खुजली की problem से
कभी न कभी हर कोई दो चार होता है। खुजली ज्यादा हो तो दिन में बैठना और रात में सोना मुश्किल हो जाता
है। खुजली खुद में बीमारी हो सकती है और किसी बीमारी का लक्षण भी। ऐसी भी घटनाएँ
हुई है कि एक वैज्ञानिक ने खुजली पर भाषण देना शुरू किया है और नतीजे में सुनने
वाले किसी न किसी अंग में खुजली करते रहे।
क्या कहता है Science
एलोपैथी के अनुसार, अत्यंत सूक्ष्म जीवाणुओं यानी माइक्रोब्स के
infection के कारण body के विभिन्न अंगो में खुजली उठती है। body के imune system
में गड़बड़ी हो तो भी खुजली हो सकती है। research के अनुसार खुजली होने पर जितना
खुजलाया जाता है, आमतौर पर यह उतनी ही बढ़ती है। वाशिंगटन university में चूहों पर
हुए एक प्रयोग में पाया गया कि खुजाना शुरू करते ही body में सेरोटोनिन harmons का
स्राव शुरू हो जाता है और खुजली बढ़ती हुई लगती है।
Scientist के अनुसार pain को control करने के लिए हमारा brain खुजली
पैदा करने वाले न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन harmons का उत्पादन करता है। चूहों में
इस harmons की मात्रा कम करने पर खुजली भी कम कम होती हुई देखी गई। अमेरिका के ही
national institute of health के Scientist के अनुसार खुजली के लिए नैतियूरेटिक
पोलिपेपटाइड बी (NPPB) नाम का मॉलिक्यूल जिम्मेदार है। यह स्पाइनल कार्ड की एक
विशेष नस में अपनी जगह बना लेता है, जिससे दिमाग में खुजली होने के संकेत पहुंचने
लगते है।
कुछ Scientist तो यह भी कहते है की खुजली एक तरह का हल्का pain है।
असल में हमारी skin में ऐसी सूक्ष्म तंत्रिकाओं का व्यापक जाल बिछा हुआ है, जो
body में आने वाले खतरों के प्रति brain को सचेत करने का काम करती है। खतरा मामूली
हो तो खुजली का एहसास होता है और खतरा बड़ा हो तो pain महसूस होने लगता है। इससे
कुछ अलग हटकर कुछ Scientist मानतें है कि खुजली और pain की अनुभूति कराने वाली
तंत्रिकाएं अलग-अलग होती है। वैसे खुजली की असली जड़ तक पहुंचने में अभी भी doctor
और scientist लगे हुए है। doctor के अनुसार skin रोगों में खुजली सबसे खतरनाक भी
साबित हो सकती है।
कैसे-कैसे रूप
खुजली इन रूपों में सता सकती है।
1- ऐसी खुजली, जिसमें दाने निकलते है।
2- बिना दानों की खुजली
3- पानी वाली खुजली
4- सूखी खुजली
कई बार एक जगह शुरू
हुई खुजली कुछ और अंगो में या धीरे-धीरे पुरे body में फ़ैल सकती है।
खुजली के कुछ सामान्य कारण इस प्रकार है-
Ø सूखी व् खुश्क त्वचा। खासकर बड़ी उम्र के
लोगों में skin में नमी व् पोषण की कमी खुजली पैदा करती है।
Ø गर्मी के दिनों में skin कि सफाई ठीक ना होना भी
खुजली का कारण बनता है। ऐसे में पसीने के सूखने के बाद खुजली होने लगती है।
Ø घमौरियों और सूरज कि
ultraviolet किरणों के असर से भी खुजली होती है।
Ø किसी खास घातु व् आभूषणों
के कारण allergy होने पर भी खुजली होने लगती है।
Ø साबुन, कम गुणवत्ता वाले
detergent,perfume का इस्तेमाल भी खुजली पैदा करता है।
Ø जननागों की ठीक से सफाई न
होने पर या फिर Bactria के infection के कारण खुजली होने लगती है।
Ø कुछ खास पेड़-पौधे के
संपर्क में आने से भी खुजली होती है। गाजर घास और के वांच ऐसी ही वनस्पतियाँ हैं,
जिनको छूने पर खुजली होने लगती है।
खुजली के संकेतो को
समझिये
blood infection,
मधुमेह, liver और गुर्दे से जुड़ी problem में भी body ,में खुजली के लक्षण देखने
को मिलते है। ऐसे में खुजली के अलावा कुछ और बातों पर भी गौर करना जरुरी होता है।
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skin पर
किसी तरह के निशान या दाने नही है, पर खुजली है और साथ में साँस लेने में भी असहज
महसूस कर रहे है तो ऐसा allergy के कारण हो सकता है।
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कुछ खास तरह के cancer में खुजली के साथ skin के नीचे किसी तरह कि
गांठ महसूस होती है या वजन तेजी से कम होने के लक्षण देखने को मिलते है। ऐसी
स्थिति में doctor से तुरंत मिलना चाहिए।
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किडनी से जुड़ी problem में आमतौर पर पेशाब कम मात्रा में आता है। ऐसी
स्थिति में लगातार थकावट रहने के साथ बहुत खुजली होती है। किडनी अगर ढंग से काम
नही कर रही है, तो body में यूरिया की मात्रा का बढ़ना खुजली पैदा करता है।
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खुजली के साथ अगर आँखों या skin के नीचे पीलापन दिख रहा है तो यह
