जैसे ही आप किसी चीज का इंतजार करना छोड़ देते है, कोई काम कैसे होगा, उसके बारे में सोचना बंद कर देते है, तब जिन्दगी आपके लिए कई नए दरवाजे खोल देती है। कई बेहतरीन अवसर आपके लिए बांहे फैला कर खड़े हो जाते है और life जीवंत हो जाता है।
जैसे ही मैंने खुद से, अपनी जिन्दगी से और दूसरों से किसी चीज की अपेक्षा करना छोड़ दिया, तबसे मैं जिन्दगी को महसूस करने लगी और... बस जिन्दगी जीने लगी। बदले में मेरी जिन्दगी ने अद्धुत रास्तों और अवसरों के द्वार खोल दिए, जिनसे मैं पूरी तरह बेखबर थी। कारण, तब मैं और चीज के इंतजार में थी।
मैंने किसी भी चीज का इंतजार करना छोड़ दिया। और यही क्षण था, जब मेरी आत्मा बिलकुल हल्का और मुक्त महसूस करने लगी। यह ऐसा था, जैसे मैंने life जीना शुरू कर दिया और इस बारे में बिलकुल सोचना छोड़ दिया कि कैसे जीना चाहिए।
मैंने दूसरों से किसी चीज-सम्मान, दयालुता, जिम्मेदारी या प्रशंसा- की अपेक्षा करना छोड़ दिया है। मैंने अपने partner से भी किसी चीज के लिए उम्मीद करना छोड़ दिया है। मैंने life से अपने लिए कुछ भी माँगना छोड़ दिया है। साथ ही मैंने कल का इंतजार करना भी बंद कर दिया है कि यह आने वाला दिन बहुत अच्छा होगा और मेरी सारी problems को दूर कर देगा।
अगर आप सोचते है कि मेरे पास कोई योजना नही है तो आप गलत है। मेरे पास योजनायें है, लेकिन वे उन अवसरों की तुलना में बहुत तुच्छ जान पड़ती है, जो जिन्दगी ने मेरे लिए अपने दामन में छुपा रखें है। बस शर्त इतनी है कि प्रत्येक चीज को काबू करने और हर चीज कैसे होनी चाहिए, इस पर मैं अपने विचार थोपना छोड़ दूँ।
मेरे दिमाग में हमेशा यह विचार रहता था कि ‘हर चीज कैसे होनी चाहिए’। मेरा दिमाग उस विचार को साकार करने के लिए कठिन परिश्रम करता था। मैं हमेशा सारे ‘कैसें’ के सटीक उत्तर चाहती थी- इसे कैसे करें, इसके बारें में कैसे बताएं, अनजान लोगों से कैसे पूछें, कैसे बेहतर लिखें, कैसे ज्यादा पैसे अर्जित करें, कोई चीज कैसे होने जा रही है, कैसे वहां जाएँ.. आदि आदि। मुझे इसकी जरूरत इसलिए होती थी, ताकि मैं सब कुछ पर control पा संकू। गलती होने के जोखिम को खत्म कर दूँ। ‘कैसे’, यह प्रश्न मेरी परछाई बन गया। सबसे मजेदार बात यह है कि जब भी आवश्यकता होती थी, मुझे जवाब नही मिल पाते थे। मुझे उत्तर तब मिले, जब मैनें ‘कैसें’ के बारे में सोचना छोड़ दिया। problem यह थी कि मैं हर चीज का जवाब अग्रिम जान लेना चाहती था। कोई चीज इस तरह फलीभूत नही होता।
सब कुछ सर्वश्रेष्ठ कर लेने की मनोग्रंथि से थक जाने के बाद मैंने क्रांति को घटित होने दिया:
1- इसे होने दो, जैसे यह होने वाला है।
2- बस शुरू कर दो और आप पता चल जायेगा कि आपको क्या और कैसे करना चाहिए।
3- जब आपको जवाब की जरूरत होगी, वह मिल जायेगा।
4- जब कोई चीज वैसे ही होगी, जैसे उसे होना चाहिए। उसे अपने लिए सर्वश्रेष्ठ तरीके से होने दीजिये।
5- हर चीज को आदर्श तरीके से करने के चक्कर में न पड़ें।
क्या होता है जब इंतजार करना बंद कर देते है
सबसे पहले मैं अब अपने भीतर की आवाज सुनती हूँ। मैं पहले भी ऐसा करती थी, लेकिन तब उसे ‘कैसे’ किया जाए, इसकी पूरी योजना बनाये बगैर मैं खुद को उसे अमलीजामा पहनानें नही देती थी। अब मैं अपने विचारों को क्रियान्वित करने की प्रक्रिया में उनका हल पा लेती हूँ।
दूसरा, पहले मैं योजना बनाने और तैयारी करने में ज्यादा समय देती थी। यह हैरान करने वाला है, पर अब मैं ज्यादा काम करती हूँ। ज्यादा बेहतर ढंग से करती हूँ।
तीसरा, अब मैं उसी चीज का उत्तर खोजती हूँ, जो उस पल के लिए आवश्यक होता है। मैं ना कहना सीख गयी हूँ, बगैर इस परवाह के कि लोग क्या कहेगे।
चौथा, अब मेरी जिन्दगी में कई रोमांचक चीजें है। अब मैं सब कुछ के चक्कर में पड़ने के दौर से बाहर निकल गयी हूँ और यब सब मेरी तरफ से बिना कोई अधिक प्रयास किये हो जाता है। पहले मैं किसी चीज के होने का इंतजार करती थी। अब मैं मौका देखती हूँ और कुछ करती हूँ। मैं केवल अब प्रतिक्रिया नही देती।
पांचवां, अब मैं कई मजेदार लोगों से मिलती हूँ। मैंने इस बारे में सोचना बंद कर दिया है कि उनसे कैसे मिला जाए और कहां मिला जाएँ। अब मैं लोगो से हर जगह परिचय करती हूँ। लोगो पर विश्वास करना सीख गयी हूँ।
अब चीजें मेरी जिन्दगी में आनी शुरू हो गई है। यहाँ तक कि वो चीजें भी, जो मेरे मजबूत इरादों के बावजूद फलीभूत नही होती थी। यह सब कुछ बहुत सरल है। अब मैं जीवन के प्रवाह, इसकी धारा और विविधता को महसूस कर पाती हूँ।
# इस article के writer ‘लेसली वो’ स्वतंत्र blogger, private educator, और content writer है।
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