, जिस पर किसी भी उधमी को सोचते रहना चाहिए।

खुद में निवेश करने वाला

शीर्ष उधमी बिजनेस एवं मार्केटिंग की किताबे, पत्रिकाए, रिपोर्ट्स, वेबसाइट और इंडस्ट्री के अन्य प्रकाशन लगातार पढ़ते रहते है। सुचना के ये स्रोत उन्हें व्यवसाय और मार्केटिंग से जुडी समझ को पुख्ता करने में भूमिका निभाते है। वह बिजनेस एसोसिएशन और क्लबो से भी जुड़ते है और ऐसे लोगो से भी, जो अपने क्षेत्र में माहिर होते है। इस दिशा में सेमिनार और वर्कशॉप की जरूरत को भी स्वीकारते है।





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