liver से जुड़ी problem हो सकती है। पीलिया होने पर और पित्त तंत्र में अवरोध आने
पर 80% से 100% मरीजों में खुजली देखने को मिलती है।
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इसी तरह body में iron कि कमी होने पर भी खुजली होने लगती है। थाइरॉएड
ग्रंथि में गड़बड़ी आने पर भी खुजली के लक्षण देखने को मिलते है।
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मूत्र मार्ग में होने वाले infection के लक्षण भी कुछ समय पहले से ही
जननागों के आसपास के हिस्सों में खुजली के तौर पर दिखने लगते है।
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अगर nipple और उसके आसपास कि skin में बहुत अधिक लाली या किसी तरह कि
गांठ के साथ खुजली है तो doctor से मिलने में देरी नही करनी चाहिए।
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एग्जिमा,चिकन पॉक्स व् खसरा जैसी स्थितियों में खुजली के साथ दाने भी
पुरे body में फ़ैल जाते है।
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बच्चों के पेट के कीड़े होने पर भी बच्चों में खुजली अधिक रहने लगती
है।
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सोरायसिस कि खुजली इस बात का संकेत देती है की body कि रोगों से लड़ने
कि क्षमता कमजोर हो रही है। इससे body के कुछ अंगो, खासतौर से जोड़ो में दर्द की
आशंका का पता लगता है।
खुजली की वजह आपकी
Cream तो नही
skin specialist के
अनुसार यदि आप ऐसी cream इस्तेमाल कर रहे है, जिसमे मिथाइल आइसोथीयाजोलियन (MI) और
मिथाइल क्लोरो आइसोथीयाजोलियन (MCI) नामक प्रिजर्वेटिव है तो allergy के कारण बन
सकते है और खुजली पैदा हो सकती है। टिशू पेपर जैसी चीजों में प्राय इन chemical का इस्तेमाल किया जाता
है, जिनसे problem हो सकती है। कुछ देशों में बाकायदा कानून बने हुए है कि company
केवल .01% MI और .015% MCI प्रयोग कर सकती है। शॉवर जेल, मस्करा,cleanser, face
jel,toner, बालों के लिए प्रयोग किये जाने वाले विभिन्न product में भी
प्रिजर्वेटिव इस्तेमाल किये जाते है, इसलिए इन चीजों के चुनाव सावधानी से करना
चाहिए। इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि 40 के बाद महिलाओं की skin प्रिजर्वेटिव
वाले सौन्दर्य प्रसाधनों के कारण होने वाली allergy के प्रति संवेदनशील हो जाती है।
कब जाएँ Doctor के पास
जब सामान्य उपायों से खुजली जाने का नाम न ले तो बिना देर किये
doctor की सलाह लेनी चाहिए। जरूरत हो तो blood, बीपी सहित अन्य अंगो कि जाँच कराएं।
doctor की सलाह के अनुसार ही anti-allergic या अन्य medicine का सेवन करें।
काम के उपाय
Ø नारियल के तेल में कर्पुर मिलाकर मालिश करने से
खुजली में राहत मिलती है।
Ø केलमाइन लोशन का लेप भी
खुजली की problem में राहत देता है। स्थिति को देखते हुए doctor anti-allergic
medicine भी देते है।
Ø नीम के पत्ते पानी में
उबाल कर उस पानी से नहाने पर खुजली की problem में आराम मिलता है।
Ø खुजली के कारण अगर skin
की खुश्की है तो नमी को दूर करने के लिए अच्छे किस्म का मॉइस्चराइजर इस्तेमाल करें।
गुनगुने पानी में उससे नहाने से भी skin कि खुश्की दूर होती है।
Ø फल-सब्जियों का सेवन करें।
Ø साबुन,डिटर्जेंट और
perfume का इस्तेमाल ना करें। doctor की सलाह पर मेडिकेटेड का इस्तेमाल करें।
Ø बसंत के मौसम में नीम में
नई कोपलें फूटती है। उस समय 10-15 ग्राम नीम की ताज़ी कोपलें तीन-चार काली मिर्च के
साथ 15-20 दिनों तक लगातार सवेरे-सवेरे खा लेने से खुजली समेत skin के कई रोगों
में आराम मिलता है।
Ø चमेली के तेल में नींबू
का रस मिलाकर मालिश करने से भी खुजली में राहत मिलती है।
Ø तुलसी के पत्तों को पानी
में उबालें। इसे दिन में दो बार पीने से खुजली व् कई skin रोगों में लाभ होगा।
Ø जहाँ खुजली उठ रही हो,
वहाँ एलोवेरा jel लगाएं।
Ø बेंकिग सोडा को पानी में
मिलाकर पेस्ट बना लें और खुजली वाली जगह पर लगाएं। इससे काफी जल्दी राहत मिल सकती
है।
Ø खुजली वाली जगह पर दही
लगाने से आराम मिलता है। नियमित कुछ दिन लगाने पर कई तरह की खुजली से छुटकारा मिल
सकता है।
Ø सेब का सिरका रुई में
भिगोकर लगाने से खुजली में कमी आती है।
Ø चंदन का लेप ठंडक देता है।
खुजली में राहत मिलती है।
Ø vitamin-D कि आपूर्ति पर
खास ध्यान रहना चाहिए। इससे skin का health बना रहता है। allergy और खुजली वगैरह
नही होती।