ELSS EQUITY mutual
fund है, जिसके fund का ज्यादातर हिस्सा equity में निवेशित होता है। इसे tax fund भी कहा
जाता है। ELSS fund का return equity market पर depend होता है। ये fund निवेश पर
अच्छे return के साथ ही आपको tax बचाने की सुविधा भी देते है, जिसके चलते यह निवेश
का काफी लोकप्रिय जरिया माना जाता है। अगर आप tax बचाने के लिए निवेश करना चाहते
है तो ELSS सबसे बेहतर चुनाव हो सकता है। इसके अलावा यहाँ पैसे लगाना share market
के मुकाबले कम जोखिम भरा रहता है। इसमे पूरी रकम equity में निवेश नही की जाती है
जिससे जोखिम घटता है, जबकि पारम्परिक बचत योजनाओं के मुकाबले बेहतर return भी
मिलता है।
कम लॉक इन पीरियड का फायदा
ELSS में लॉक इन period महज तीन साल का होता है। यानी आप ELSS में
SIP भी शुरू कर सकते है। निवेशक चाहें तो तीन साल के बाद भी इसे जारी रख सकते है
या फिर पैसा निकाल सकते है। निवेशक चाहे तो तीन साल के बाद भी इसे जारी रख सकते है
या फिर पैसा निकाल सकते है। इसके उलट पारम्परिक निवेश के option जैसे PPF और NSP
में लॉक इन period काफी लम्बा होता है। इसका मतलब यह है कि इनमें एक बार निवेश
करने के बाद आप जल्द अपना पैसा नही निकाल सकते है। इनके मुकाबले ELSS ज्यादा लचीली
स्क्रीम है। वैसे PPF में पांच साल के बाद आंशिक निकासी की सुविधा है, लेकिन इसका
maturity period 15 साल होता है।
दोहरे कर बचत का लाभ
ELSS में निवेश पर दोहरे कर बचत का भी लाभ मिलता है। एक तो निवेश की
गई राशि आयकर की धारा 80c के तहत करमुक्त होती है। हालाँकि इसके तहत एक साल में
महज 1.5 लाख रूपये के निवेश पर ही tax छूट का लाभ उठाया जा सकता है। ज्यादातर
निवेशक tax बचाने के लिए ELSS में पैसे लगाते है और बाद में अन्य mutual fund में
निवेश करने लगते है, इसलिए इस योजना को MF की पहली स्क्रीम भी कहा जाता है। ELSS
की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमे निवेशित रकम के return पर भी tax छुट मिलती है,
जैसा कि FD, PPF और NSC जैसी योजनाओं में होता है। ELSS में अगर निवेशित राशि पर
सालाना ब्याज की रकम एक लाख रूपये से कम होगी तो इस पर किसी तरह का कर नही देना
पड़ेगा। वही, 1 लाख रूपये से ज्यादा ब्याज की आय पर 10% की लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन
tax देना होगा। इस लिहाज से 95% से ज्यादा छोटे और मझोले निवेशक कर देने के इस
दायरे से बाहर रहते है।
Market में निवेश के कई रास्ते
वित्तीय सलाहकार company BNP fincap के निदेशक अमित निगम के अनुसार,
ज्यादातर लोग tax के लिए बचत करते है और market में उतार-चढ़ाव है। लिहाजा आप चार
माह में ELSS वीकली STP या SIP के जरिये निवेश कर सकते है। इसमे एकमुश्त राशि की
बजाय एक निश्चित समयावधि मी निवेश होता है, जिसमे fund की स्थिति देखकर बदलाव किया
जा सकता है। दूसरा option आर्बिटेज fund का भी है, जिसमे एकमुश्त पैसा लगा सकते है।
इसमें भी सुरक्षित return मिलता है और पैसा डूबने का जोखिम भी कम रहता है। तीसरे
option के तहत लम्बी अवधि का निवेश आता है। अगर आप लम्बी अवधि का निवेश करना चाहते
है तो mid-cap या small-cap के mutual fund की scream में निवेश कर सकते है।
इसमे आप SIP, STP के जरिये पैसे लगा सकते है। अभी भी ये fund आपको कम
वैल्यूएशन पर मिल रहे है। इस तरह आप इस योजना में अपनी सुविधा के अनुसार मासिक,
तिमाही, छमाही, सालाना या एकमुश्त निवेश कर सकते है। अगर आपके पास demat खाता है
और EKYC की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है तो आप fund company की website के जरिये
ELSS में सीधे निवेश कर सकते है। दूसरा तरीका यह है कि आप किसी mutual fund agent
की मदद लें।
शानदार Return भी मिलेगा
ELSS में अन्य पारम्परिक निवेश option के मुकाबले करीब दोगुना return
मिल सकता है। NPS और FD व् PPF में जहां आपका सालाना return 8 से 10% के बीच होता
है, वहीँ ELSS आपको 18% का शानदार return दे सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह fund
आपकी रकम का कम से कम 65% हिस्सा equity में निवेश करता है। कई ELSS के fund में
तो 90% से अधिक का निवेश equity में किया गया है।
ऐसे चुनें बेहतर ELSS
market में दर्जनों ELSS योजनायें है। ऐसे में अपने फायदे के लिए किस
ELSS का चयन किया जाये जिस पर बेहतर return मिलें। इसके लिए fund को कुछ मानदंडो
के नजरिये से देखना चाहिए, जो fund की निवेश शैली, निवेश का पोर्टफोलियो, fund के
खर्च, बाज़ार के उतार चढ़ाव के दौरान प्रदर्शन, जोखिम-लाभ अनुपात और योजना के
मुल्यांकन आदि चीजों पर निर्भर करते हो। इसके अलावा fund house की market में
स्थिति भी देखनी चाहिए। market के उतार-चढ़ाव में भी जिस fund ने बेहतरीन प्रदर्शन
किया हो, उसी का चुनाव करें।
ये जानकारी जरुरी
1- यहा निवेश 500 रूपये के
मल्टीप्ल में ही होगा यानी 1000, 1500, 2000 आदि।
2- इसमे सिप के माध्यम से दी
गई हर क़िस्त को अलग निवेश मन जायेगा और उसी अवधि से lock in period तय होगा।
3- इसमे unit का transfer
केवल तीन साल के बाद ही किया जा सकता है।
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